‘बिग बिलियन डेज’ और ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल’ सेल में होगी देरी? सरकार के फैसले से बढ़ी फ्लिपकार्ट और एमेजॉन की उलझन
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन की की फेस्टिव सेल- Big Billion Days और reat Indian Festival में इस बार देरी हो सकती है। इसकी वजह सरकार का GST स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव है। जानिए कंपनियां उलझन में क्यों हैं और ग्राहक भी महंगे होम अप्लायंसेज की खरीदारी क्यों टाल रहे हैं।
‘बिग बिलियन डेज’ और ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल’ सेल हर साल सितंबर के मध्य में शुरू होती है।
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर्स के लिए फेस्टिव सीजन काफी अहमियत रहती है। उनकी बिक्री का बड़ा हिस्सा इसी त्योहारी सीजन के दौरान आता है। ग्राहक भी फ्लिपकार्ट के 'बिग बिलियन डेज' और एमेजॉन के 'ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल' का बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि इस दौरान स्मार्टफोन, टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसी चीजों पर भारी डिस्काउंट मिलता है।
लेकिन, इस बार लगता है कि फेस्टिव सीजन का इंतजार कुछ लंबा खिंच सकता है। दरअसल, ईकॉमर्स कंपनियां सरकार के हालिया जीएसटी फैसले को उलझन में हैं।
क्या है ईकॉमर्स कंपनियों की चिंता?
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन के सामने सवाल ये है कि वे अपनी ब्लॉकबस्टर फेस्टिव सेल तय समय पर लॉन्च करें या फिर 3–4 सितंबर को होने वाली GST काउंसिल की बैठक के नतीजे का इंतजार करें। वजह है 28% GST स्लैब में बदलाव की संभावना, जो अप्लायंसेज और फर्नीचर जैसे महंगे उत्पादों की प्राइस और डिमांड पर सीधा असर डाल सकती है।
फिलहाल GST 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब में लागू है। केंद्र सरकार इसे सरल बनाकर सिर्फ 5% और 18% का दो-स्लैब सिस्टम लाना चाहती है। अगर ये लागू हुआ, तो कई महंगे प्रोडक्ट्स की कीमतों में काफी बदलाव आ सकता है।
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन पर असर
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी कंपनियों की ‘बिग बिलियन डेज’ और ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल’ सेल हर साल सितंबर के मध्य में शुरू होती है। इनसे इनकी सालाना कमाई का करीब 25% आता है। लेकिन बड़े प्रोडक्ट्स पर टैक्स बदलने की अटकलों ने इस बार उनकी रणनीति उलझा दी है।
इसी वजह से कई ई-कॉमर्स कंपनियां चाहती हैं कि सरकार बैठक से पहले ही साफ संकेत दे। सूत्रों के मुताबिक, एक बड़ी कंपनी लगातार पॉलिसी-मेकर्स से संपर्क कर रही है। एक अधिकारी ने बताया, 'कंपनियां चाहती हैं कि जीएसटी पर जल्द फैसला हो, वरना एसी, फ्रिज और दूसरे अप्लायंसेज की बिक्री में 25–30% तक गिरावट आ सकती है।'
ग्राहक भी टाल रहे हैं खरीदारी
यह उलझन सिर्फ कंपनियों को नहीं, ग्राहकों को भी प्रभावित कर रहा है। महंगे प्रोडक्ट्स लेने वाले कई लोग अभी खरीद से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि GST घटने पर सामान सस्ता मिल सकता है। मार्केट रिसर्च फर्म डाटम इंटेलिजेंस के फाउंडर सतीश मीणा ने कहा, 'ग्राहक फिलहाल इंतजार कर रहे हैं, उन्हें लगता है कि त्योहारी सेल के दौरान जीएसटी कम होगा और कीमतें घटेंगी।'
पहली तिमाही में कमजोर मांग के बाद मार्च से खर्च धीरे-धीरे बढ़ा है। एक्सपर्ट का मानना है कि अगस्त में जो खरीद रुकी है, वो सितंबर में GST पर तस्वीर साफ होते ही तेजी से वापसी करेगी।
कंपनियों की अलग-अलग रणनीति
हालांकि हर कंपनी सरकार से सीधी दखल की मांग नहीं कर रही। एक दूसरी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी ने अपने इंटरनल सर्वे के बाद ‘वेट-एंड-वॉच’ रणनीति अपनाई है।
कंपनी के एक सूत्र के मुताबिक, 'हमारे सर्वे ने दिखाया कि बड़े अप्लायंसेज पर GST का असर ज्यादा नहीं होगा। त्योहारी ऑफर और डिस्काउंट से इसकी भरपाई हो जाएगी। इसलिए हमने सरकार से सीधे संपर्क न करने का फैसला लिया।'
इस बार बड़ा है बिक्री पर दांव
डाटम इंटेलिजेंस की रिपोर्ट बताती है कि अगर जीएसटी पर समय रहते स्पष्टता मिल गई, तो 2025 की त्योहारी बिक्री 27% उछलकर ₹1.2 लाख करोड़ तक जा सकती है। यह 2024 के ₹1 लाख करोड़ और 2023 के ₹81,000 करोड़ से काफी ज्यादा होगा। लेकिन अगर अनिश्चितता बनी रही, तो बढ़त सिर्फ 5–7% तक सीमित रह जाएगी।
एक्सपर्ट का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को लॉजिस्टिक्स, स्टॉक और सप्लाई चेन की तैयारी हफ्तों पहले करनी पड़ती है। अगर टैक्स बदलाव में देरी हुई तो सारी तैयारी गड़बड़ा सकती है। मीणा के मुताबिक, 'अगर टैक्स रेट नहीं बदला या ऑर्डर प्रोसेस में देरी हुई, तो ग्राहक ऑफलाइन दुकानों से खरीद सकते हैं। ये ई-कॉमर्स सेल के लिए बड़ा झटका होगा।'
इस बीच केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने भी कंपनियों और ग्राहकों को अफवाहों से सावधान किया है। CBIC ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि जीएसटी पर फैसले सामूहिक रूप से काउंसिल ही लेती है। जल्दबाजी में अटकलें लगाना बाजार में अफरा-तफरी फैला सकता है।
फिलहाल सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियां दोहरी रणनीति बना रही हैं। पहली, अगर जीएसटी घटा तो क्या करें। दूसरी, अगर सबकुछ पहले जैसा रहा तो क्या करें। ऐसे में इस बार त्योहारी सेल की सफलता सिर्फ डिस्काउंट और ऑफर पर नहीं, बल्कि इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार कितनी जल्दी स्पष्टता देती है।