हायर एजुकेशन के लिए विदेश जाना चाहते हैं? 18-24 महीने पहले शुरू कर दें तैयारी

विदेश में पढ़ाई काफी महंगी है। लेकिन, अच्छे करियर की संभावना को देखते हुए कई परिवार इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेश में हायर एजुकेशन को फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट के रूप में देखा जा सकता है

अपडेटेड Dec 15, 2025 पर 8:10 PM
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कई ऐसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हैं, जिनमें एडमिशन होने पर बैंक कौलेटरल-फ्री लोन ऑफर करते हैं।

बड़ी संख्या में इंडियन स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए विदेश जाना चाहते हैं। साल दर साल यह संख्या बढ़ रही है। हालांकि, विदेश में पढ़ाई करना काफी महंगा है। लेकिन, अच्छे करियर को देखते हुए कई पेरेंट्स यह कीमत चुकाने को तैयार हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सही फाइनेंशियल प्लानिंग से विदेश में पढ़ाई के खर्च का इंतजाम किया जा सकता है। इसके लिए विदेश में हायर एजुकेशन को आपको लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट के रूप में देखना होगा।

कम से कम 18-24 महीने पहले शुरू कर दें तैयारी

Auxilo Finserve के एमडी और सीईओ नीरज सक्सेना ने कहा कि अगर आप बच्चे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं तो इसकी तैयारी आपको 18-24 महीने पहले शुरू कर देनी होगी। इससे परिवार को विदेश में पढ़ाई के खर्च का इंतजाम करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। आम तौर पर विदेश में पढ़ाई के खर्च में ट्यूशन फीस, वीजा फीस, ट्रैवल एक्सपेंसेज, विदेश में रहने का खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस आदि शामिल होते हैं।


ट्यूशन फीस के अलावा दूसरे फीस का भी रखें ध्यान

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई पेरेंट्स विदेश में पढ़ाई के खर्च में सिर्फ ट्यूशन फीस को ध्यान में रखते हैं। इससे बाद में उन्हें दिक्कत होती है। फॉरेन एजुकेशन से जुड़ी कंसल्टेंसी सर्विसेज देने वाली कंपनी Linked Global के डायरेक्टर केपी श्रीवास्तव ने कहा कि ट्यूशन फीस के अलावा पढ़ाई के दौरान विदेश में रहने और खानेपीने पर काफी पैसा खर्च होता है। फाइनेंशियल प्लानिंग में इसका ध्यान रखना जरूरी है। कुल खर्च का करीब 40-50 फीसदी रहने और खानेपीने पर खर्च हो जाता है।

कई बैंक फॉरेन स्टडी के लिए लोन ऑफर करते हैं

श्रीवास्तव ने कहा कि पेरेंट्स अपनी सेविंग्स का इस्तेमाल करने के साथ बैंक से फॉरेन स्टडी लोन ले सकते हैं। कई बैंक फॉरेन स्टडी के लिए लोन ऑफर करते हैं। कई ऐसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हैं, जिनमें एडमिशन होने पर बैंक कौलेटरल-फ्री लोन ऑफर करते हैं। इसका मतलब है कि लोन के लिए बैंक के पास कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखनी पड़ती है। पढ़ाई पूरी होने के बाद स्टूडेंट अगर विदेश में नौकरी करता है तो इससे लोन चुकाने में काफी आसानी हो जाती है।

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डॉलर-रुपये के एक्सचेंज रेट का भी रखें ख्याल 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेश में पढ़ाई के खर्च पर डॉलर और रुपये के एक्सचेंज रेट का भी असर पड़ता है। पिछले कुछ महीने में डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ है। इससे विदेश में पढ़ाई का खर्च बढ़ गया है। पेरेंट्स को करेंसी के एक्सचेंज रेट में उतारचढ़ा को भी ध्यान में रखना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेश में पढ़ाई के लिए पेरेंट्स को उन कोर्सेज पर फोकस करना चाहिए, जिनकी फीस उनके बजट के अंदर हो और पढ़ाई के बाद नौकरी लगने की ज्यादा संभावना हो।

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