RBI MPC: RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) से इस बार ब्याज दरों पर साफ संकेत मिलने की उम्मीद नहीं है। दूसरी तिमाही की मजबूत आर्थिक ग्रोथ ने इस सवाल को गहरा कर दिया है कि क्या रेट कट की अभी जरूरत है। वहीं, महंगाई फिलहाल इतनी नरम है कि ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश भी बनी हुई है। रुपये की लगातार गिरावट ने इस अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है।
क्या कहता है CNBC-TV18 का पोल?
मार्केट सेंटिमेंट हल्का-सा रेट कट की ओर झुका हुआ दिख रहा है। CNBC-TV18 के पोल में 60% एक्सपर्ट ने अनुमान लगाया कि RBI 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। बाकी 40% का मानना है कि MPC इस बार भी दरों को जस का तस रखेगा।
अगर कट हुआ, तो कितनी देर चलेगा ईजिंग साइकल?
जिन एक्सपर्ट को कटौती की उम्मीद है, वे भी इसे लंबा चक्र नहीं मानते। लगभग 60% एक्सपर्ट का कहना है कि ब्याज दरों में ढील दिसंबर में ही खत्म हो जाएगी। 30% को फरवरी में एक और कट की गुंजाइश दिखती है। वहीं, 10% का मानना है कि ईजिंग साइकल पहले ही खत्म हो चुका है।
नीतिगत दर आखिर कहां जाकर स्थिर होगी?
टर्मिनल पॉलिसी रेट को लेकर 60% अर्थशास्त्री 5.25% को सही स्तर मानते हैं। 30% को लगता है कि यह 5.5% पर रुकेगी। सिर्फ 10% एक्सपर्ट को 5% तक गिरावट की संभावना दिखती है।
ग्रोथ मजबूत, अनुमान बढ़ने की उम्मीद
अर्थव्यवस्था ने साल की पहली छमाही में लगभग 8% की औसत ग्रोथ दर्ज की है। इसी वजह से आधे से ज्यादा एक्सपर्ट मानते हैं कि RBI FY26 की ग्रोथ फोरकास्ट बढ़ाकर 7.1-7.2% कर सकता है। 40% इससे भी ज्यादा, यानी 7.3% से ऊपर की संभावना देख रहे हैं।
महंगाई पर भरोसा, अनुमान में कटौती लगभग तय
लगभग 90% एक्सपर्ट को उम्मीद है कि RBI FY26 की CPI महंगाई का अनुमान घटाकर 2–2.5% की रेंज में ला देगा। बाकी 10% इससे भी थोड़ी गहरी कटौती की बात कर रहे हैं।
स्टांस न्यूट्रल रहेगा, टोन नरम हो सकता है
रेट कट आए या न आए, पॉलिसी स्टांस न्यूट्रल रहने की ही उम्मीद है। हालांकि 60% एक्सपर्ट का अनुमान है कि RBI की भाषा नरम होगी, जिसमें महंगाई पर भरोसा और स्थिरता का संकेत मिलेगा।
रुपये की गिरावट का फैसले पर असर नहीं
पोल में शामिल 80% एक्सपर्ट का मानना है कि रुपये की हालिया कमजोरी पॉलिसी निर्णय को प्रभावित नहीं करेगी। RBI हमेशा की तरह महंगाई लक्ष्य और ग्रोथ सपोर्ट पर ही फोकस रखेगा।
लिक्विडिटी पर RBI क्या कदम उठा सकता है?
बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी टैक्स आउटफ्लो और फॉरेक्स इंटरवेंशन के कारण दबाव में है। दिसंबर से मार्च के बीच सीजनल कैश विदड्रॉल भी चुनौती बढ़ाएंगे। मार्केट वॉचर्स को उम्मीद है कि RBI लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों का संकेत दे सकता है - जैसे ऑपरेशन ट्विस्ट या ओपन मार्केट परचेजेज।