अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट को खरीदना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें कई जोखिम भी होते हैं। लंदन में रहने वाले एक NRI ने गोदरेज प्रॉपर्टीज से फ्लैट खरीदा लेकिन कंपनी ने समय से पहले पेमेंट की मांग की और बुकिंग कैंसिल कर दी। महा रेरा में केस दर्ज होने के बाद एनआरआई को न्याय मिला और गोदरेज को पूरी पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश हुआ।
NRI ने रियल एस्टेट कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज के खिलाफ खरीदी गई प्रॉपर्टी को लेकर महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (MahaRERA) में शिकायत दर्ज की थी। लंदन में रह रहे एनआरआई के मुताबिक गोदरेज प्रॉपर्टीज ने फ्लैट के लिए पहले से तय तारीख दिसंबर 2017 से छह महीने पहले ही 60% पेमेंट की मांग की। मार्च 2018 में गोदरेज ने एनआरआई के पहले से पेमेंट किए गए 97 लाख रुपये को जब्त कर लिया और अप्रैल 2018 में 3.17 लाख रुपये का चार्ज (reinstatement fees) और 9 लाख रुपये ब्याज की मांग की। जबकि, एनआरआई ने बुकिंग को बनाए रखने का अनुरोध किया।
एनआरआई ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया और 2016 में रजिस्टर सेल डील के तहत पहले से पेमेंट किए गए 97 लाख रुपये वापस करने की मांग की। हालांकि, गोदरेज ने कानूनी आवश्यकताओं का हवाला देते हुए कोई भी पैसा वापस नहीं किया। बाद में महा रेरा अदालत में यह साबित हुआ कि एनआरआई की बुकिंग कैंसिल करने के बाद गोदरेज ने फ्लैट को किसी अन्य व्यक्ति को 'काफी अधिक' कीमत पर दोबारा बेच दिया था। इस झटके के बावजूद एनआरआई ने हार नहीं मानी और अदालत में गोदरेज को सभी पैसा ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया।
एनआरआई ने गोदरेज प्रॉपर्टीज के 'द ट्रीज' प्रोजेक्ट में दो फ्लैट खरीदे थे। पेमेंट प्लान के अनुसार कुल कीमत का 25% समझौते के रजिस्ट्रेशन पर 60% अंतिम मंजिल की स्लैब की खत्म होने पर और 15% फ्लैट के मिलने पर दिया जाना था। दोनों फ्लैटों को खरीदने का पैसा लगभग 2.83 करोड़ रुपये था, जिसमें एनआरआई ने 97 लाख रुपये का पेमेंट 2016 में रजिस्ट्रेशन के समय किया था।
गोदरेज के बुकिंग कैंसिल करने के बाद कोई आधिकारिक कैंसिलेशन डॉक्यूमेंट जारी नहीं किया गया और कोई पैसा वापिस नहीं किया गया। यही कारण था कि विवाद महा रेरा में दर्ज किया गया और बाद में महा रेरा अपीलीय ट्रिब्यूनल में निपटाया गया। रिपोर्ट के अनुसार गोदरेज ने इन 'रद्द किए गए फ्लैटों' को क्रमशः 1.679 करोड़ रुपये और 1.629 करोड़ रुपये में बेच दिया था।
गोदरेज के वकीलों ने महा रेरा में यह तर्क दिया कि सेल डील की की धारा 13(b), जिसे 'जप्ती खंड' के रूप में भी जाना जाता है, महाराष्ट्र फ्लैट स्वामित्व अधिनियम (MOFA) के तहत एक सामान्य खंड है, और रेरा पैनल इसे कैंसिल नहीं कर सकता। हालांकि, महा रेरा अपीलीय पैनल के न्यायाधीश ने कहा कि गोदरेज ने धारा-13(b) का उल्लेख किया था, जप्ती केवल 'अर्नेस्ट मनी' की हो सकती है। एनआरआई से लिए गए 97 लाख रुपये को 'अर्नेस्ट मनी' के रूप में नहीं बताया गया था। गोदरेज ने इसे फ्लैट की कुल कीमत के आंशिक पेमेंट के रूप में स्वीकार किया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद महा रेरा ने निष्कर्ष निकाला कि गोदरेज ने अनुचित नियमों का पालन किया और रेरा अधिनियम की धारा 7 का उल्लंघन किया। इसके परिणामस्वरूप महा रेरा ने गोदरेज को फ्लैट संख्या 503 के लिए 19.81 लाख रुपये (19,81,136 रुपये) और फ्लैट संख्या 504 के लिए 19.24 लाख रुपये (19,24,186 रुपये) वापस करने का आदेश दिया। इसके बाद दोनों NRI और गोदरेज ने महा रेरा अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील की। एनआरआई ने दावा किया कि वह रेरा अधिनियम की धारा 18 के तहत ब्याज के लिए भी हकदार हैं।