आज के बढ़ते मेडिकल खर्चों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस हर इंसान के लिए अनिवार्य होता जा रहा है। लेकिन कई बार लोग जल्दबाजी में या सही जानकारी के अभाव में अपनी जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त पॉलिसी नहीं चुन पाते। ऐसे में बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी सुविधा एक बड़ी राहत साबित होती है, जिसके तहत ग्राहक अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अपने पुराने बीमा लाभों को बनाए रखते हुए स्थानांतरित कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो वेटिंग पीरियड या पूर्व-विद्यमान रोगों के लिए पहले की पॉलिसी में पूरा किया गया है, उसे नई पॉलिसी में भी मान्यता मिलती है। इसलिए, ग्राहक बिना पुराने लाभ गंवाए बेहतर कवर, कम प्रीमियम या बेहतर क्लेम सुविधाओं के लिए पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं। यह सुविधा पॉलिसी रिन्यूअल के समय ही उपलब्ध होती है और आवेदन करने के लिए कम से कम 45-60 दिन पहले तैयारी करना जरूरी होता है ताकि नए बीमाकर्ता के लिए जांच और अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी हो सके।
पोर्टेबिलिटी प्रक्रिया में सबसे पहले नई बीमा कंपनी को अपना आवेदन देना होता है, जिसमें वर्तमान पॉलिसी की जानकारी और क्लेम इतिहास शामिल होता है। फिर नई कंपनी IRDAI के केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से बीमाकर्ता से डेटा प्राप्त करती है और अंतिम निर्णय लेती है। इस प्रक्रिया में बीमा कंपनियां पोर्टिंग पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकतीं, हालांकि उम्र और कवर के हिसाब से प्रीमियम अलग हो सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करना उन लोगों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होता है जो अपने बीमा प्रदाता की सेवा से असंतुष्ट हैं, नए शहर में शिफ्ट हो रहे हैं या ऐसी पॉलिसी चाहते हैं जिसकी क्लेम प्रक्रिया सरल हो। हालांकि नई पॉलिसी में कुछ नई सुविधाओं के लिए नए वेटिंग पीरियड लग सकते हैं, इसलिए पोर्टिंग से पहले पूरी शर्तें समझना आवश्यक है।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी आपको बेहतर सेवाओं और कवरेज के लिए अपने विकल्प बदलने की आजादी देती है, बिना पुराने लाभों का नुकसान किए। यह सुविधा हेल्थ इंश्योरेंस को अधिक लचीला और ग्राहक केन्द्रित बनाती है, जिससे एक बेहतर स्वस्थ जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।