ऐप पर लोन देने वाली कंपनियां फिर से लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रही हैं। इस बार डिजिटल लेंडिंग (Digital Lending) के नाम पर यह खेल चल रहा है। दरअसल, कोरोना (Covid-19 Pandemic) की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई। कई लोग इलाज पर ज्यादा खर्च (Medical Expenditure) की वजह से कंगाल हो गए हैं। ये कंपनियां फिर से ऐसे लोगों का फायदा उठा रही हैं।
ये ऐप के जरिए फटाफट लोन दे रही हैं। ये यह भी नहीं देखती कि लेने वाले व्यक्ति के पास उसे चुकाने के लिए इनकम है या नहीं। फिर इन कंपनियों के रिकवरी एजेंट लोन वसूली के नाम पर ग्राहकों के साथ बदतमीजी करते हैं। इससे परेशान कई लोगों के खुदकुशी करने तक की खबरें हैं।
संदीप कोरेगांव ने एक लेंडिंग ऐप से 5000 रुपये का लोन लिया था। पुलिस ने बताया कि कारेगांव फाइनेंशियल क्राइसिस में थे। कुछ समय बाद लोन की वसूली के लिए रिकवरी एजेंट्स उनके घर पहुंच गए। उन लोगों ने कोरेगांव के साथ बदतमीजी शुरू कर दी। यहां तक कि एक न्यूड फोटो को मॉर्फ कर उस पर कोरेगांव का चेहरा लगा दिया। फिर उसे उनके सभी कॉन्टैक्ट्स को भेज दिए। संदीप के भाई दतागुरु कोरेगांव ने मनीकंट्रोल को बताया, "रिकवरी एजेंट्स के लगातार उत्पीड़न से तंग आकर उन्होंने खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया।"
एक दूसरे मामले में कार शो रूम में काम करने वाले 22 साल के एम राजकुमार को भी कथित रूप से खुदकुशी करने पर मजबूर होना पड़ा। लोन ऐप के रिकवरी एजेंट्स से तंग आकर उन्होंने हैदराबाद में अपने घर में फांसी लगा ली। उन्होंने इस ऐप के जरिए 12,000 रुपये का लोन लिया था। लेकिन, वह 8000 रुपये ही वापस कर पाए थे।
हैदराबाद में डिजिटल लेंडिंग के नाम पर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बाद तेलंगाना के साइबर क्राइम सेल ने ऐसे 135 फेक लोन ऐप्स की लिस्ट 5 मई को जारी की, जो तुरंत लोन देने के नाम पर लोगों को लुभाते हैं। इनमें यूपीए लोन, एमआई रुपी और Hoo Cash शामिल हैं। मनीकंट्रोल इनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए तुरंत इन ऐप से संपर्क नहीं कर सका।
मनीकंट्रोल की एनालिसिस से पता चला है कि डिजिटल लेंडिंग कंपनियों से लोन लेने वाले कम से कम 20 लोगों ने पिछले छह महीनों में खुदकुशी की है। हैदराबाद से ऐसे ज्यादा मामले आने की खबर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में इंडिया में खुदकुशी की कुल मामलों में कर्ज या दिवालिया होने की वजह से खुदकुशी करने वाले लोगों की हिस्सेदारी 3.4 फीसदी थी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 के चलते लॉकडाउन की वजह से फटाफट लोन देने वाले ऐप्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। ये महामारी की वजह से लोगों की लाचारी का फायदा उठा रहे हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, कोरोना की महामारी की वजह से देश में करीब 70 लाख लोगों की नौकरी चली गई।
RBI की वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इंडिया में ऐसे फर्जी 600 लेंडिंग ऐप्स की पहचान की गई थी, जो लोगों को फटाफट लोन दे रहे थे। इंडियन एंड्रॉयड यूजर्स को करीब 1,100 लेंडिंग एप्स फटाफट लोन दे रहे हैं। RBI के पोर्टल 'Sachet' को डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के खिलाफ करीब 2,562 शिकायतें मिली हैं।