जीएसटी काउंसिल ने इंडिविजुअल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और इंडिविजुअल हेल्थ पॉलिसी पर जीएसटी खत्म करने का फैसला लिया है। यह 22 सितंबर से लागू हो जाएगा। इससे इंश्योरेंस प्रोड्क्टस सस्ते होंगे, जिससे उनमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। इससे आबादी का ज्यादा हिस्सा इंस्योरेंस कवर के तहत आएगा। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स ने इस कदम का स्वागत किया है।
इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ तपन सिंघल ने कहा, "GST Council का हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी खत्म करने का फैसला आम लोगों की दिलचस्पी इंश्योरेंस में बढ़ाने के लिहाज से एक बड़ा कदम है। इससे इंश्योरेंस प्रोडेक्ट्स करोड़ों भारतीयों के दायरे में आ जाएंगे।" यह इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इंश्योरेंस पॉलिसी की सेल्स बढ़ने से उनका मुनाफा बढ़ेगा।
ऐसे वक्त प्रीमियम में राहत जब इलाज कराना महंगा हो रहा है
पीबी फिनटेक के प्रेसिडेंट एंव ज्वाइंट ग्रुप सीईओ सर्बवीर सिंह ने कहा, "हम लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले के लिए सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं। इससे यह संदेश गया है कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस इकोनॉमी के लिए के लिए अहम हैं। इसलिए इन पर जीएसटी हटा दिया गया है। खासकर टर्म लाइफ इंश्योरेंस एक जरूरी इंश्योरेंस प्रोडक्ट है।" उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे वक्त लोगों पर प्रीमियम का बोझ घटाया जब हेल्थ इंश्योरेंस लगातार महंगा हो रहा है।
आईटीसी के बगैर जीएसटी हटाने का पूरा फायदा नहीं मिलेगा
सवाल है कि क्या जीएसटी हटने से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी सस्ती होंगी? एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक इंश्योरेंस कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करने की इजाजत नहीं दी जाती, जीएसटी घटाने का पूरा फायदा पॉलिसीहोल्डर्स को नहीं मिलेगा। अभी बीमा कंपनियां कई तरह के इनपु्ट्स सर्विसेज पर 8-10 फीसदी ITC क्लेम करती हैं। इससे उनकी कॉस्ट कुछ हद तक घट जाती है। जीएसटी के साथ ITC को हटा लेने से कंपनियों को इनपुट कॉस्ट का पूरा बोझ खुद उठाना होगा। ऐसे में वे पॉलिसी का प्रीमियम तय करने में इस कॉस्ट को शामिल कर सकती हैं। इससे ग्राहकों को प्रीमियम के मामले में उतना फायदा नहीं मिल पाएगा, जितनी उम्मीद की जा रही है।
कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने को हो सकती हैं मजबूर
मेहता ने कहा, "इनपुट टैक्स क्रेडिट बेनेफिट्स नहीं होने से इंश्योरेंस कंपनियों पर ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ जाएगी। आगे इस कॉस्ट का कुछ हिस्सा बेस प्रीमियम में शामिल होगा।" जीएसटी को हटा लेने का सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है, लेकिन आईटीसी को लेकर तस्वीर साफ होना जरूरी है। उम्मीद है कि IRDAI इस मामले में आने वाले हफ्तों में व्यापक गाइडलाइंस इश्यू करेगा। अभी इंडिया में इंश्योरेंस की पहुंच आबादी के ज्यादा हिस्से तक नहीं है। लेकिन, इलाज कराने का खर्च लगातार बढ़ रहा है।