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क्रेडिट रिस्क फंडों ने दिया 20% से ज्यादा रिटर्न, क्या आपको इनवेस्ट करना चाहिए?

क्रेडिट रिस्क फंड्स डेट म्यूचुअल फंड का एक सेगमेंट है। क्रेडिट रिस्क फंड डेट फंडों से ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए लो रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में इनवेस्ट करते हैं। सेबी के नियम में कहा गया है कि क्रेडिट रिस्क फंड को कम से कम 65 फीसदी निवेश एए और कम रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में करना होगा

अपडेटेड Jun 03, 2025 पर 11:40 AM
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साल दर साल आधार पर सेंसेक्स और निफ्टी का रिटर्न करीब 6 फीसदी रहा है। इस दौरान कुछ क्रेडिट रिस्क फंडों ने 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है।

ऐसे साल जब स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन कमजोर रहा है तब फिक्स्ड-इनकम कैटेगरी की कुछ स्कीमों ने कई इक्विटी स्कीमों से ज्यादा रिटर्न दिया है। साल दर साल आधार पर सेंसेक्स और निफ्टी का रिटर्न करीब 6 फीसदी रहा है। इस दौरान कुछ क्रेडिट रिस्क फंडों ने 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है। क्रेडिट रिस्क फंड्स डेट म्यूचुअल फंड का एक सेगमेंट है। क्रेडिट रिस्क फंड डेट फंडों से ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए लो रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में इनवेस्ट करते हैं। सेबी के नियम में कहा गया है कि क्रेडिट रिस्क फंड को कम से कम 65 फीसदी निवेश एए और कम रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में करना होगा।

शानदार प्रदर्शन की ये रही वजहें

हाल में क्रेडिट रिस्क फंड्स (Credit Risk Fund) चर्चा में रहे हैं। इसकी वजह यह है कि इस सेगमेंट के कुछ फंडों ने एक साल में 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिए हैं। इसमें कई चीजों का हाथ है। क्रेडिट इनवायरमेंट इम्प्रूव हुआ है। डिफॉल्ट का रिस्क बढ़ा है। रेटिंग अपग्रेड होने से बॉन्ड्स की कीमतें बढ़ी हैं, जिसका फायदा फंड मैनेजर्स को मिला है। फंड मैनेजर्स ने कुछ ऐसे कम रेटिंग वाले बॉन्ड्स में निवेश किए थे, जिनकी रेटिंग बाद में अपग्रेड की गई। फिक्स्ड इनकम में तीन बातें सबसे अहम हैं। इनमें ड्यूरेशन, लिक्विडिटी और क्रेडिट शामिल हैं।


कम रेटिंग वाले बॉन्ड्स में निवेश के फायदें

आदित्य बिड़ला सनलाइफ एएमसी की को-हेड (फिक्स्ड इनकम) सुनयना डा कुन्हा ने कहा, "पिछले कुछ महीनों से सबसे ज्यादा रेटिंग वाले AAA/AA+ बॉन्ड्स के स्प्रेड पर दबाव रहा है। हालांकि, ऐसा AA/AA- रेटिंग वाले बॉन्ड्स में भी होने वाला है। हमें उम्मीद है कि कम रेटिंग वाले बॉन्ड्स के स्प्रेड पर दबाव अगले कुछ महीनों में देखने को मिल सकता है। इससे ऐसे बॉन्ड्स में इनवेस्ट करने वाले फंडों को फायदा होगा।"

कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स की सप्लाई बढ़ी है

इधर, इंटरेस्ट रेट्स में कमी का असर बैंकिंग सेगमेंट से ज्यादा कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट्स पर दिख रहा है। कई कंपनियां बॉन्ड्स के जरिए पैसे जुटाने की कोशिश कर रही हैं। इससे मार्केट में अच्छी क्वालिटी के कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की उपलब्धता बढ़ी है। इसके अलावा, विलय एवं अधिग्रहण (M&A) से जुड़ी गतिविधियां बढ़ने से अट्रैक्टिव रिस्क एडजस्टेड रिटर्न वाले बॉन्ड्स मार्केट में आ रहे हैं। इससे कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में फंड मैनजेर्स की दिलचस्पी बढ़ी है।

फंड मैनेजर्स को ऐसे हुआ फायदा

DSP Mutual Fund के वाइस प्रेसिडेंट (इनवेस्टमेंट्स) विवेक रामकृष्णन के मुताबिक, क्रेडिट रिस्क फंडों को दो तरह से फायदा हुआ है। एक तरफ उन्हें इंडियन बॉन्ड्स मार्केट में रैली की वजह से कैपिटल गेंस के रूप में फायदा हुआ है तो दूसरी तरफ कम रेटिंग वाले बॉन्ड्स की यील्ड बढ़ने का फायदा मिला है। उन्होंने कहा, "इकोनॉमी में सुस्ती और अनसेक्योर्ड लोन और माइक्रोफाइनेंस में समस्या की वजह से क्रेडिट इनवायरमेंट बहुत स्ट्रॉन्ग नहीं रहा है, लेकिन कोई बड़ी दिक्कत सामने नहीं आई है। इससे भी सेटिमेंट को मजबूती मिली है।"

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क्या आपको निवेश करना चाहिए?

यह बात ध्यान में रखने वाली है कि क्रेडिट रिस्क फंडों का हालिया रिटर्न ऐतिहासिक औसत से थोड़ा ज्यादा रहा है, लेकिन इसमें सिर्फ एक या दो फंडों का हाथ है। पूरी कैटेगरी का रिटर्न ज्यादा नहीं रहा है। आनंद राठी वेल्थ में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अर्जुन गुहा ठाकुरता ने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि ऐसा शानदार प्रदर्शन लंबी अवधि में जारी रहेगा। इन फंडों का एवरेज यील्ड-टू-मैच्योरिटी (YTM) करीब 6.1 फीसदी है, जो 10 साल के गवर्नमेंट बॉन्ड्स की 6.22 फीसदी की यील्ड से कम है।

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