होली के रंगों पर भी इस बार महंगाई का साया है। बाजार में कई नए प्रोडक्ट तो उतरे हैं लेकिन दाम पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी तक ज्यादा हैं। बाजार में हर्बल रंगो के साथ साथ बाजार में पिचकारियों की नई रेंज लग गई है। इस बार मोटू पतलू, बार्बी डॉल, डोरेमॉन, हल्क, फिश, अंब्रेला, टैंक और स्कूल बैग जैसी पिचकारी डिमांड में हैं।
बाजार में पिचकारियां तो एक से एक हैं लेकिन इस बार जेब ज्यादा ढीली कर रही हैं। हुआ कुछ यूं हैं कि चीनी पिचकारियों के बहिष्कार के चलते भारतीय पिचकारियां ही बाजार में आई हैं। मगर प्रोडक्शन में कमी के चलते भाव पिछले साल के मुकाबले 30 से 50 फीसदी ज्यादा हैं। जहां कीमत 150 रुपये से शुरु होकर 1000 रुपये तक जा रही है।बढ़े हुए दाम लोगों को थोड़े चुभ तो रहे हैं लेकिन इस बात का आनंद भी है कि पिचकारी मेड इन इंडिया है।
वहीं इस बार महंगाई की मार होली के पकवानों को फीका कर सकती है। दूध, खोया ,चीनी,तेल,मेवा सबकुछ महंगा हो चुका है। दिल्ली की सबसे पुरानी खोया मंडी इन दिनों होली के रंग में रंगा हुआ है। पूरा ध्यान होली से जुड़ी डिमांड पूरा करने पर है लेकिन खोया के चढ़ते दामों की वजह से पहले जैसी खरीदारी नहीं है। पिछले 10 दिन में खोया की कीमत में 100 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है। खोया 250 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 350 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।
खोया महंगा हुआ है तो मिठाइयों के दाम बढ़ना स्वाभाविक है। मिठाई की कीमतें भी प्रति किलो 150 रुपये तक बढ़ चुकी हैं। इसका असल होली की ट्रेडिशनल मिठाई गुजिया पर दिखेगा।
पिछले 6 महीनों में दूध की कीमत में 5 से 10 रुपए प्रति लीटर बढ़ी है। चीनी और रिफाइंड तेल भी महंगे हुए हैं। सूखे मेवों की खुदरा कीमतें 15 से 20 फीसदी बढ़ी हैं। काजू 800 रुपए और बादाम 700 रुपए किलो से कम कहीं नहीं है यानी घर पर जो पकवान बनने हैं उनपर भी महंगाई की मार नजर आ रही है।