आज क्रेडिट कार्ड हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। ऑनलाइन शॉपिंग हो या महीने के आखिर में पैसों की जरूरत, एक छोटा-सा कार्ड बड़ी राहत बन गया है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि भारत में क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कैसे हुई? कौन-सा बैंक था जिसने यह सुविधा सबसे पहले दी? और 45 सालों में इसका सफर कितना बदल गया है?
भारत में क्रेडिट कार्ड की शुरुआत 1980 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने की थी। उस वक्त इस कार्ड को 'सेंट्रल कार्ड' नाम दिया गया और यह वीजा नेटवर्क के तहत जारी हुआ था। यह वो दौर था जब डिजिटल पेमेंट का नामोनिशान नहीं था, लेनदेन के तरीके बहुत सीमित थे और केवल सीमित वर्ग के पास ही ऐसी सुविधा थी। उस समय किसी ने शायद सोचा भी नहीं था कि एक कार्ड देश के करोड़ों लोगों की खरीददारी और जीवनशैली का हिस्सा बन जाएगा।
आज हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। RBI के नए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब 11 करोड़ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड एक्टिव हैं। यह कार्ड्स अब अलग-अलग तरह की जरूरतों को देखते हुए आ रहे हैं रेगुलर कार्ड, ट्रैवल कार्ड, लाइफस्टाइल कार्ड, फ्यूल कार्ड, सिक्योर कार्ड और अब तो UPI से लिंक्ड डिजिटल कार्ड भी खूब जारी हो रहे हैं। पहले जहां ये कार्ड सिर्फ बड़े बैंकों और हाई क्रेडिट स्कोर वालों को मिलता था, वहीं अब छोटे फाइनेंस बैंक भी करोड़ों आम लोगों तक अपनी पेशकश लेकर पहुंचे हैं। टियर-2, टियर-3 शहरों के ग्राहकों तक भी आसानी से ये सुविधा पहुंच चुकी है।
क्रेडिट कार्ड की यह यात्रा सिर्फ संख्या तक सीमित नहीं रही, बल्कि रिवॉर्ड पॉइंट, फ्रॉड से जीरो लाइबिलिटी, बीमा जैसी ढेरों सहूलियतें भी जुड़ चुकी हैं। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद विदेशी बैंक भारत आए और नए फीचर्स लेकर आए। 2000 के बाद डिजिटल क्रांति शुरू हुई, और Flipkart, IRCTC, MakeMyTrip जैसी कंपनियों ने क्रेडिट कार्ड को रोजमर्रा के खर्च का मुख्य जरिया बना दिया। 2012 में RuPay कार्ड लॉन्च होते ही देश के छोटे शहरों में भी इसका प्रसार और तेज हो गया।
मई 2025 तक देश में 11 करोड़ 12 लाख से ज्यादा सक्रिय क्रेडिट कार्ड उपयोग में हैं। आज बिना बैंक अकाउंट वाले भी खास तरीकों से क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं। कुल मिलाकर, 45 साल में एक साधारण 'सेंट्रल कार्ड' से शुरू हुआ सफर अब भारत की नई आर्थिक ताकत और डिजिटल भारत की पहचान बन चुका है।