सोने की कीमतों में रिकवरी दिख रही है। 6 नवंबर को देश और विदेश दोनों में गोल्ड में जबर्दस्त तेजी देखने को मिली। स्पॉट गोल्ड 0.4 फीसदी चढ़कर 3,996.19 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.3 फीसदी की तेजी के साथ 4,005.60 डॉलर प्रति औंस पर था। इधर, इंडिया में भी गोल्ड फ्यूचर्स में बड़ा उछाल दिखा। 2:07 बजे एमसीएक्स में गोल्ड फ्यूचर्स 911 रुपये यानी 0.76 फीसदी चढ़कर 1,21,433 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चल रहा था।
20 अक्टूबर को गोल्ड की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी
Gold की कीमतें 20 अक्तूबर को 4,381.21 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। उसके बाद से कीमतें करीब 9 फीसदी गिरी हैं। अब फिर से गोल्ड में तेजी दिख रही है। इसमें डॉलर में कमजोरी का हाथ है। डॉलर चार महीने की उंचाई से फिसला है। इसकी वजह अमेरिकी इकोनॉमी में अनिश्चितता है। अमेरिका में गवरमेंट शटडाउन जारी है। यह अमेरिका में सबसे लंबा शटडाउन है। इससे अमेरिकी इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हो रहा है।
लंबी अवधि के लिहाज से गोल्ड का आउटलुक पॉजिटिव
एनालिस्ट्स का कहना है कि लंबी अवधि के लिहाज से गोल्ड का आउटलुक पॉजिटिव है। निवेश के सुरक्षित विकल्प के रूप में इसकी चमक बने रहने की उम्मीद है। एमएमटीसी-पीएएमपी के एमडी और सीईओ समित गुहा ने कहा, "हमें अगले 6 से 8 महीनों में गोल्ड में अच्छा सपोर्ट जारी रहने की उम्मीद है। इसमें केंद्रीय बैंकों की गोल्ड की खरादारी, करेंसी की कीमतों में उतारचढ़ाव और इकोनॉमी से जुड़े डेटा में बदलाव का हाथ होगा। शादियों के सीजन से भी गोल्ड की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।"
गोल्ड में निवेश पर बढ़ा है इनवेस्टर्स का फोकस
एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी एसेट की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाने के बाद उसमें गिरावट आना स्वाभाविक है। गोल्ड में ऐसे देखने को मिला है। गुहा ने कहा, "हमने गोल्ड में दो तरह के खरीदार देखे हैं। कुछ इनवेस्टर्स लगातार गोल्ड में निवेश कर रहे हैं। उनकी खरीदारी पर गोल्ड की कीमतों का असर नहीं दिख रहा है। वे लंबी अवधि के लिए यह निवेश कर रहे हैं। कुछ इनवेस्टर्स कीमतें गिरने पर गोल्ड खरीद रहे हैं।" पिछले कुछ महीनों में गोल्ड पर इनवेस्टर्स का फोकस बढ़ा है।
गोल्ड में जरूरी है 10-15 फीसदी तक निवेश
इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स का कहना है कि गोल्ड की कीमत ऊपर जाए या नीचे आए, इनवेस्टर्स को अपना एसेट एलोकेशन का ध्यान रखना चाहिए। इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में गोल्ड की 10-15 फीसदी हिस्सेदारी हो सकती है। इससे इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को डायवर्सिफिकेशन मिलता है। शेयरों में तेज गिरावट आने पर यह इनवेस्टर्स को बड़े नुकसान से बचाता है। इसका मतलब है कि इनवेस्टर्स को सिर्फ गोल्ड में निवेश करने की जगह कई तरह के एसेट्स में निवेश करना चाहिए।
ऐसे इनवेस्टर्स जिनके पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी ज्यादा है, वे कीमतें चढ़ने पर मुनाफावसूली कर सकते हैं। अगर पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 10-15 फीसदी से कम है तो कीमतों में गिरावट आने पर गोल्ड में निवेश बढ़ाया जा सकता है। इनवेस्टर्स फिजिकल गोल्ड की जगह गोल्ड ईटीएफ में इनवेस्ट कर सकते हैं। जो इनवेस्टर्स एकमुश्त निवेश नहीं कर सकते, वे सिप के जरिए गोल्ड में धीरे-धीरे निवेश कर सकते हैं। इससे लंबी अवधि में गोल्ड में उनका एसेट ऐलोकेशन सही लेवल पर पहुंच जाएगा।