क्या है इनकम टैक्स की e-Dispute Resolution Scheme, इसका फायदा उठाने का प्रोसेस क्या है?

टैक्सपेयर जिसकी इनकम इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के मुताबिक 50 लाख रुपये तक है और वेरिएशन का एग्रीगेट अमाउंट 10 लाख से कम है, वह इस स्कीम के तहत अप्लिकेशन फाइल कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह स्कीम 2022 में ही नोटीफाइ कर दी थी। अब उसने इसे एनेबल किया है

अपडेटेड Sep 04, 2024 पर 12:12 PM
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इस स्कीम के तहत इनकम टैक्स का प्रिंसिपल और उसके इंटरेस्ट का पेमेंट करना होता है। लेकिन, टैक्सपेयर्स पर लगने वाली पेनाल्टी को कम या माफ किया जा सकता है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने 30 अगस्त को ई-डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन स्कीम पेश की। इससे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2022 में इस स्कीम को नोटिफाइ किया था। इसका मकसद टैक्स से जुड़े विवाद के मसलों का जल्द समाधान करना है। टैक्सआराम डॉट कॉम के फाउंडर मयंक मोहनका ने कहा ई-डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन स्कीम 2022 में नोटिफाइ हुई थी। अब सीबीडीटी ने ऑनलाइन अप्लिकेशन की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग की सुविधा शुरू कर दी है। अब अप्लिकेशन इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए निर्धारित फॉर्म 34बीसी के जरिए फाइल किया जा सकता है।

कौन फाइल कर सकता है अप्लिकेशन?

टैक्सपेयर जिसकी इनकम इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के मुताबिक 50 लाख रुपये तक है और वेरिएशन का एग्रीगेट अमाउंट 10 लाख से कम है, वह इस स्कीम के तहत अप्लिकेशन फाइल कर सकता है। मोहनका ने कहा, "सैलरीड टैक्सपेयर्स सहित कोई व्यक्ति जो तय शर्तें पूरी करता है वह इस स्कीम के तहत अप्लिकेशन फाइल कर सकता है। उदाहरण के लिए सैलरीड टैक्सपेयर्स जिनकी इनकम (आईटीआर के मुताबिक) 50 लाख रुपये तक है और जिसे एसेसमेंट ऑर्डर मिला है, जिसमें एचआरए क्लेम या सेक्शन 80सी क्लेम के मामले में डिसअलाउन्सेज 10 लाख रुपये तक है, वह इस स्कीम के तहत टैक्स से जुड़े अपने मामले का निपटारा कर सकता है। इससे इनकम की अडर-रिपोर्टिंग या मिस-रिपोर्टिंग के मामले में वह सेक्शन 270ए के तहत पेनाल्टी से बच जाएगा। "


इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए क्या शर्तें हैं?

कुछ दूसरी शर्तें भी हैं। उदाहरण के लिए, टैक्सपेयर्स के खिलाफ कंजरवेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट, 1974 के तहत किसी तरह के डिटेंशन नहीं चल रहा हो। हालांकि, यह प्रतिबंध तब लागू नहीं होगा अगर ऐसे ऑर्डर को कोर्ट की तरफ से खारिज कर दिया गया है। इसके अलावा अगर टैक्सपेयर को अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट, 1967, नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंसेज एक्ट, 1985, प्रोबिशन ऑफ बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट, 1988, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 1988 (1988 का 49) और प्रवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत सजा हुई है तो वह इस स्कीम के तहत अप्लिकेशन फाइल नहीं कर सकता है।

इस स्कीम से टैक्सपेयर्स को क्या फायदा होगा?

मोहनका ने कहा कि इस स्कीम के तहत इनकम टैक्स का प्रिंसिपल और उसके इंटरेस्ट का पेमेंट करना होता है। लेकिन, टैक्सपेयर्स पर लगने वाली पेनाल्टी को कम या माफ किया जा सकता है। इस बारे में डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन कमेटी फैसला लेगी। यह एक तरह से 'विवाद से विश्वास' की तर्ज पर एक तरह की अमनेस्टी स्कीम है। लेकिन, इसमें अप्लिकेशन फाइल करने के लिए कोई डेडलाइन नहीं है। यह स्कीम इस मामले में अलग है कि इसमें पेनाल्टी घटाई या माफ की जा सकती है, लेकिन टैक्सपेयर्स को भेजे गए इंटरेस्ट डिमांड को माफ नहीं किया जा सकता।

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अप्लिकेशन फाइल करने का प्रोसेस क्या है?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बारे में FAQ (फ्रीक्वेंट्ली आस्क्ड क्वेश्चन) जारी किया है। इसके मुताबिक, टैक्सपेयर्स को e-DRC (डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन कमेटी) के पास जाना होगा। इस कमेटी के पास टैक्स के पेमेंट के बाद सजा माफ करने का पेनाल्टी घटाने का अधिकार है। इसका मकसद विवादित मसलों का जल्द निपटारा है। टैक्सपेयर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के टैक्स पोर्टल पर लॉग-इन कर e-DRS मॉड्यूल को एक्सेस कर सकता है। लॉग-इन करने के बाद उसे डैशबोर्ड पर ई-फाइल सेलेक्ट करना होगा। उसके बाद इनकम टैक्स फॉर्म्स पर जाना होगा। फिर फाइल इनकम टैक्स फॉर्म्स को सेलेक्ट करना होगा।

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