Home Loan: फिक्स्ड, फ्लोटिंग या हाइब्रिड... होम लोन के लिए कौन-सा इंटरेस्ट रेट रहेगा बेस्ट?

Fixed or Floating or Hybrid: होम लोन लेते समय सबसे बड़ा सवाल होता है फिक्स्ड, फ्लोटिंग या हाइब्रिड इंटरेस्ट रेट चुनना। हर विकल्प के अपने फायदे और नुकसान हैं। एक्सपर्ट से जानिए कि आपके लिए कौन सा इंटरेस्ट रेट बेहतर रहेगा।

अपडेटेड Sep 11, 2025 पर 11:23 PM
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फिक्स्ड रेट वाले लोन तब बेहतर होते हैं जब ब्याज दरें बढ़ रही हों।

Fixed or Floating or Hybrid: घर खरीदने के लिए जब लोग होम लोन लेते हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि किस तरह का इंटरेस्ट रेट चुना जाए। फिक्स्ड, फ्लोटिंग और हाइब्रिड तीनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं। सही चुनाव करने से आपकी EMI और लंबे समय की फाइनेंशियल प्लानिंग पर बड़ा असर पड़ता है।

फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन

फिक्स्ड रेट में आपकी EMI पूरी लोन अवधि या शुरुआती कुछ साल तक एक जैसी रहती है। इसका फायदा यह है कि ब्याज दरें बढ़ने पर भी आपकी EMI नहीं बदलती। इससे आपको हर महीने का खर्च आसानी से मैनेज करने में मदद मिलती है।


हालांकि, इसका नुकसान यह है कि अगर ब्याज दरें घट जाएं तो इसका फायदा आपको नहीं मिलेगा। साथ ही, शुरुआती दरें भी अक्सर फ्लोटिंग से ज्यादा होती हैं। यह विकल्प उन लोगों के लिए बेहतर है, जिन्हें स्थिरता चाहिए और EMI में उतार-चढ़ाव नहीं चाहते।

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लोन

फ्लोटिंग रेट RBI की नीतियों और मार्केट की परिस्थितियों के हिसाब से बदलता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ब्याज दर घटने पर EMI कम हो जाती है। इससे लंबे समय में यह फिक्स्ड से सस्ता साबित हो सकता है। होम लोन लेने वाले ज्यादातर लोग यही विकल्प चुनते हैं।

 3. मार्केट की स्थिति अर्थव्यवस्था में महंगाई और ब्याज दरों की दिशा होम लोन पर सीधा असर डालती है। जब महंगाई बढ़ती है तो बैंक ब्याज दरें ऊपर कर देते हैं ताकि जोखिम कम हो। वहीं स्थिर बाजार में ब्याज दरें अक्सर सस्ती हो जाती हैं। इसलिए टाइमिंग भी अहम फैक्टर है।

लेकिन, फ्लोटिंग रेट की अपनी खामियां हैं। अगर ब्याज दर बढ़ जाएं तो EMI भी बढ़ जाती है। यह आपका पूरा बजट भी बिगाड़ सकती है। यह विकल्प उन लोगों के लिए ज्यादा सही रहता है, जो लंबे समय तक लोन लेने वाले हैं और EMI में उतार-चढ़ाव सह सकते हैं।

हाइब्रिड इंटरेस्ट रेट लोन

हाइब्रिड लोन में शुरुआती कुछ सालों तक EMI फिक्स्ड रहती है और उसके बाद यह फ्लोटिंग में बदल जाती है। इस तरह पहले कुछ सालों तक स्थिरता मिलती है और बाद में मार्केट के हिसाब से ब्याज दरें घटने पर फायदा हो सकता है।

हालांकि शुरुआती दरें फ्लोटिंग से थोड़ी ज्यादा हो सकती हैं और अगर बाद में ब्याज दरें बढ़ जाएं तो EMI भी बढ़ेगी। यह विकल्प उन लोगों के लिए सही है जो शुरुआत में EMI स्थिर रखना चाहते हैं और आगे चलकर रिस्क लेने को तैयार हैं।

क्या है एक्सपर्ट की राय?

बेसिक होम लोन के को-फाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा का कहना है कि फिक्स्ड रेट वाले लोन तब बेहतर होते हैं जब ब्याज दरें बढ़ रही हों। ये उन लोगों के लिए ठीक हैं जिन्हें स्थिरता चाहिए या लगता है कि दरें आगे और बढ़ेंगी। वहीं, फ्लोटिंग रेट घटती ब्याज दर वाले माहौल में सही रहते हैं। हाइब्रिड होम लोन उन लोगों के लिए होते हैं जो शुरू में कुछ साल तक निश्चित EMI चाहते हैं, लेकिन आगे चलकर बाजार के हिसाब से ब्याज दरों का फायदा उठाना चाहते हैं।

 8. लोन की अवधि का असर लोन का टेन्योर जितना लंबा होगा, कुल ब्याज का बोझ उतना ज्यादा होगा। छोटी अवधि का लोन लेने पर EMI थोड़ी बड़ी होगी लेकिन ब्याज की बचत काफी होगी। इसलिए अपनी क्षमता के हिसाब से संतुलित अवधि चुनना बेहतर रहता है।

अतुल मोंगा ने कहा, 'अभी की स्थिति देखें तो लोन लेने की लागत स्थिर हो रही है। RBI की ओर से रेपो रेट में हालिया कटौतियों से ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ा है। इस समय फ्लोटिंग रेट होम लोन की ब्याज दर अपेक्षाकृत कम हैं। इसलिए यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो कुल ब्याज खर्च घटाना चाहते हैं।'

मोंगा का कहना है कि होमबायर्स को आखिरी फैसला लेने से पहले कुछ बातों पर जरूर विचार करना चाहिए। जैसे कि अभी अलग-अलग लोन ऑप्शन पर ब्याज दर में कितना फर्क है और लोन अवधि कितनी लंबी है। अगर लोन लंबे समय के लिए है तो फ्लोटिंग रेट से फायदा हो सकता है, क्योंकि आगे चलकर अगर दरें घटती हैं तो कुल ब्याज का बोझ कम होगा।

इंटरेस्ट रेट चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान

फिक्स्ड, फ्लोटिंग, या हाइब्रिड रेट: तय करें कि आपको स्थिर (Fixed) ब्याज दर चाहिए या बाजार के अनुसार बदलने वाली (Floating) दर या फिर दोनों को मिलाकर हाइब्रिड।

बैंक और NBFC तुलना: अलग-अलग बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों से ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस और शर्तों की जानकारी लें। इससे आपको फैसला लेने में आसानी होगी।

क्रेडिट स्कोर: बेहतर CIBIL स्कोर पर कम ब्याज दर मिलती है, इसलिए लोन लेने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर सुधारें। आमतौर पर 750 से ऊपर का क्रेडिट स्कोर अच्छा माना जाता है।

लोन अवधि: लंबी अवधि पर किस्तें कम होती हैं लेकिन कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ता है, इसलिए अवधि सोच-समझकर तय करें। जरूरी हो तो किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें।

अन्य चार्जेज और शर्तें: प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज और हिडन कॉस्ट को ध्यान से पढ़ें ताकि बाद में परेशानी न हो। अगर कोई कन्फ्यूजन हो, तो उसे वित्तीय संस्थान से जरूर पूछें।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

Tags: #loan

First Published: Sep 11, 2025 11:23 PM

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