मृतक निवेशकों के निवेश कैसे करें क्लेम? म्यूचुअल फंड और बैंक अकाउंट के लिए ये है स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

अगर किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाए और उसने अपने बैंक खातों, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेशों में नॉमिनी नहीं बनाया हो या वसीयत नहीं लिखी हो, तो उसके परिवार के लिए यह स्थिति बहुत मुश्किल बन जाती है

अपडेटेड Nov 05, 2025 पर 2:05 PM
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पत्नी या बच्चों को पैसों का हक तो होता है, लेकिन बिना जरूरी डॉक्यूमेंट और कानूनी प्रक्रिया पूरी किए वह उस अमाउंट को नहीं ले सकते।

अगर किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाए और उसने अपने बैंक खातों, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेशों में नॉमिनी नहीं बनाया हो या वसीयत नहीं लिखी हो, तो उसके परिवार के लिए निवेश के पैसे पाना कई बार मुश्किल हो जाता है। पत्नी या बच्चों को पैसों का हक तो होता है, लेकिन बिना जरूरी डॉक्यूमेंट और कानूनी प्रक्रिया पूरी किए वह उस अमाउंट को नहीं ले सकते। यही वजह है कि आज देश में करीब 25,000 करोड़ रुपये के शेयर और 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का अमाउंट बैंकों में पड़ा हुआ है। जिसका कोई क्लेम पेश करने वाला नहीं है। ये रकम सिर्फ इस वजह से अनक्लेम्ड हैं क्योंकि या तो नॉमिनी नहीं हुआ था या परिवार को निवेश की जानकारी नहीं थी।

ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि किसी मृत व्यक्ति के बैंक खाते या म्यूचुअल फंड निवेश का पैसा किस तरह और किन डॉक्यूमेंट के जरिये पास सकते हैं। यहां जानिये स्टेप-बाय-स्टेप तरीका।

म्यूचुअल फंड निवेश का क्लेम करने की प्रोसेस


1. फोलियो नंबर और फंड हाउस की पहचान करें

सबसे पहले मृत व्यक्ति के म्यूचुअल फंड निवेश की जानकारी ढूंढें। इसके लिए पुरानी ईमेल, स्टेटमेंट, ब्रोकर ऐप या CAMS/KFinTech/CDSL जैसी वेबसाइटों पर फोलियो नंबर और एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) का नाम देखें।

2. फंड हाउस या रजिस्ट्रार से संपर्क करें

संबंधित AMC या उसके रजिस्ट्रार जैसे CAMS, KFinTech आदि को निवेशक की मृत्यु की जानकारी दें और ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट फॉर्म या डेथ क्लेम फॉर्म मांगे। यह फॉर्म उनकी वेबसाइट पर भी मिल सकता है।

3. क्लेम फॉर्म भरें

इस फॉर्म में क्लेम करने वाले नॉमिनी व्यक्ति या कानूनी वारिस की जानकारी, बैंक अकाउंट नंबर, KYC डिटेल और फोलियो नंबर जैसी जानकारी भरनी होती है।

4. जरूरी डॉक्यूमेंट तैयार करें

मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate)

ट्रांसमिशन फॉर्म (Claim Form)

क्लेम करने वाले की पहचान और पते का प्रमाण (PAN, आधार आदि)

बैंक अकाउंट प्रूफ (कैंसिल चेक या बैंक पासबुक की कॉपी)

अगर नॉमिनी न हो तो उत्तराधिकार सर्टिफिकेट या लीगल हेयर सर्टिफिकेट या वसीयत या फैमिली ट्री हलफनामा आदि की जरूरत होगी।

अगर नॉमिनी नाबालिग है, तो अभिभावक के डॉक्यूमेंट भी देने होंगे।

5. डॉक्यूमेंट जमा करें

सभी डॉक्यूमेंट संबंधित AMC या रजिस्ट्रार को जमा करें। कुछ कंपनियां स्कैन कॉपी ऑनलाइन स्वीकार करती हैं, जबकि कुछ को बेसिक डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं।

6. क्लेम प्रक्रिया और भुगतान

डॉक्यूमेंट की जांच के बाद AMC निवेश की यूनिट्स को क्लेम करने वाले के नाम ट्रांसफर कर देती है या अमाउंट सीधे बैंक खाते में भेज देती है। सामान्यत: यह प्रक्रिया कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक चल सकती है।

7. विवाद की स्थिति में

अगर परिवार के सदस्यों में मतभेद है या कई लोग क्लेम कर रहे हैं, तो AMC अदालत का आदेश या उत्तराधिकार सर्टिफिकेट मांग सकती है।

बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट का क्लेम करने का प्रोसेस

1. बैंक ब्रांच को सूचित करें

जिस बैंक में खाता था, उसकी शाखा में जाकर खाता धारक की मृत्यु की सूचना दें और Deceased Claim Form मांगे। कई बैंक यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी शुरू करने की सुविधा देते हैं।

2. जरूरी डॉक्यूमेंट तैयार करें

मृत्यु प्रमाण पत्र (मूल या वैरिफाइड कॉपी)

खाते की जानकारी (पासबुक या खाता नंबर)

क्लेम करने वाले की पहचान (PAN, आधार आदि)

क्लेम फॉर्म और बैंक खाते का प्रमाण (कैंसिल चेक या पासबुक)

अगर नॉमिनी नहीं है या अमाउंट अधिक है, तो बैंक उत्तराधिकार सर्टिफिकेट (Legal Heir Certificate), सक्सेशन सर्टिफिकेट या वसीयत का प्रोबेट मांग सकता है।

3. ज्वाइंट अकाउंट के मामले में

अगर खाता Former or Survivor या Either or Survivor टाइप का है, तो जीवित खाता धारक (Survivor) केवल मृत्यु प्रमाण पत्र और अपनी पहचान देकर खाता जारी रख सकता है या अमाउंट निकाल सकता है।

4. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर क्लेम

अगर FD में नॉमिनी है, तो नॉमिनी को केवल क्लेम फॉर्म, मृत्यु प्रमाण पत्र और KYC डॉक्यूमेंट देने होते हैं।

अगर नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी वारिस को बैंक की नीति के अनुसार सर्टिफिकेट पेश करने होंगे।

5. समय सीमा

बैंक डॉक्यूमेंट की जांच कर दावे को स्वीकार करता है और अमाउंट या निवेश नए वारिसों के नाम ट्रांसफर कर देता है। यह समय सीमा बैंक और अमाउंट की क्वांटिटी पर निर्भर करती है।

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