कार का इंश्योरेंस कराने का मकसद एक्सीडेंट या गाड़ी की चोरी जैसी स्थितियों में नुकसान से बचना होता है। पॉलिसीहोल्डर इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम करता है। इंश्योरेंस कंपनी एक्सीडेंट से होने वाले नुकसान की भरपाई करती है। कई बार एक्सीडेंट की वजह से कार को मामूली नुकसान पहुंचता है। कार की रिपेयरिंग कम पैसे में हो जाती है। सवाल है कि क्या ऐसे में आपको इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम करना चाहिए?
कम नुकसान होने पर इंश्योरेंस क्लेम लेने से हो सकता है लॉस
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कार को हल्के नुकसान की स्थिति में Insurance कंपनी में क्लेम करने का फैसला सोचसमझकर लेना चाहिए। इसमें जल्दबाजी करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। कई बार छोटी टक्कर की वजह से कार में स्क्रैच लग जाता है। बंपर टूट जाता है। कार में डेंट लग जाता है। ऐसे में इंश्योरेंस क्लेम नहीं करना अच्छा फैसला हो सकता है। क्लेम की वजह से आप नो-क्लेम बोनस का फायदा उठाने से चूक सकते हैं। कार के रिन्यूएबल के वक्त नो क्लेम बोनस से प्रीमियम का अमाउंट काफी घट जाता है।
क्लेम लेने पर नहीं मिलता है एनसीबी का फायदा
अगर आप छोटे रिपेयरिंग खर्च के लिए इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेते हैं तो आपको अगली बार पॉलिसी रिन्यू कराते वक्त ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है। मान लीजिए आपकी NCB 20-50 फीसदी के बीच है। ऐसे में स्क्रैज जैसी चीजों के लिए आपको अपनी जेब से कुछ हजार खर्च करने में काम हो सकता है। लेकिन क्लेम लेने की वजह से आपको रिन्यूएबल के वक्त उसके मुकाबले काफी ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम हिस्ट्री मॉनिटर करती हैं। बार-बार क्लेम लेने वाले ग्राहक को इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम में डिस्काउंट देने से इनकार कर सकती हैं।
सोचसमझकर लें इंश्योरेंस क्लेम लेने का फैसला
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आपको लगता है कि कार की हेडलाइट्स, विंडशील्ड्स या एडवान्स सेंसर्स को नुकसान पहुंचा है और इसकी रिपेयरिंग पर काफी ज्यादा खर्च आ सकता है तो आप इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम कर सकते हैं। इसके अलावा अगर थर्ड पार्टी व्हीकल या प्रॉपर्टी को नुकसान होता है तो आपके लिए क्लेम करना जरूरी हो जाता है, क्योंकि थर्ड-पार्टी लायबिलिटी कानून के तहत अनिवार्य है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाकी मामलों में क्लेम लेन का फैसला पॉलिसीहोल्डर के विवेक पर निर्भर करता है।