आज अच्छे कॉलेज से इंजीनिरिंग, मेडिकल या दूसरे प्रोफेशन की पढ़ाई करने वाले लोगों को नौकरी मिलने में दिक्कत नहीं आती है। इतना ही नहीं, कंपनियां आजकल काफी अच्छी सैलरी भी ऑफर कर रही हैं। अगर आपकी या आपके परिवार में किसी की नई नौकरी लगी है तो उसे फाइनेंशियल प्लानिंग में देर नहीं करनी चाहिए। इससे 14-15 साल बाद आपके लिए काफी अच्छा फंड तैयार हो जाएगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फाइनेशियल प्लानिंग आप जितनी जल्द करेंगे, उतना ज्यादा फायदा आपको होगा।
1. अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति को समझें
सबसे पहले आपको अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति को समझने की कोशिश करनी होगी। आपको यह देखना होगा कि आपकी कुल इनकम कितनी है और आपकी जिम्मेदारियां कितनी हैं। नौकरी शुरू करने वाले लोगों की जिम्मेदारियां अलग-अलग होती हैं। ज्यादातर लोगों पर कोई जिम्मेदारी नहीं होती है, जबकि कुछ लोगों पर अपने माता-पिता या भाई-बहन की जिम्मेदारी होती है।
अपनी जिम्मेदारी और इनकम को समझ लेने के बाद आपको शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म लक्ष्य (Goals) तय करने होंगे। जैसे कार खरीदाना आपका शॉर्ट टर्म लक्ष्य हो सकता है। बच्चों का एजुकेशन मीडियम टर्म लक्ष्य हो सकता है, जबकि रिटायरमेंट प्लानिंग लॉन्ग टर्म टारगेट होगा। हर लक्ष्य के हिसाब से आपको फंड तैयार करना होगा।
तीसरा कदम एक ऐसा बजट बनाना होगा, जो व्यावहारिक हो। कई लोग पहले खर्च करते हैं, उसके बाद सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के बारे में सोचते हैं। बुद्धिमानी यह है कि पहले सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के लिए इनकम से जरूरी पैसे निकाल लिए जाए फिर खर्च के लिए पैसे तय कर दिए जाए। इनवेस्टमेंट और जरूरी खर्चों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
आपको अपनी इनकम से हर महीने कुछ पैसे इमर्जेंसी फंड बनाने के लिए निकालना होगा। इमर्जेंसी फंड आपके कम से कम छह महीनों के खर्च के लिए पर्याप्त होना चाहिए। जैसे आपकी मंथली सैलरी 1 लाख रुपये है तो आपके इमर्जेंसी फंड में 6 लाख रुपये होने चाहिए। इस फंड को बनाने के लिए आप अपने वेरिएबल पे या बोनस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
खुद के लिए टर्म और हेल्थ पॉलिसी बहुत जरूरी है। कम उम्र में टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपका प्रीमियम काफी कम आएगा। यह प्रीमियम तब तक फिक्स्ड रहेगा, जब तक आपकी पॉलिसी चलती रहेगी। यह फायदा हेल्थ इंश्योरेंस के साथ नहीं है। लेकिन, हेल्थ इंश्योरेंस अचानक बीमार पड़ने पर आपको हॉस्पिटल के भारी बिल से बचाएगा।
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6. सेविंग्स और इनवेस्टमेंट
आखिर में आपको अपने वित्तीय लक्ष्य के लिए सेविंग्स और इनवेस्टमेंट पर फोकस करना होगा। लॉन्ग टर्म ऑब्जेक्टिव के लिए आप NPS में कंट्रिब्यूशन शुरू कर सकते हैं। मीडियम टर्म यानी बच्चों के एजुकेशन या घर खरीदने के लिए आप म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीम में इनवेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म के लिए आप बैंक के रेकरिंग डिपॉजिट यह हाइब्रिड म्यूचुअल फंड की स्कीम में SIP से निवेश कर सकते हैं।