GST exemption on life insurance policies : लाइफ इंश्योरेंस खरीदने और उसका फायदा उठाने के हमारे तरीका पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से बदल रहे हैं। GST छूट और नई कर व्यवस्था में बदलाव से लेकर बीमा सुगम के लॉन्च तक, इन इवेंट्स का पॉलिसीधारकों और इंडस्ट्री के लिए क्या अर्थ है? इन मुद्दों पर बात करते हुए मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में, कोटक लाइफ इंश्योरेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर महेश बालासुब्रमण्यम ने कहा कि व्यक्तिगत लाइफ इंश्योरेंस पर GST छूट एक ऐतिहासिक कदम है। इससे इंश्योरेंस प्रोडक्ट और भी सस्ते हो गए हैं। इससे लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के ज़्यादा लोगों तक पहुंचने और देश भर में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिली है। इस फ़ैसले के लिए वित्त मंत्री और जीएसटी काउंसिल की सराहना की जानी चाहिए।
शॉर्ट टर्म में,इंश्योरेंस कंपनियों को कुछ आर्थिक पहलुओं पर फिर से विचार करना होगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसे मुद्दों की जांच करनी होगी। लेकिन कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम इंश्योरेंस इंडजस्ट्री के लिए एक बहुत अच्छी बात है। यह लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के संदेश "सबसे पहले लाइफ इंश्योरेंस" के अनुरूप है,क्योंकि इससे लाइफ इंश्योरेंस की सुविधा अधिक सुलभ हो जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि अभी और स्पष्टीकरण का इंतज़ार कर है, लेकिन उनका मानना यह है कि 22 सितंबर से लाइफ इंश्योरेंस का रिन्यूएबल प्रीमियम भी जीएसटी से मुक्त हैं। जहां तक बीमा पर आने वाले खर्च (actuarial calculations) का सवाल है तो सभी इंश्योरेंस कंपनियां उन पर नए सिरे से काम कर रही हैं। इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इस पर और स्पष्टता आने पर कंपनियां जरूरी बदलाव करेंगी।
बालासुब्रमण्यम ने आगे कहा कि यह एक गलत सोच है कि बीमा केवल टैक्स बचाने के लिए खरीदा जाता है। हालांकि मार्च का महीना पारंपरिक रूप से एक व्यस्त महीना रहता। लेकिन आजकल ग्राहक केवल टैक्स छूट के लिए पॉलिसी नहीं खरीदते हैं। हालांकि ट्रेडिशनल प्लान्स के लिए 5 लाख रुपये और यूलिप के लिए 2.5 लाख रुपये की सालाना छूट ज़्यादा मायने रखती है।
बाज़ार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। क्या आप ग्राहकों की टर्म, यूलिप और पारंपरिक बचत योजनाओं के बीच पसंद में बदलाव देख रहे हैं?
इसके जवाब में बालासुब्रमण्यम ने कहा कि ब्याज दरों और मार्केट साइकिल के आधार पर बदलाव होते रहते हैं। उदाहरण के लिए, जब लॉन्ग टर्म ब्याज दरें ऊची थीं, तो पारंपरिक उत्पादों ने अच्छा प्रदर्शन किया। जब बाज़ार में तेज़ी थी,तो यूलिप में बढ़त हुई, लेकिन कुल मिलाकर ये बदलाव 5-6 प्रतिशत के मामूली स्तर पर रहे। अच्छी बीमा कंपनियां पारंपरिक, यूलिप और टर्म प्रोडक्ट का एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखती हैं और कोटक लाइफ़ में इसी रणनीति को अपनाया जाता है।
ब्याज दरों में गिरावट से पॉलिसीधारकों और बीमा कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
बीमा कपनियों को लंबी अवधि की ऊंची दरों से फ़ायदा होता है, खासकर जब यील्ड कर्व तेज़ हो। ऐसे माहौल में गारंटीशुदा प्रोडक्ट ज़्यादा अच्छे लगते हैं। ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, हमारे जैसी बीमा कंपनियां गारंटीशुदा रिटर्न वाले प्रोडक्ट पेश करते रहते हैं, जो ग्राहकों की फाइनेंशियल प्लानिंग का एक अहम हिस्सा बने रहते हैं।
बीमा सुगम योजना इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। इससे पॉलिसीधारकों और बीमा कंपनियों के लिए क्या बदलाव आएगा?
इसके जवाब में बालासुब्रमण्यम ने कहा कि बीमा सुगम एक ऐतिहासिक पहल है, जो पेमेंट में यूपीआई के समान है। यह एक इंडस्ट्री-बिल्ट, इंडस्ट्री-संचालित प्लेटफ़ॉर्म है जिसे बीमा सुविधाओं की पहुच और उपयोगकर्ताओं अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह बीमा कंपनियों, बिचौलियों, आधार, केवाईसी और डेटा रिपॉजिटरी को एक ही इकोसिस्टम से जोड़ेगा, जिससे बीमा खरीदना और मैनेज करना आसान हो जाएगा। अगले तीन-चार सालों में, इसमें भारत में बीमा प्रोडक्टों की बिक्री के तरीके को बदलने की क्षमता है।