सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) बंद कर दी है। यह फैसला 26 मार्च यानी आज से लागू हो गया है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी कर इस स्कीम के बंद होने की जानकारी दी है। ध्यान में रखने वाली बात है कि यह सरकार की गोल्ड से जुड़ी दूसरी स्कीम है, जिसे बंद करने का फैसला लिया गया है। इससे पहले सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (स्कीम) पर ताला लगा चुकी है। हालांकि, इस बारे में औपचारिक ऐलान नहीं किया गया। लेकिन, फरवरी 2024 के बाद से सरकार ने एसजीबी की नई किस्त जारी नहीं की है। इससे यह माना गया है कि सरकार इस स्कीम को जारी नहीं रखना चाहती।
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम क्या है?
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम यानी GMS की शुरुआत 15 सितंबर, 2015 को हुई थी। इस स्कीम के तहत व्यक्ति घर में बेकार पड़े सोने को डिपॉजिट कर सकता है। दरअसल, सरकार गोल्ड के आयात में कमी लाने के मकसद से यह स्कीम लॉन्च की थी। सरकार का मानना था कि लोग घरों में बेकार पड़े सोने को इस स्कीम में डिपॉजिट करेंगे, जिससे सोने का काम आयात करना पड़ेगा। इंडिया में सोने की सालाना खपत करीब 800 टन है, जबकि देश में सोने का सालाना उत्पादन सिर्फ एक टन है। इसलिए सरकार को हर साल काफी ज्यादा सोना आयात करना पड़ता है।
जीएमएस में सोना डिपॉजिट करने का क्या फायदा है?
इस स्कीम में सोना डिपॉजिट करने पर सरकार डिपॉजिटर को गोल्ड बॉन्ड इश्यू करती है। ये बॉन्ड 5 ग्राम, 10 ग्राम, 50 ग्राम और 100 ग्राम के होते हैं। ये 5-7 साल में मैच्योर कर जाते हैं। इन बॉन्ड्स पर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट का कैलकुलेशन गोल्ड डिपॉजिट करते वक्त सोने के मार्केट प्राइस के आधार पर होता है। सरकार की सोच थी कि इस स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट करने वाले लोगों को इंटरेस्ट के रूप में कमाई होगी, जिससे लोग इस स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट करने में दिलचस्पी दिखाएंगे।
क्या अब इस स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट नहीं कर पाएंगे?
आप अब भी घर में पड़े बेकार गोल्ड को इस स्कीम में डिपॉजिट कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि इस स्कीम में कुल तीन विकल्प थे। सरकार ने सिर्फ दो विकल्प को बंद किया है। पहला विकल्प शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट का है, जिसकी अवधि 1-3 साल है। दूसरा विकल्प मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट है, जिसकी अवधि 5-7 साल है। तीसरा विकल्प लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट है, जिसकी अवधि 12-15 साल है। यह ध्यान में रखने वाली बात है कि सरकार ने सिर्फ मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट को बंद किया है। शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) जारी रहेगा।
हालांकि, सरकार ने शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) पर भले ही रोक नहीं लगाई है, लेकिन उसने इसे जारी रखने का फैसला बैंकों पर छोड़ दिया है। इसका मतलब है कि बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से इस स्कीम को ग्राहकों को ऑफर कर सकते हैं। अगर किसी बैंक को ऐसा लगता है कि उसे इस स्कीम को जारी रखने की जरूरत नहीं है तो वह इसे बंद करने का फैसला ले सकता है। इसकी वजह यह है कि शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट स्कीम का इंटरेस्ट रेट बैंक खुद तय करते हैं। मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म डिपॉजिट का इंटरेस्ट रेट सरकार तय करती है। मीडियम टर्म बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट 2.25 फीसदी है, जबकि लॉन्ग टर्म बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट 2.5 फीसदी है।
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अगर आपने इस स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट किया है तो उसका क्या होगा?
इस स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट करने वाले लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने गोल्ड डिपॉजिट पर जो बॉन्ड इश्यू किए हैं, उसके पैसे डिपॉजिटर्स को मैच्योरिटी पर वापस कर दिए जाएंगे। जो डिपॉजिटर्स वापस फिजिकल गोल्ड लेना चाहते हैं, उन्हें फिजिकल गोल्ड मिल जाएगा।
डिपॉजटिर्स को अपने बॉन्ड पर इंटरेस्ट मिलेगा। अगर आपका बॉन्ड मैच्योर कर गया है तो आप उसे रिडीम करा सकते हैं। जिन लोगों के बॉन्ड्स आगे मैच्योर करने वाले हैं, उन्हें मैच्योरिटी पर अपने पैसे मिल जाएंगे। अगर डिपॉजिटर इस स्कीम से जुड़े अपने बॉन्ड को समय से पहले रिडीम कराना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। पहले से तय नियम के मुताबिक, उसे कुछ पेनाल्टी चुकानी होगी।