Dark Patterns : ई-कॉमर्स, एविएशन और कैब एग्रीगेटर्स के डार्क पैटर्न पर कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय ने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार, कंपनियों से ग्राहकों के साथ पारदर्शिता बरतने के निर्देश देगी। इस खबर पर ज्यादा डिटेल देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के असीम मनचंदा ने कहा कि डिजिटल कामर्स कंपनियों के डार्क पैटर्न पर सरकार सख्त हो गई है। इस मुद्दे पर कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय द्वारा आज बुलाई गई बैठक में अमेजन, फ्लिपकार्ट और Meesho के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें MakeMyTrip, पेटीएम, ओला, ऊबर के अधिकारी भी शामिल होंगे। बैठक में सरकार ग्राहकों के साथ पारदर्शिता बरतने के निर्देश देगी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री की अध्यक्षता में ये बैठक होगी। इस बैठक में कई फूड, फार्मेसी, यात्रा, सौंदर्य प्रसाधन, खुदरा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां भाग लेंगी। साथ ही कई लिस्टेड कंपनियां भी शामिल होंगी।
सरकार ने डार्क पैटर्न पर पिछले साल गाइडलाइन जारी की थी। हाल में ही सरकार ने उबर को इस मुद्दे पर नोटिस भी जारी किया है। कैब एग्रीगेटर कंपनियां एडवांस टिप की मांग रख रही हैं।
डार्ट पैटर्न में ग्राहकों के शापिंग बास्केट में कोई चीज जोड़ देने के मामले शामिल होते है। इसमें ग्राहकों को बताया जाता है की डील महज कुछ घंटों के लिए है। इससे ग्राहकों में मौका चूकने का डर पैदा होता है और हड़बड़ाहट में बिना सोचे-समझे खरीदारी करते हैं। इसके अलावा फ्लाइट टिकट से साथ ट्रैवल इंश्योरेंस के जोड़ देना और ग्राहकों को लुभाने के लिए ऑफर देना और उसे बदल देना भी डार्ट पैटर्न में शामिल हैं। आसान शब्दों में कहें तो डार्क पैटर्न एक तरह का यूजर इंटरफेस होता है जो इस तरह से डिजाइन किया जाता है जिससे कंपनी का फायदा हो सके।
कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट के भाव और प्रोडक्ट डिटेल से जुड़ी कुछ चीजें हाइड करती हैं या ऐसी जगह रखती हैं जहां यूजर्स को दिखता नहीं है। कई बार प्रोडक्ट खरीदने के लिए कंपनी एक अर्जेंसी बना देती हैं। कई बार आपको कोई बेहतर डील कुछ समय के लिए दिखती है,उस पर टाइमर लगा होता है। ऐसे में ग्राहक को लगता है कि इसे अभी नहीं खरीदा तो उसे ऑफर्स का फायदा नहीं मिल पाएगा और वो फटाफट वो प्रोडक्ट खरीद लेता है। कुल मिलाकर कहें तो डॉर्क के जरिए कंपनियां ग्राहकों को मैनिपुलेट करती हैं,जिससे वो उनका प्रोडक्ट खरीद लेते हैं। डार्क पैटर्न सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं होता है, बल्कि कंपनियां इसे ऑफलाइन भी करती हैं।