कई लोगों का क्रेडिट स्कोर कोशिश के बावजूद भी इम्प्रूव नहीं होता है। खराब क्रेडिट स्कोर के कई नुकसान होते हैं। लोन के अप्लिकेशंस रिजेक्ट हो सकते हैं। बैंक या एनबीएफसी लोन देते भी हैं तो उसका इंटरेस्ट रेट ज्यादा रखते हैं। सच्चाई यह है कि खराब क्रेडिट स्कोर के लिए हमारी कुछ आदतें जिम्मेदार हैं, जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता है। इन आदतों की पहचान कर उन्हें बदला जा सकता है।
कई बार पेमेंट का मिस होना
कई लोगों का क्रेडिट स्कोर इसलिए 500 या इससे कम होता है, क्योंकि वे पेमेंट की डेट मिस कर जाते हैं। ईएमआई या क्रेडिट कार्ड का बिल एक या दो बार मिस करने का खराब असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर बार-बार पेमेंट मिस होता है तो लॉन्ग टर्म में इससे काफी नुकसान होता है। बैंक और एनबीएफसी इसे गैरजिम्मेदाराना व्यवहार मानते हैं। अगर आप भी पेमेंट की तारीख मिस कर देते हैं तो आप पेमेंट रिमाइंडर या ऑटो डेबिट इंस्ट्रक्शंस का इस्तेमाल कर सकते हैं। तय तारीख पर पेमेंट करने पर धीरे-धीरे आपका क्रेडिट स्कोर इम्प्रूव होना शुरू हो जाएगा।
हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन से क्रेडिट स्कोर घटने लगता है। अगर आपकी क्रेडिट लिमिट 1,00,000 रुपये है और आप रेगुलर बेसिस पर 80,000 से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इसका मतलब है कि आप पर वित्तीय दबाव है। टोटल लिमिट के 30 फीसदी से कम यूटिलाइजेशन को अच्छा माना जाता है। हर महीने कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल इस बात का संकेत होता है कि आपकी कर्ज पर ज्यादा निर्भरता है। इसका निगेटिव असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है।
अकाउंट का सेटलमेंट और पुराने ड्यूज की अनदेखी
आम तौर पर लोग यह समझते हैं कि एक बार लोन का सेटलमेंट हो जाने या उसके राइट ऑफ होने पर मामला खत्म हो जाता है। लेकिन, सच यह है कि लोन अकाउंट के सेटलमेंट का असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर कोई पुराना ड्यूज है तो उसका असर भी क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। ओल्ड बैलेंस को क्लियर कर देने से आपके क्रेडिट स्कोर पर पॉजिटिव असर पड़ता है।
लोन के लिए बार-बार अप्लाई करना
बार-बार लोन के अप्लिकेशन का खराब असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। हर अप्लिकेशन से इनक्वायरी एनिशिएट होती है। ऐसा बार-बार होने पर बैंक यह सोचते हैं कि व्यक्ति को पैसे की तुरंत जरूरत है। ऐसे में वे अप्लिकेशन रिजेक्ट कर देते हैं, जिसका खराब असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है।
एक्टिव या हेल्दी क्रेडिट मिक्स का नहीं होना
एक्टिव क्रेडिट नहीं होने का भी खराब असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर आपकी रिपोर्ट पुराना डिफॉल्ट दिखाती है और उसमें कुछ करेंट नहीं है तो बैंक या एनबीएफसी के पास आपके बारे पॉजिटिव राय बनाने के लिए कोई इनपुट नहीं होता है। एक छोटे स्मॉल लोन या कम लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से धीरे-धीरे आपकी क्रेडिट प्रोफाइल बेहतर बन सकती है। आपको यह ध्यान में रखना है कि 500 या इससे कम क्रेडिट स्कोर स्थायी नहीं है। इसे बढ़ाया जा सकता है।