एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) की रिटायरमेंट प्लानिंग में बड़ा रोल है। हर महीने कंट्रिब्यूशन से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार होता है, जो रिटायरमेंट बाद काफी मददगार साबित होता है। सवाल है कि ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूशन रोकने पर क्या होगा?
एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) की रिटायरमेंट प्लानिंग में बड़ा रोल है। हर महीने कंट्रिब्यूशन से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार होता है, जो रिटायरमेंट बाद काफी मददगार साबित होता है। सवाल है कि ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूशन रोकने पर क्या होगा?
ईपीएफ अकाउंट में हर महीने होता है कंट्रिब्यूशन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि EPF में कंट्रिब्यूशन रुकने का असर रिटायरमेंट फंड की ग्रोथ पर पड़ता है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग ईपीएफओ के दायरे में आते हैं। एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में हर महीने दो तरह से कंट्रिब्यूशन होता है। पहला, हर महीने एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी (प्लस डीए) का एक हिस्सा उसके ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। एंप्लॉयर भी हर महीने एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में बराबर (एंप्लॉयीज जितना) कंट्रिब्यूशन करता है।
नौकरी छोड़ने पर रुक जाता है अकाउंट में कंट्रिब्यूशन
एंप्लॉयी के नौकरी छोड़ते ही उसके ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूशन रुक जाता है। कई बार एंप्लॉयी एक नौकरी छोड़ दूसरी नौकरी ज्वाइन करता है। यह हो सकता है कि नई कंपनी ईपीएफ एक्ट के दायरे में नहीं आती हो। ऐसे में उसके ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूशन रुक जाता है। ईपीएफओ के नियमों के मुताबिक, ईपीएफ अकाउंट के एक्टिव (Operative) रहने पर ही उसमें जमा पैसे पर इंटरेस्ट मिलता है।
तीन साल तक कंट्रिब्यूशन नहीं तो अकाउंट इनऑपरेटिव
ईपीएफ अकाउंट में अगर 36 महीनों तक कंट्रिब्यूशन नहीं होता है तो वह 'inoperative' हो जाता है। उससे पहले अकाउंट में जमा पैसे पर इंटरेस्ट मिलना जारी रहता है। हालांकि, ईपीएफ अकाउंट के इनऑपरेटिव होने के बाद भी उसमें जमा पैसा EPFO के पास सुरक्षित रहता है। इसे निकालके लिए नियम और शर्तें हैं। लेकिन, इनऑपरेटिव अकाउंट में पैसा पड़े रहने के काफी नुकसान हैं। आप उस पर इंटरेस्ट कमाने का मौका गंवा देते हैं। अभी ईपीएफ का इंटरेस्ट रेट 8.25 फीसदी है।
नौकरी अगर 5 साल पुरानी नहीं है तो विड्रॉल पर टैक्स
व्यक्ति अगर दो महीनों से ज्यादा समय तक बेरोजगार रहता है तो वह ईपीएफ में जमा अपना पैसा निकाल सकता है। अगर आपकी नौकरी 5 साल पुरानी नहीं है तो ईपीएफ से निकाले गए पैसे पर आपको टैक्स चुकाना होगा। इस पर आपको अपने इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप नौकरी बदलते हैं तो आपको अपना अकाउंट जल्द नए एंप्लॉयर के पास ट्रांसफर करा लेना चाहिए।
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नौकरी बदलते ही ईपीएफ में जमा पैसे को कराएं ट्रांसफर
ईपीएफ अकाउंट में कुछ सालों के बाद अच्छा पैसा जमा हो जाता है। इस पर मिलने वाला इंटरेस्ट रेट भी काफी अट्रैक्टिव है। इसलिए ईपीएफ अकाउंट के लंबे समय तक इनऑपरेटिव होने से आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसका सीधा असर आपके रिटायरमेंट फंड पर पड़ेगा। आप अपने ईपीएफ अकाउंट में जमा पैसे को ऑनलाइन भी ट्रांसफर करा सकते हैं।
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