सोने की कीमतें अक्तूबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। उसके बाद कीमतें गिर गईं। गोल्ड में अब भी कमजोरी बनी हुई है। 4 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड पर दबाव देखने को मिला। निवेशकों के मन में गोल्ड को लेकर कई सवाल चल रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या गोल्ड में तेजी का दौर खत्म हो चुका है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए यह समझना जरूरी है कि गोल्ड में किन वजहों से तेजी आई थी।
वैश्विक व्यापार और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन में डॉलर का इस्तेमाल घट रहा है। इसका असर डॉलर की डिमांड पर पड़ा है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल एक्सपोर्ट्स में भी अमेरिका की हिस्सेदारी घटी है। केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी घटकर दो दशकों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। कमोडिटीज के वैश्विक व्यापार में डॉलर के इस्तेमाल में सबसे ज्यादा कमी आई है।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, सोने में आई तेजी का संबंध डिजिटल करेंसी के बढ़ते इस्तेमाल से भी हो सकता है। केंद्रीय बैंक डॉलर पर निर्भरता घटा रहे हैं। उन्हें स्टेबलकॉइन और दूसरे डिजिटल करेंसी के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से ग्लोबल करेंसी मार्केट में बड़े बदलाव की उम्मीद दिख रही है। डिजिटल करेंसी डॉलर की बादशाहत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। अगर ऐसा होता है तो गोल्ड में तेजी जारी रह सकती है।
इनवेस्टर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से बन रहे बुलबुले को लेकर चिंतित हैं। स्टॉक मार्केट्स में आई तेजी में कुछ मुट्ठीभर टेक्नोलॉजी कंपनियो का हाथ है। इससे 1999-2000 में डॉट कॉम बबल की याद ताजी हो जाती है। इससे इनवेस्टर्स सुरक्षा के लिए गोल्ड ईटीएफ में इनवेस्ट कर रहे हैं। इससे गोल्ड की डिमांड को सपोर्ट मिल रहा है। केंद्रीय बैंकों ने भी गोल्ड में निवेश बढ़ाया है।
अमेरिका में अनिश्चितता बढ़ी है। अमेरिका सरकार का कर्ज और घाटा लगातार बढ़ रहा है। टैरिफ की वजह से वैश्वीकरण को नुकसान पहुंचा है। फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर खतरे के बादल दिखे हैं। इन वजहों से डॉलर में इनवेस्टर्स का भरोसा घटा है। राजनीतिक दबाव में फेड के इंटरेस्ट रेट घटाने से इनफ्लेशन बढ़ सकता है। इससे डॉलर पर दबाव बढ़ेगा।
तो क्या गोल्ड में तेजी जारी रहेगी?
कई एनालिस्ट्स यह नहीं मानते कि गोल्ड की कीमतें ऐसे लेवल पर पहुंच गई हैं, जिसके ऊपर जाना मुश्किल है। उनका मानना है कि सोने में अभी भी तेजी की गुंजाइश बची हुई है। गोल्डमैन सैक्स ने दिसबंर 2026 तक गोल्ड के 4,900 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच जाने का अनुमान जताया है। ANZ का मानना है कि अगले साल के मध्य तक सोना 4,600 डॉलर प्रति औंस पर होगा। डीएसपी मेरिल लिंच का भी मानना है कि गोल्ड में तेजी खत्म नहीं हुई है।
गोल्ड में गिरावट उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो इसमें निवेश का मौका चूक गए थे। डीएसपी म्यूचुअल फंड का कहना है कि अगर इनवेस्टर्स गोल्ड में मुनाफा बुक करना चाहते हैं तो वे 3,860-4,200 डॉलर प्रति औंस की रेंज में इसे बेच सकते हैं। ऐसे निवेशक जिनके पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी ज्यादा है, वे प्रॉफिट बुकिंग कर सकते हैं। इसका मतलब है कि गोल्ड को खरीदने या बेचने का फैसला आपके एसेट ऐलोकेशन पर निर्भर करेगा।