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सोने की कीमतों में 1986 के बाद दिखी ऐसी तेजी, टूटा 39 साल पुराना रिकॉर्ड; जानें 10 बड़ी वजह

सोना 2025 में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहा है। इसने 1986 के बाद अपनी सबसे बेहतरीन तिमाही दर्ज की है। गोल्डमैन सैक्स और बैंक ऑफ अमेरिका जैसे वित्तीय संस्थान गोल्ड के लिए ऊंचे टारगेट प्राइस दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि किन 10 वजहों से गोल्ड के दाम में तेजी देखने को मिल रही है और आगे क्या होगा।

अपडेटेड Apr 01, 2025 पर 5:51 PM
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2025 की पहली तिमाही के दौरान सोने की कीमत में 18.5% की बढ़ोतरी हुई है।

Gold Rally 2025: सोने ने रिटर्न देने के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसमें 2024 में जो जबरदस्त तेजी का सिलसिला शुरू हुआ था, वो 2025 में भी बदस्तूर जारी है। अब तक 2025 में सोने की कीमतों ने 20 अलग-अलग दिनों में अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा है, यानी इन 20 दिनों में सोने की कीमतें पहले से ज्यादा ऊंची रही हैं।

अगर 2025 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च की बात करें, तो सोने की कीमत में 18.5% की बढ़ोतरी हुई है। यह गोल्ड का पिछले करीब 4 दशक यानी 1986 के बाद से सबसे अच्छा तिमाही प्रदर्शन है। मंगलवार को भारतीय बाजार में 24 कैरेट गोल्ड का दाम 90,410 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 3,132.32 डॉलर प्रति औंस रही।

आइए जानते हैं कि किन 10 बड़ी वजहों के चलते गोल्ड ने 39 साल बाद अपनी सबसे अच्छी तिमाही दर्ज की है। साथ ही यह भी जानेंगे कि क्या सोने की कीमतों में तेजी का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।


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केंद्रीय बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी

पिछले तीन साल में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा है। इसकी वजह बड़े आर्थिक संकट से निपटने की तैयारी है। इसके चलते सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है।

आर्थिक अनिश्चितता और टैरिफ

दुनिया भर में आर्थिक मंदी की आशंका लगातार बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर ने इसे और भी ज्यादा हवा दिया है। इससे निवेशक गोल्ड जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली निवेश संपत्ति का रुख कर रहे हैं।

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें

अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों ने 2025 में और ब्याज दरों में कटौती करने के संकेत दिए हैं। इससे सोने जैसे बिना यील्ड वाले निवेश की अपील और बढ़ी है, जिस पर ब्याज घटने का असर नहीं पड़ता है।

भू-राजनीतिक तनाव और संघर्ष

दुनिया भर में सैन्य संघर्षों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव बढ़े हैं। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इजरायल-हमास और इजरायल-इराक जैसे संघर्ष शामिल हैं। इससे भी सुरक्षित निवेश के तौर पर गोल्ड की डिमांड बढ़ी है।

अमेरिकी डॉलर सूचकांक में गिरावट

जनवरी-मार्च तिमाही में डॉलर सूचकांक में 4.5% की गिरावट आई है। इससे दूसरी करेंसी में सोना खरीदना सस्ता हो गया। भारत और चीन जैसे कई देशों ने इसका भी फायदा उठाया है।

 

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निवेश के लिए मजबूत मांग

गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में भी अच्छा-खासा निवेश हो रहा है। इससे निवेशकों की सोने में निवेश की बढ़ती दिलचस्पी का पता चलता है। इसमें खासकर नई पीढ़ी के निवेशक भी शामिल हैं।

शेयर बाजार में अस्थिरता

पिछले कुछ समय से भारत और अमेरिका समेत दुनिया भर के कई शेयर बाजारों में काफी अस्थिरता देखने को मिल रही है। इस वजह से निवेशक गोल्ड स्थिर और सुरक्षित विकल्प मानकर खरीद रहे हैं।

वैश्विक ऋण स्तर में वृद्धि

दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते सरकारी ऋण ने वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं। इसमें खासकर अमेरिका भी शामिल है। इससे भी सोने की कीमतों को सहारा मिला है।

चीन के बीमा उद्योग की गोल्ड में एंट्री

चीन की टॉप 10 बीमा कंपनियों में से चार ने सोने को निवेश संपत्ति के रूप में स्वीकार किया है। इससे गोल्ड में अरबों डॉलर का नया निवेश आ सकता है। इन कंपनियों की कुल संपत्ति का अगर 1% भी गोल्ड में इन्वेस्ट किया जाता है, तो यह लगभग 183 टन सोने की खरीदारी के बराबर होगा।

अमेरिका में मजबूत मांग

अमेरिकी निवेशकों ने भारी मात्रा में सोना खरीदा है। Comex पर सोने की होल्डिंग्स अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। इससे सोने की कीमतों में और भी अधिक उछाल आ रहा है।

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क्या गोल्ड में तेजी जारी रहेगी?

कई आर्थिक जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में सोने का बुलिश ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है। खासकर, जब तक व्यापार विवाद और भू-राजनीतिक तनाव जैसी आर्थिक अनिश्चितताओं का खात्मा नहीं होता, या फिर उनमें कोई नरमी नहीं आती।

कुछ प्रमुख वित्तीय संस्थानों ने गोल्ड के लिए टारगेट प्राइस भी बढ़ाया है:

फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन टारगेट प्राइस (per ounce)

Goldman Sachs $3,300 to $4,500

Citi $3,200 to $3,500

Bank of America $3,350

ANZ $3,200

Macquarie $3,500

UBS $3,200

deVere Group $3,300

हालांकि, एनालिस्टों का यह भी मानना है कि गोल्ड की कीमतों में तेज गिरावट भी आ सकती है। उनका कहना है कि अगर आर्थिक अनिश्चतता से जुड़ी समस्याएं, जैसे कि ट्रेड वॉर और भू-राजनीतिक तनाव, हल हो जाती हैं, तो सोने की कीमतों में एकाएक तेज गिरावट भी देखने को मिल सकती है। उनका अनुमान है कि इस स्थिति में गोल्ड प्राइस $2,850 से $2,700 प्रति औंस तक आ सकती है।

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