Gold vs equity vs property: सोना, स्टॉक मार्केट या प्रॉपर्टी... 10 साल में किसने दिया सबसे तगड़ा रिटर्न?
Gold vs equity vs property: पिछले 10 साल में गोल्ड, स्टॉक मार्केट और प्रॉपर्टी ने अलग-अलग रिटर्न दिए। जानिए किस एसेट ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिया और कैसे सही तालमेल से आप अपना पोर्टफोलियो मजबूत बना सकते हैं।
स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयर मार्केट ने लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन किया है।
Gold vs equity vs property: हम भारतीय सोने को पसंद करते हैं, प्रॉपर्टी पर भरोसा करते हैं और धीरे-धीरे शेयर मार्केट की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन पिछले 10 साल में इनमें से किसने निवेशकों की संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ाई? इसका जवाब इतना आसान नहीं है। हर एसेट का प्रदर्शन समय, जोखिम लेने की क्षमता और आपके व्यक्तिगत लक्ष्य पर निर्भर करता है।
गोल्ड का हाल कैसा रहा?
भारत में सोना हमेशा लोकप्रिय रहा है। यह मुश्किल समय में स्थिरता देने में मदद करता रहा, खासकर महामारी और वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान। औसतन, सोने ने पिछले 10 साल में लगभग 8-9% सालाना रिटर्न दिया।
यह बेशक बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन लगातार बढ़त देता रहा। सबसे बड़ा फायदा यह है कि सोना बाजार में गिरावट आने पर सुरक्षा का काम करता है।
शेयर मार्केट की स्थिति
स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयर मार्केट ने लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन किया है। बाजार में गिरावट और करेक्शन के बावजूद, भारतीय इक्विटी इंडेक्स ने पिछले 10 साल में औसतन 12-15% सालाना रिटर्न दिया।
अच्छी ग्रोथ वाले स्टॉक्स को लंबे वक्त तक होल्ड करना और कंपाउंडिंग निवेशकों को अच्छा रिटर्न देती है। बशर्ते आप मंदी में घबराकर शेयर न बेचें और न ही SIP बंद करें।
प्रॉपर्टी ने कितना दिया
रियल एस्टेट पारंपरिक रूप से भारतीय परिवारों की पसंद रही है। इसका प्रदर्शन काफी मिलाजुला रहा। 2010 के मध्य के बाद नियमों में बदलाव और कम मांग के कारण प्रॉपर्टी की कीमतें धीमी बढ़ीं। कई शहरों में औसत सालाना बढ़ोतरी 6-9% रही, जो शेयर मार्केट से कम लेकिन मुद्रास्फीति से ज्यादा है।
प्रॉपर्टी का अच्छे से इस्तेमाल भी हो सकता है। आप इसमें रह सकते हैं, किराए पर दे सकते हैं या वारिस को दे सकते हैं। हालांकि, लिक्विडिटी का मसला रहता है यानी आप इसे फौरन बेचकर पैसों का इंतजाम नहीं कर सकते।
तीनों में 10 लाख का निवेश
अगर आपने 2014 में 10 लाख रुपये निवेश किए होते, तो आज आपके पास सोना लगभग 21 लाख रुपये का गोल्ड होता। वहीं, शेयर मार्केट ने 10 लाख के लगभग 40 लाख रुपये बना दिए होते, फंड या स्टॉक के हिसाब से। वहीं, प्रॉपर्टी की वैल्यू 18-22 लाख रुपये के बीच हो जाती।
आंकड़े बताते हैं कि रिटर्न के मामले में शेयर मार्केट सबसे आगे है, लेकिन हर एसेट की अपनी भूमिका है। सोना सुरक्षा देता है, शेयर बढ़ोतरी करते हैं, और प्रॉपर्टी स्थिरता और रहने की सहूलियत देती है।
क्या करें निवेशक
एक्सपर्ट का मानना है कि निवेशकों को डाइवर्सिफिकेशन की स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए। इसका मतलब है कि पूरा पैसा किसी एक ही एसेट में लगाने के बजाय थोड़ा थोड़ा सबमें लगाएं।
सोना, शेयर और प्रॉपर्टी का तालमेल यह सुनिश्चित करता है कि जब एक एसेट का प्रदर्शन कमजोर रहेगा, तो बाकी आपके पोर्टफोलियो को संतुलित रखेंगी।
FAQs
क्या मुझे सोना या प्रॉपर्टी बेचकर शेयर मार्केट में निवेश करना चाहिए?
जरूरी नहीं। सोना और प्रॉपर्टी आपके वित्तीय प्लान में अलग भूमिका निभाते हैं। शेयर तेजी से संपत्ति बढ़ाते हैं, लेकिन सोना सुरक्षा और प्रॉपर्टी स्थिरता देती है। संतुलन जरूरी है।
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कौन सा एसेट सबसे अच्छा है?
लंबी अवधि में बढ़ोतरी के लिए शेयर मार्केट सबसे उपयुक्त है। लेकिन सोना और प्रॉपर्टी भी सुरक्षा और स्थिरता जोड़ते हैं।
क्या पिछले रिटर्न भविष्य के लिए गारंटी हैं?
नहीं। सोना, शेयर और प्रॉपर्टी सभी चक्र में चलते हैं। जो अतीत में काम किया, वह भविष्य में वैसा ही हो, इसकी गारंटी नहीं है। निर्णय आपके लक्ष्य, समय और जोखिम क्षमता पर निर्भर होना चाहिए।