गोल्ड ने 8 अक्टूबर को इतिहास रच दिया। पहली बार यह 4,000 डॉलर प्रति औंस को पार कर गया। इस साल गोल्ड में जैसी तेजी आई है, शायद ही पहले कभी आई होगी। इस तेजी की वजह से कई लोग गोल्ड में कुछ मुनाफावसूली करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि आगे गोल्ड में गिरावट आ सकती है। अगर आप भी गोल्ड ज्वेलरी, गोल्ड ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड बेचना चाहते हैं तो पहले टैक्स के नियमों को जान लीजिए। टैक्स का असर गोल्ड सहित हर एसेट्स के रिटर्न पर पड़ता है।
गोल्ड ज्वेलरी बेचने से होने वाले प्रॉफिट पर टैक्स
अगर आप Gold Jewellery बेचना चाहते हैं तो उससे होने वाले प्रॉफिट पर आपको टैक्स चुकाना होगा। 2 साल के बाद गोल्ड ज्वेलरी पर बेचने पर हुए प्रॉफिट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होंगे। 2 साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होंगे। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स का रेट 12.5 फीसदी है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस की स्थिति में प्रॉफिट इनवेस्टर की इनकम में जोड़ दिया जाता है। फिर उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगता है। सरकार ने जुलाई 2024 में पेश यूनियन बजट में कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव किए थे। सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म कर दिया था।
गोल्ड ईटीएफ के प्रॉफिट पर टैक्स के नियम
अगर आप गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड की गोल्ड स्कीम में अपना कुछ निवेश बेचना चाहते हैं तो उससे पर होने वाले प्रॉफिट पर आपको टैक्स चुकाना होगा। 1 साल के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होंगे। प्रॉफिट पर आपको 12.5 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। 1 साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होंगे। कैपिटल गेंस को इनवेस्टर की इनकम में जोड़ दिया जाएगा। फिर उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के प्रॉफिट पर टैक्स के नियम
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) के टैक्स के नियम अलग हैं। एसजीबी की मैच्योरिटी पर होने वाला प्रॉफिट पूरी तरह से टैक्स फ्री है। अगर आप 5 साल बाद इसे आरबीआई के विंडो के जरिए रिडीम कराते हैं तो भी आपको प्रॉफिट पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। लेकिन, अगर आप एसजीबी को मैच्योरिटी से पहले स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए बेचते हैं तो प्रॉफिट टैक्स के दायरे में आएगी। 1 साल बाद बेचने पर प्रॉफिट लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के दायरे मे आएगा। इस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। 1 साल के पहले बेचने पर प्रॉफिट शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आएगा। यह प्रॉफिट आपकी इनकम में जुड़ जाएगा। फिर उस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।