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Business Idea: इस पेड़ की खेती से 40 साल तक कमाएं मुनाफा, ऐसे करें खेती

Rubber farming Business Idea: रबड़ की खेती के लिए लेटेराइट युक्त गहरी लाल दोमट मिट्टी बेहतर मानी गई है। दुनिया में 78 फीसदी रबड़ का इस्तेमाल टायर और ट्यूब बनाने में किया जाता है। रबड़ का इस्तेमाल कर सोल, टायर, रेफ्रिजरेटर, गेंद बनाने में किया जाता है। इसकी खेती करने के लिए केंद्र सरकार और विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिलती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 06, 2024 पर 6:57 AM
Business Idea: इस पेड़ की खेती से 40 साल तक कमाएं मुनाफा, ऐसे करें खेती
Business Idea: भारत में केरल को सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य कहते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर त्रिपुरा का का नाम आता है।

देश-विदेश में घर की छोटी-मोटी जरूरतों से लेकर उद्योग में रबड़ की खपत (Rubber Usage) बढ़ती जा रही है। भारत रबड़ का चौथा चौथा बड़ा उत्पादक देश है। अगर आप कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं तो रबड़ की खेती (Rubber Farming) खेती से बंपर कमाई कर सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें यहां तक कि विश्व बैंक भी रबड़ की खेती के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराती है। केरल सबसे ज्यादा रबड़ उत्पादन करने वाला राज्य है। इसके बाद दूसरे नंबर पर त्रिपुरा का नाम आता है। यहां से दूसरे देशों को रबड़ निर्यात किया जाता है।

इन दिनों भारत के कई राज्यों में भी रबड़ की खेती (Rubber Cultivation) की जाती है। रबड़ बोर्ड के मुताबिक, त्रिपुरा में 89, 264 हेक्टेयर, असम में 58,000 हेक्टेयर क्षेत्र, मेघालय में 17,000 हेक्टेयर, नागालैंड में 15,000 हेक्टेयर, मणिपुर में 4,200 हेक्टेयर, मिजोरम में 4,070 हेक्टेयर और अरुणाचल प्रदेश में 5,820 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रबड़ की खेती हो रही है।

रबड़ का निर्यात

यहां से जर्मनी, ब्राजील, अमेरिका, इटली, तुर्की, बेल्जियम, चीन, मिस्र, नीदरलैंड, मलेशिया, पाकिस्तान, स्वीडन, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात को नेचुरल रबड़ निर्यात किया जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक, भारत से साल 2020 में 12000 मीट्रिक टन से ज्यादा नेचुरल रबड़ का निर्यात हुआ। अब देश के प्रमुख रबड़ उत्पादकों की लिस्ट में उड़ीसा का नाम भी जुड़ने जा रहा है। रबड़ का उपयोग शोल, टायर, इंजन की सील, गेंद, इलास्टिक बैंड व इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसी चीज़ों को बनाने में किया जाता है। रबड़ की खेती से 40 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं। रबड़ का पौधा 5 वर्ष में पेड़ बन जाता है। इसके बाद इसमें उत्पादन शुरू हो जाता है। रबड़ के पेड़ों को रोजाना कम से कम 6 घंटे धूप जरूरी है।

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