गोल्ड ने बीते करीब एक साल में शानदार रिटर्न दिया है। अक्टूबर 2023 के अपने प्राइस लेवल से यह 38 फीसदी चढ़ चुका है। इस दौरान निफ्टी का रिटर्न 28 फीसदी रहा है। गोल्ड की डिमांड बढ़ने की कई वजहें रही हैं। इनमें जियोपॉलिटिकल टेंशन, कई देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से गोल्ड की ज्यादा खरीदारी और आर्थिक अनिश्चितता के बीच गोल्ड में निवेश में दिलचस्पी शामिल है। हालांकि, बीते एक महीने से गोल्ड का प्राइस थोड़ी स्थिरता दिखा रहा है। सवाल है कि आगे गोल्ड में किस तरह का ट्रेंड रह सकता है?
अमेरिका में इंटरेस्ट रेट घटने का असर गोल्ड पर पड़ेगा
सोने (Gold) की कीमतें ग्लोबल फैक्टर्स पर निर्भर करेंगी। पहला, फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की मॉनेटरी पॉलिसी का असर सोने की कीमतों पर पड़ेगा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने इंटरेस्ट रेट घटाकर करीब जीरो फीसदी कर दिया था। 2022 से उसने इसे बढ़ाना शुरू किया। अभी यह 5.25 से 5.5 फीसदी के बीच है। उम्मीद है कि वह इस महीने इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है। इसका असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ेगा। अगर फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट में कमी करने में देर करता है तो भी अमेरिका में मंदी की बढ़ती आशंका की वजह से गोल्ड की डिमांड बढ़ेगी। इसकी वजह यह है कि गोल्ड को निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है।
चीन से आ सकती है अच्छी डिमांड
इस तरह मीडियम टर्म में गोल्ड के लिए अच्छी संभावना दिखती है। इधर, चीन सोने की सबसे ज्यादा खपत वाले देशों में शामिल है। चीन में गोल्ड की डिमांड उसकी कीमतों पर निर्भर है। अगर गोल्ड के मौजूदा हाई प्राइस पर मुनाफावसूली होती है तो चीन की तरफ से गोल्ड में अच्छी मांग देखने को मिल सकती है। कम से कम इतना तो पक्का है कि मीडियम टर्म में सोने की कीमतों में तेज गिरावट के आसार नजर नहीं आते।
गोल्ड निवेशकों की पहली पसंद बना सकता है
इधर, इंडिया में जुलाई में सरकार ने गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूट घटाने का ऐलान किया था। इसे 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया। यह 2013 के बाद गोल्ड पर सबसे कम इंपोर्ट ड्यूटी है। इंपोर्ट ड्यूटी में कमी से मध्यम से लंबी अवधि में गोल्ड की स्मगलिंग घटेगी, जिससे इंडिया में इसकी डिमांड बढ़ेगी। इसके अलावा निवेश के लिहाज से गोल्ड का कोई विकल्प नहीं है। कुछ महीने पहले इनवेस्टर्स शेयरों की तरफ भाग रहे थे। लेकिन, स्टॉक मार्केट्स के सूचकांक ऑल-टाइम हाई पर चल रहे हैं। पिछले एक साल में सरकारी बॉन्ड की यील्ड में भी कमी आई है। इससे बॉन्ड की कीमतों में ज्यादा तेजी आने की संभावना नहीं है। ऐसे में गोल्ड के निवेश की पहली पसंद बन जाने की उम्मीद है। इन वजहों से कुछ बैंक अगले साल तक गोल्ड की कीमतों में 20 फीसदी तेजी की उम्मीद जता रहे हैं।
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निवेशकों को क्या करना चाहिए?
छोटी अवधि में गोल्ड में करेक्शन या उतारचढ़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता। निवेशक अगर मीडियम से लॉन्ग टर्म के लिहाज से गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो उन्हें छोटी अवधि के उतारचढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि पोर्टफोलियो में गोल्ड का होना जरूरी है। इससे पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में मदद मिलती है। इसलिए अगर गोल्ड में शॉर्ट टर्म में उतारचढ़ाव आता है तो भी आपको पोर्टफोलियो में इसे बनाए रखना चाहिए।