Dhanteras 2025: भारतीय परिवारों में गोल्ड के गहनों के खरीदारी की एक परंपरा रही है। इसे कठिन समय के लिए इंतजाम के तौर पर देखा जाता रहा है। हालांकि समय के साथ गोल्ड में निवेश के नए-नए तरीके भी सामने आए हैं जिनसे फिजिकल गोल्ड यानी कि सिर्फ गहने ही नहीं बल्कि गोल्ड बार या गोल्ड कॉइन के साथ-साथ पेपर गोल्ड का भी विकल्प सामने आया है जैसे कि गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) या गोल्ड ईटीएफ फंड ऑफ फंड (Gold ETF FoF)। चूंकि फिजिकल गोल्ड में सुरक्षा से जुड़ी चिंता रहती है और साथ ही गहने के मामले में मेकिंग चार्जेज और लॉकर चार्जेज इत्यादि खर्च एक्स्ट्रा होते हैं।
डिजिटल तरीके से गोल्ड की खरीदारी पर शुद्धता, मेकिंग चार्जेज या स्टोरेज से जुड़ी चिंता खत्म हो जाती है। ऐसे में पेपर गोल्ड तेजी से चलन आ रहा है। यहां बड़ौदी बीएनपी पारिबास म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) प्रशांत पिंपल (Prashant Pimple) गोल्ड के आधुनिक तरीके के बारे में बता रहे हैं ताकि इस धनतेरस निवेश से जुड़े उचित फैसले ले सकें।
क्या है Gold ETFs और Fund of Funds?
पहले गोल्ड ईटीएफ की बात करें तो इनकी स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग होती है और गोल्ड की कीमतों के हिसाब से ऊपर-नीचे होते हैं। गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स के लेन-देन ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है और इसके यूनिट होल्ड करने के लिए डीमैट खाते की जरूरत पड़ती है। वहीं गोल्ड ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स की बात करें तो इसके जरिए भी निवेशक अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड को शामिल कर सकते हैं और यह ऐसे खुदरा निवेशकों के लिए है जिनके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट नहीं है। यह एक म्यूचुअल फंड स्कीम होती है जिसमें एसआईपी या एसटीपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। ध्यान दें कि एसटीपी में एकमुश्त पैसे डालने होते हैं।
Equity or Gold: कितना चमकीला है गोल्ड में निवेश?
पूंजी बनाने के लिए एक और विकल्प स्टॉक मार्केट में निवेश है। हालांकि मार्केट की मौजूदा उठा-पटक में गोल्ड में एक बार फिर अपनी चमक बिखेरी और प्रशांत के मुताबिक यह इस प्रकार की उठा-पटक के दौरान पोर्टफोलियो को संभालने में मदद करने करता है और बढ़ती महंगाई से भी लड़ने में भी सक्षम है। उनका कहना है कि अधिकतर समय ऐसे आए हैं, जब गोल्ड ने शेयर मार्केट की तुलना में अधिक तगड़ा रिटर्न दिया है। पिछले 10 साल में इसने कई एसेट क्लास से बेहतर सालाना 15% की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से रिटर्न दिया है। वैश्विक आर्थिक संकट, कोरोना महामारी या जियोपॉलिटिकल टेंशन जैसी उथल-पुथल के बीच भी इसने पोर्टफोलियो को संभाले रखा और अब इक्विटी का एक आकर्षक विकल्प पेश किया है।
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