Gold vs Silver vs Equities: दिवाली पर सोने, चांदी और स्टॉक मार्केट में कैसे करें निवेश, जानिए एक्सपर्ट से
Gold vs Silver vs Equities: इस दिवाली निवेशक उलझन में हैं कि कहां पैसा लगाएं- सोना, चांदी या स्टॉक मार्केट? तीन एक्सपर्ट ने बताया कि किस एसेट में कब निवेश करना सही रहेगा, कैसे लंबी और शॉर्ट-टर्म मौके दोनों का फायदा उठाया जा सकता है और पोर्टफोलियो सुरक्षित रखा जा सकता है।
एक्सपर्ट चिराग सेठ का कहना है कि चांदी सबसे आकर्षक कमोडिटी बनी हुई है।
Gold vs Silver vs Equities: सोने की चमक हमेशा ही लोगों को लुभाती रही है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से गोल्ड की कीमत इतनी बढ़ गई कि बहुत से लोगों के लिए यह सच में अनमोल हो गया है। चांदी तो इस साल सोने से भी आगे निकल गई। इंडस्ट्रियल डिमांड ने चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया। इन दोनों के बीच स्टॉक मार्केट का हाल काफी डांवाडोल है। इसमें लगातार उतार-चढ़ाव लगा हुआ है।
ऐसे में निवेशक उलझन में हैं कि अब दिवाली जैसे त्योहारी सीजन में सोना, चांदी और स्टॉक मार्केट में कैसे निवेश करें। अगर तीनों में निवेश करना है, तो किसमें कितना अनुपात रखें। तीन एक्सपर्ट ने इसका जवाब देकर निवेशकों की मुश्किल आसान करने की कोशिश की- आनंद राठी के जॉइंट सीईओ फिरोज अजीज, मेटल्स फोकस के इंडिया प्रिंसिपल कंसल्टेंट चिराग सेठ और निर्मल बंग के हेड ऑफ कमोडिटीज रिसर्च कुणाल शाह।
सोने में कैसे करें निवेश?
फिरोज अजीज का कहना है कि निवेश करते समय संतुलन बहुत जरूरी है, ताकि आपका पैसा बढ़े जरूर, लेकिन साथ में सुरक्षित भी रहे। उन्होंने कहा, 'अगर आपके पोर्टफोलियो में डेट (ऋण) है, तो उसका कम से कम आधा हिस्सा सोने में होना चाहिए।'
ऐतिहासिक रिटर्न की बात करते हुए फिरोज ने जोड़ा कि शॉर्ट टर्म में सोना निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन लंबी अवधि में आमतौर पर इक्विटी ही जीतती है। उन्होंने लॉन्ग टर्म के निवेशकों के लिए सुझाव दिया, 'कम से कम 75-80% पैसा इक्विटी में होना चाहिए। बाकी रकम को डेट और सोने में 50-50 बांटना चाहिए।'
शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए फिरोज ने सोने की ताकत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'पिछले 15 सालों में किसी एक साल में सोने का सबसे अच्छा रिटर्न 58% रहा है और सबसे खराब -21%।' उन्होंने स्पष्ट किया कि सोना ज्यादा ट्रेडिंग के लिए या डेट का विकल्प है, लंबी अवधि के लिए इक्विटी का विकल्प नहीं।
चांदी के लिए क्या हो रणनीति?
निर्मल बंग कुणाल शाह ने चांदी की सप्लाई और मांग पर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, 'सप्लाई लगातार कमजोर हो रही है, और मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर सोलर इंडस्ट्री की वजह से।' उन्होंने बताया कि मेक्सिको की बड़ी चांदी खदानें 2026 तक खत्म हो सकती हैं। इससे कमोडिटीज में 'परफेक्ट स्टॉर्म' बन सकता है। फिर कीमतों का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा।
चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर शाह काफी आशावादी हैं। उन्होंने कहा, 'अगले एक से दो साल में चांदी का रुझान बुलिश ही रहेगा। समय-समय पर आने वाले गिरावट या प्रॉफिट-टेकिंग को खरीदने का मौका समझना चाहिए।'
चिराग सेठ का कहना है कि चांदी सबसे आकर्षक कमोडिटी बनी हुई है, क्योंकि इसकी मांग और आपूर्ति दोनों ही इसे सपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने बताया, 'पिछले 8-10 सालों में चांदी के स्टॉक्स में करीब 500 मिलियन औंस की कमी आई है। नई जरूरतों जैसे फोटोवोल्टाइक, ईवी, और डिफेंस इक्विपमेंट के कारण मांग और बढ़ी है।'
सेठ ने सोने के सुरक्षित निवेश के तौर पर महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, 'सोने और चांदी दोनों पर नकारात्मक नजरिया रखना अपने आप को नुकसान पहुंचाने जैसा है।'
इक्विटी और सोना का संतुलन
फिरोज अजीज ने कहा कि इक्विटी और सोना एक-दूसरे को संतुलित करते हैं। इन्हें मिलाकर वोलाटिलिटी यानी अस्थिरता को मैनेज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हालिया करेक्शंस के बावजूद निफ्टी में अभी भी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, 'मैंने 12 महीनों का एनालिसिस किया है, जब निफ्टी ने नेगेटिव रिटर्न दिया है। उन सभी 12 महीनों में गोल्ड का रिटर्न पॉजिटिव रहा। इसका मतलब है कि जब निफ्टी या इक्विटी का प्रदर्शन गिरता है, तो सोने की कीमत आम तौर पर बढ़ती है। यानी ये दोनों एसेट्स उल्टे-सुल्टे तरीके से चलते हैं और एक-दूसरे की बढ़त या गिरावट को संतुलित कर देते हैं।'
एक्सपर्ट का कहना है कि दिवाली के करीब और मार्केट में उतार-चढ़ाव को देखते हुए निवेशकों को संतुलित रणनीति अपनानी चाहिए। उनके लिए इक्विटी, सोना और चांदी का संतुलित तालमेल सही रहेगा। यह रास्ता इतिहास और डिमांड-सप्लाई के आधार पर भी सबसे सही रास्ता हो सकता है।
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