हर निवेशक की सबसे पहली चिंता होती है कि उसका पैसा सुरक्षित भी रहे और उस पर अच्छे रिटर्न भी मिलें। इसी को ध्यान में रखते हुए दो सबसे लोकप्रिय विकल्पों जैसे कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) की तुलना की जाती है। दोनों ही योजनाएं भरोसेमंद हैं, लेकिन इनका उद्देश्य और फायदा अलग-अलग है।
EPF: रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित योजना
EPF यानी Employee Provident Fund एक सरकारी स्कीम है, जिसे खास तौर पर नौकरीपेशा लोगों के लिए बनाया गया है। इसमें कर्मचारी की सैलरी का 12% हर महीने कटकर EPF खाते में जाता है, और इतनी ही राशि नियोक्ता भी जमा करता है। यह रकम लंबे समय में एक बड़ी सेविंग बन जाती है, जिसे रिटायरमेंट के समय निकाला जा सकता है।
इसके अलावा, सरकार हर साल इस पर ब्याज दर तय करती है, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह दर 8.25% है। यह ब्याज टैक्स-फ्री होता है, और आपकी पूरी पूंजी भी सरकार की गारंटी के तहत सुरक्षित रहती है।
RD: छोटी मगर लचीली निवेश योजना
रिकरिंग डिपॉजिट (RD) बैंकों और पोस्ट ऑफिस द्वारा पेश की जाने वाली एक सिस्टेमेटिक सेविंग स्कीम है। इसमें निवेशक हर महीने एक निश्चित रकम जमा करता है और मैच्योरिटी पर उसे ब्याज समेत रकम वापस मिलती है।
RD की ब्याज दरें बैंकों के अनुसार 6% से 7.5% के बीच रहती हैं। यह योजना उन लोगों के लिए बेहतर है जो हर महीने थोड़ा-थोड़ा बचाकर अपने छोटे या मध्यम वित्तीय लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं। हालांकि, इसमें मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स के दायरे में आता है।
EPF में किए गए निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, और अगर आपने पांच साल या उससे ज्यादा समय तक योगदान दिया है, तो इसकी मैच्योरिटी राशि पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है।
RD के मामले में ऐसा नहीं है। RD से मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है और उस पर व्यक्ति के इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है।
निकासी की बात करें तो RD से पैसों की पहले निकासी आसान होती है, जबकि EPF से पैसे सिर्फ खास परिस्थितियों जैसे मेडिकल इमरजेंसी या घर खरीदने में ही निकाले जा सकते हैं।
कौन सी स्कीम है आपके लिए बेहतर?
अगर आपका उद्देश्य लंबे समय तक सुरक्षित बचत और रिटायरमेंट फंड बनाना है, तो EPF आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प है। वहीं, अगर आप हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर छोटी अवधि में कुछ लक्ष्यों को पूरा करना चाहते हैं, तो RD बेहतर साबित हो सकती है।