Rent via Credit Card: अगर हर महीने मकान का किराया भरने पर आपको रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक और 45 दिन की राहत भी मिल जाए, तो कैसा रहेगा? बहुत से लोगों को यह चीज काफी पसंद आ रही है। यही वजह है कि भारत में डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते चलन के साथ ही अब एक नया ट्रेंड जोर पकड़ रहा है, क्रेडिट कार्ड से किराया देना।
सुविधा, लाभ और कैश फ्लो को बेहतर तरीके से मैनेज करने की चाहत ने लाखों किरायेदारों को इस विकल्प की ओर मोड़ा है। लेकिन इस स्मार्ट विकल्प के पीछे कुछ ऐसे छुपे हुए शुल्क और नियम भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
आइए जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान कैसे करें, किन-किन बातों का ध्यान रखें और क्या यह तरीका आपके लिए सही है या नहीं।
क्रेडिट कार्ड से कैसे दें किराया?
क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाने के लिए बाजार में कई डिजिटल प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। जैसे कि CRED, PayZapp, Freecharge, RedGiraffe, NoBroker। इनका इस्तेमाल करना काफी आसान है, लेकिन आपको कुछ खास प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है।
क्रेडिट कार्ड से रेंट देने के फायदे?
क्रेडिट कार्ड से रेंट देने का विकल्प काफी उपयोगी है। अगर किसी महीने आपके पास नकदी की कमी है, तो क्रेडिट कार्ड का 45–50 दिनों का ब्याज-मुक्त पीरियड राहत दे सकता है। इससे आप मकान का किराया या ट्यूशन फीस देने जैसे जरूरी काम निपटा सकते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म रिमाइंडर और ट्रैकिंग की सुविधा देते हैं। इससे बिल चुकाने में देरी या चूक जैसी समस्या नहीं होती।
क्रेडिट कार्ड से किराया या ट्यूशन फीस चुकाना काफी उपयोगी विकल्प साबित हो सकता है। लेकिन, इसके इस्तेमाल के कुछ नुकसान भी हैं, जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
क्या क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाना फायदेमंद है?
यह तरीका कुछ समय के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग में मददगार हो सकता है, खासकर जब आपके पास तुरंत कैश न हो। लेकिन यह विकल्प तभी बेहतर है जब आप कार्ड का समय पर पूरा भुगतान कर सकें। अगर भुगतान देरी से होता है, तो क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें (20–40% सालाना) भारी बोझ बन सकती हैं।
अगर आप समय पर भुगतान करने की आदत रखते हैं, और अपने क्रेडिट लिमिट को संतुलित रखते हैं, तो यह तरीका रिवॉर्ड्स कमाने और कैश फ्लो मैनेजमेंट के लिए लाभदायक हो सकता है। लेकिन अनुशासन की कमी, फीस का बोझ और बढ़ता कर्ज इसे नुकसानदेह भी बना सकता है। ऐसे में यह निर्णय लेने से पहले फायदे और जोखिम, दोनों का संतुलन जरूरी है।