Gold price Outlook: रिकॉर्ड ऊंचाई से 6% तक गिरा सोना, अब किस ओर जाएंगे दाम? जानिए एक्सपर्ट से
Gold price Outlook: सोने की कीमतें इस महीने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद 6% तक गिर गई हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, प्रॉफिट बुकिंग के अलावा भी कई फैक्टर कीमतों में गिरावट के जिम्मेदार हैं। जानिए किन वजह से गिरा सोने का भाव और आगे कैसा रहेगा कीमतों में का रुझान।
अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी गोल्ड की कीमतों पर दबाव बना रही है।
Gold price Outlook: सोने का भाव इस महीने ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन, उसके बाद इसमें तेज गिरावट आई है। इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड $4,381.21 प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई तक पहुंचा था। वह अब 6% से ज्यादा गिरकर $4,100 के आसपास आ गया है। यह 2013 के बाद का सबसे बड़ा एक दिन का नुकसान है। वहीं, भारत में सोने की कीमतें ₹1.32 लाख से गिरकर लगभग ₹1.21 लाख प्रति 10 ग्राम हो गई हैं। यह वैश्विक संकेत और मौसमी डिमांड में कमजोरी से मेल खाती हैं।
आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद किस वजह से गोल्ड की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। साथ ही, अब गोल्ड किस ओर आगे बढ़ेगा।
प्रॉफिट बुकिंग और सीजनल नरमी
एनालिस्टों का कहना है कि गोल्ड में हाल की गिरावट का मुख्य कारण तेज रैली के बाद निवेशकों का मुनाफा बुक करना है। साथ ही, त्योहारों के बाद सोने की मांग में नरमी आई है। निवेशक भी अपने जोखिम को दोबारा जांच रहे हैं। इससे सोने की सुरक्षित निवेश वाली मांग थोड़ी कमजोर हुई है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वाइस प्रेसिडेंट अक्षा कंबोज का कहना है, 'निवेशक प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं, जिससे कीमतें गिरती जा रही हैं। इसके अलावा त्योहारों के बाद मांग स्थिर हो गई है। वहीं, मजबूत अमेरिकी डॉलर ने सुरक्षित निवेश में खरीदारी को कम कर दिया है।'
अक्षा के मुताबिक, शॉर्ट टर्म में गोल्ड की खरीदारी धीमी हो सकती है। लेकिन, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को अभी भी गोल्ड में वैल्यू नजर आ रही है। खासकर शादी के सीजन से पहले।
टेक्निकल रिवर्सल के संकेत
मार्केट एनालिस्ट यह भी मानते हैं कि सोने में तकनीकी सुधार की जरूरत थी। एंजल वन के चीफ टेक्निकल रिसर्च एनालिस्ट तेजस शिगरेखर का मानना है कि सोना 'ऐतिहासिक रूप से ओवरबॉट स्तर' तक पहुंच गया था। इसके चलते कीमतों में बड़ी गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, 'सोने की कीमत अपने पीक से लगभग 6% गिर चुकी है, जो ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देती है। ट्रेडर्स अब पुट ऑप्शन्स में हिस्सेदारी ले रहे हैं, क्योंकि सीजनल मांग कमजोर होने के साथ गिरावट जारी रहने की उम्मीद है।'
मजबूत अमेरिकी डॉलर का असर
अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी सोने पर दबाव बना रही है। मजबूत डॉलर के कारण अन्य मुद्राओं में निवेशकों के लिए सोना महंगा हो जाता है, जिससे मांग घटती है। ऐतिहासिक रूप से, डॉलर और सोने का ट्रेंड उलट होता है, क्योंकि जब डॉलर मजबूत होता है तो नॉन-यील्ड यानी ब्याज न देने वाली संपत्तियों की मांग कम हो जाती है। जैसे कि सोना।
भू-राजनीतिक तनाव में कमी
सोने की सुरक्षित निवेश समझकर पैसा लगाया जाता है। लेकिन, अब भू-राजनीतिक तनाव घट रहा है। साथ ही, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की उम्मीद बढ़ी है। अमेरिका और चीन के बीच संभावित बातचीत ने भी निवेशकों का डर कम किया है। इससे वे दोबारा शेयर बाजार जैसे जोखिम वाली संपत्तियों में निवेश बढ़ा रहे हैं।
Aspect Bullion & Refinery के CEO दर्शन देसाई ने कहा, 'सोने की कीमतें अब लगातार नौ हफ्तों तक बढ़ने के बाद गिरावट की ओर जा रही हैं। इसकी वजह यह है कि निवेशक अब मुनाफा बुक कर रहे हैं। साथ ही, वैश्विक व्यापार समझौतों और मजबूत अमेरिकी डॉलर की वजह से निवेशक अब थोड़े ज्यादा आशावादी हो रहे हैं और जोखिम वाली संपत्तियों की तरफ लौट रहे हैं।'
अब किस ओर जाएगा सोना?
अब निवेशकों की नजर आने वाले अमेरिकी महंगाई डेटा पर है। अगर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) उम्मीद से कम आता है, तो सोने को फिर से सपोर्ट मिल सकता है। लेकिन अगर महंगाई ज्यादा बनी रहती है और डॉलर मजबूत होता रहता है, तो गिरावट और बढ़ सकती है।
हैरतंगेज रैली के बाद सोने में थोड़ा ठहराव दिख रहा है। अब यह ठहराव कुछ समय के लिए है, या लंबी गिरावट में बदल जाएगी, यह आने वाले हफ्तों में मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतों पर निर्भर करेगा।
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