Business Idea: मेंथा की डिमांड में उछाल, सिर्फ 3 महीने में लागत से तीन गुना होगा मुनाफा

Business Idea: देश के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नकदी फसल की ओर रूख कर रहे हैं। ऐसे में हर्बल प्रोडक्ट में मेंथा का नाम भी शामिल है। मेंथा की खेती से सिर्फ 3 महीने में लखपति बन जाएंगे। इसके तेल की भारतीय बाजार ही विदेश में भारी मांग है। मेंथा की फसल को किसान हरा सोना भी कहते हैं

अपडेटेड Mar 22, 2024 पर 6:57 AM
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Business Idea: मेंथा को पिपरमिंट, पुदीना, कर्पूरमिंट और सुंधि तपत्र के नाम से जाना जाता है।

Business Idea: अगर आप नौकरी के साथ किसी बिजनेस की तलाश में है तो हम आपको एक बेहतर बिजनेस आइडिया दे रहे हैं। यह एक ऐसा बिजनेस है। जिसमें सिर्फ 3 महीने में लखपति बन जाएंगे। हम बात कर रहे हैं मेंथा की खेती (Mentha Farming) के बारे में। इसकी गिनती हर्बल प्रोडक्ट्स के रूप में होती है। कोरोना महामारी के बाद से दुनियाभर में हर्बल प्रॉडक्ट्स और आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि अब किसान अनाज और सब्जी फसलों के साथ हर्बल फसलों की खेती पर भी जोर दे रहे हैं। हर्बल यानी औषधीय फसलों की खेती में लागत से 3 गुना ज्यादा तक आमदनी हो जाती है।

इसके अलावा, इससे मिट्टी की सेहत भी बेहतर बनी रहती है। ऐसी ही मोटी कमाई वाली औषधीय फसलों में शामिल है मेंथा की खेती। वैसे तो इसकी खेती भारत के कई इलाकों में की जाती है। इसमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब जैसे कई अन्य राज्य शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के बदांयू, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकर नगर और लखनऊ के खेतों से इसकी सबसे ज्यादा उपज हासिल हो रही है।

क्या है मेंथा?


मेंथा को देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे पिपरमिंट, पुदीना, कर्पूरमिंट और सुंधि तपत्र के नाम से भी जानते हैं। इसका इस्तेमाल दवाएं, तेल, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, टूथपेस्ट और कैंडी बनाने के लिए किया जाता है। बता दें कि भारत मेंथा के तेल का एक बड़ा उत्पादक देश है। यहां से मेंथा का तेल निकालकर दूसरे देशों में भी निर्यात किया जाता है। मेंथा की खेती के लिए अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है। सही समय पर बोई गई मेंथा की फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है। मेंथी की खेती के लिए मिट्टी की Ph वैल्यू 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मेंथा की पत्तियों में पोषक तत्वों का भंडार है।

मेंथा की खेती

मेंथा की खेती फरवरी से लेकर मध्य अप्रैल तक रोपई और जून में इसकी फसल को काट लिया जाता है। इसकी पत्तियों से निकाला जाता है। मेंथा की फसल को हल्की नमी की जरूरत होती है। जिसके चलते इसमें हर 8 दिन में सिंचाई की जाती है। जून में साफ मौसम देखते ही इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। मेंथा से प्रति हेक्टेयर लगभग 125-150 किग्रा तेल मिल सकता है।

मेंथा से कमाई

मेंथा की खेती नकदी फसल है। मेंथी की खेती में लागत बहुत कम आती है। इसकी फसल 90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है। इस कारण किसानों को जल्द ही खेती में किए गए खर्च का पैसा मोटे मुनाफे के रूप में वापस मिल जाता है। एक एकड़ में मेंथा की फसल लगाने में 20,000 से 25,000 तक का खर्च आ जाता है। बाजार में मेंथा का भाव 1000 से 1500 रुपए किलो के आस-पास रहता है। जिसके चलते कटाई के बाद मेंथा यानी मिंट की फसल से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। 3 महीने में 3 गुना कमाई कर सकते हैं। इसलिए इस फसल को किसान हरा सोना भी कहते हैं।

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