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Vehicle Insurance: कार-बाइक का बीमा नहीं तो पेट्रोल-डीजल भी नहीं, मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव की तैयारी

Vehicle Insurance: केंद्र सरकार नए मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव कर सकती है। जिसमें वाहन का बीमा कराना बेहद जरूरी रहेगा। कार या बाइक का बीमा नहीं कराने पर पेट्रोल-डीजल और फास्टैग मिलना मुश्किल हो सकता है। इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने सरकार को इस बारे में एक प्रस्ताव दिया है। जिस पर सरकार विचार विमर्श कर रही है

अपडेटेड Jan 27, 2025 पर 2:39 PM
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Vehicle Insurance: नए रूल्स के मुताबिक, जिन व्हीकल्स का इंश्योरेंस नहीं है। उन पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।

भारत में वाहनों में पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और मोटर वीइकल इंश्योरेंस को लेकर तरह-तरह की बातें होती रहती हैं। ऐसे ही इन दिनों वाहनों के इंश्योरेंस को लेकर चर्चा काफी जोरों पर है। कहा जा रहा है कि मोटर व्हीकल एक्ट में सरकार एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। अगर ऐसा होता है तो फिर वाहनों में पेट्रोल-डीजल भराने के लाले पड़ सकते हैं। वहीं फास्टैग बनवाना भी मुश्किल हो जाएगा। दरअसल, सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में एक बदलाव कर रही है। इसमें सभी वाहनों का इंश्योरेंस होना बेहद जरूरी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत से ऐसे वाहन हैं, जो अभी भी बिना बीमा के सड़क पर चल रहे हैं।

बता दें कि इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया है। जिसमें कहा गया है कि बिना बीमा कराने वाले वाहनों को ऑयल पंपों पर तेल भरने की अनुमति नहीं दी जाए। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार विमर्श कर रही है। मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicles Act) 1988 के तहत, सभी वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है। यह बीमा दुर्घटना में किसी तीसरे पक्ष को हुए नुकसान की भरपाई के लिए होता है।

बिना थर्ड पार्टी बीमा के वाहन चलाना अपराध है


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रालय इंश्योरेंस इंडस्ट्री के प्रस्ताव पर विचार विमर्श कर रहा है। जल्द ही नियमों में बदलाव हो सकता है। इसमें वाहनों के इंश्योरेंस को भी जोड़ा जाएगा। इसके बाद राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों इन नियमों को सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए जाएंगे। वहीं हाल ही में संसदीय स्थायी समिति ने भी सरकार को थर्ड-पार्टी बीमा कवरेज बढ़ाने के सुझाव दिए थे। समिति ने डेटा इंट्रीग्रेशन और ई-चालान को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही, वाहन रजिस्ट्रेशन और बीमा कवरेज की निगरानी के लिए राज्यों को डेटा रिपोर्टिंग की आवश्यकता भी बताई गई है। IRDAI के मुताबिक, साल 2024 में भारतीय सड़कों पर चलने वाले करीब 35-40 करोड़ वाहनों में से सिर्फ 50 फीसदी के पास थर्ड-पार्टी बीमा है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बिना थर्ड पार्टी बीमा के वाहन चलाना अपराध की श्रेणी में आता है।

पिछले कुछ साल से हो रहा नुकसान

इंश्योरेंस इंडस्ट्री का कहना है कि ये प्रस्ताव अगर सरकार पेश करती है तो तुरंत बीमा कराया जाएगा। एक आंकड़े के अनुसार, अभी मोटर वाहन सेगमेंट में बीमा साइज 80,000 करोड़ से ज्यादा है। पिछले कुछ सालों में इंश्योरेंस इंडस्ट्री में 80 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई है।

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