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Daily Voice: पोर्टफोलियो मैनेजर अश्विनी शमी ने कहा, फार्मा शेयरों में प्रॉफिट बुक करने का समय, जोमैटो में ओवरवैल्यूएशन

ओमनीसाइंस कैपिटल के एग्जक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और पोर्टफोलियो मैनेजर अश्विनी शमी का कहना है कि शेयर बाजार में फार्मास्युटिकल सेगमेंट में उत्साह बना हुआ है। हालांकि, इस सेक्टर में शेयरों की कीमतें अपने ग्रोथ आउटलुक के हिसाब से पर्याप्त लेवल पर पहुंच चुकी हैं। मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि निवेश के वैज्ञानिक ढांचे के आधार पर कहा जा सकता है कि निवेशकों को इसमें निवेश बढ़ाने के बजाय प्रॉफिटबुकिंग पर फोकस करना चाहिए

अपडेटेड Sep 10, 2024 पर 7:04 PM
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अश्विनी शमी का कहना है कि निवेश के लिए रूरल ग्रोथ थीम बेहतर विकल्प है।

ओमनीसाइंस कैपिटल (OmniScience Capital) के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और पोर्टफोलियो मैनेजर अश्विनी शमी का कहना है कि शेयर बाजार में फार्मास्युटिकल सेगमेंट में उत्साह बना हुआ है। हालांकि, इस सेक्टर में शेयरों की कीमतें अपने ग्रोथ आउटलुक के हिसाब से पर्याप्त लेवल पर पहुंच चुकी हैं। मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि निवेश के वैज्ञानिक ढांचे के आधार पर कहा जा सकता है कि निवेशकों को इसमें निवेश बढ़ाने के बजाय प्रॉफिटबुकिंग पर फोकस करना चाहिए। उनके मुताबिक, फार्मा के बजाय उन सेक्टरों में निवेश का विकल्प तलाशना बेहतर विकल्प होगा, जहां वैल्यूएशन कम है।

यह पूछे जाने पर क्या जोमैटो के शेयरों में अंडरवैल्यूएशन है, अश्विनी का कहना था कि कंपनी का शेयरों का मौजूदा लेवल पर्याप्त स्तर पर पहुंच चुका है। उनका कहना है कि जोमैटो जैसी कई ग्लोबल कंपनियां ब्रेक-इवन हासिल कर चुकी हैं या उनका नेट मार्जिन 18-19 पर्सेंट रहने का अनुमान है, जबकि इन मापदंडों के मामले में जोमैटो काफी पीछे है। उन्होंने कहा कि जोमैटो को अपनी मौजूदा वैल्यूएशन को सही ठहराने के लिए मार्जिन में काफी सुधार करना होगा और रेवेन्यू ग्रोथ में काफी बढ़त हासिल करनी होगी। अश्विनी के हिसाब से यह स्टॉक ओवरवैल्यूएशन का शिकार है।

रूरल ग्रोथ थीम बेहतर विकल्प

अश्विनी शमी ने कहा कि रूरल ग्रोथ थीम बेहतर विकल्प है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कंजम्प्शन में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, यह इतना व्यापक थीम है कि इसमें कई बड़ी कंपनियां शामिल हो जाएंगी, लिहाजा निवेश के आकर्षक विकल्प की तलाश करने के लिए अलग रणनीति बनाने की जरूरत है। साथ ही, यह भी पता करने की जरूरत है कि अच्छी वैल्यूएशन पर ऐसी कौन सी कंपनियां निवेश के लिए उपलब्ध हैं, जिनके फंडामेंटल्स भी मजबूत हैं।


अमेरिकी घटनाक्रम से शेयर बाजार पर कितना असर?

अश्विनी का कहना था कि उनके हिसाब से अमेरिका के हालिया एंप्लॉयमेंट डेटा और PMI इंडेक्स के आंकड़ों से अमेरिकी बाजार में बड़ी बिकवाली के आसार नहीं हैं। साथ ही, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती होने पर फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) अमेरिका से अपना निवेश हटाकर भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स में लगा सकते हैं।

उनका यह भी मानना था मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक फिलहाल लार्जकैप इंडेक्स के मुकाबले काफी प्रीमियम पर हैं।

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