IIFL Finance का 300 करोड़ रुपये का नॉन-कनवर्टेबल डिबेंचर (NCD) इश्यू ओपन हो गया है। इसमें 1,200 करोड़ रुपये का ग्रीन-शू ऑप्शन है। इस तरह यह इश्यू 1,500 करोड़ रुपये का है। अगर आप इस इश्यू में इनवेस्ट करना चाहते हैं तो आपके लिए डिबेंचर के सात ऑप्शंस उपलब्ध है, जिनका मैच्योरिटी पीरियड 24 महीने से लेकर 60 महीने तक है। इनका इंटरेस्ट सालाना 8.35 फीसदी से 9 फीसदी के बीच है। सालाना और छमा्ही इंटरेस्ट पेमेंट ऑप्शन उपलब्ध है। सिर्फ 5 साल के डिबेंचर में मंथली पेआउट ऑप्शन है।
मिनिमम इनवेस्टमेंट 10,000 रुपये
हर एनसीडी की फेसवैल्यू 1,000 रुपये है। आपको इस इश्यू में मिनिमम 10,000 रुपये का इनवेस्ट करना होगा। इस इश्यू में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। RBI के इंटरेस्ट रेट वृद्धि पर ब्रेक लगा देने के बाद यह माना जा रहा है कि शॉर्ट टर्म इंटरेस्ट रेट अपने पीक पर है। ऐसे में 9 फीसदी का इंटरेस्ट रेट अट्रैक्टिव लगता है। IIFL फाइनेंस का एसेट बुक डायवर्सिफायद है। इसका रिटर्न ऑन इक्विटी करीब 20 फीसदी है। बीते तीन फाइनेंशियल ईयर में कंपनी का कंसॉलिडेटेड एनुअल रेवेन्यू ग्रोथ करीब 15 फीसदी है।
NBFC की वित्तीय सेहत अच्छी
आईआईएफएल फाइनेंस का ग्रॉस-नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) 1.84 फीसदी है। इसमें पिछले तीन साल में सुधार आया है। नेट एनपीए 1.08 फीसदी है। इस तरह रिस्क मैनेजमेंट के लिहाज से कंपनी बेहतर स्थिति में है। इसका कैपिटल एडेक्वेसी रेशिय 20.4 फीसदी है। फिचले तीन साल में इसमें थोड़ी कमी आई है। फिर भी यह RBI के तय 15 फीसदी स्टैंडर्ड से थोड़ा ज्यादा है। कंपनी ने ज्यादातर लोन हाउसिंग और गोल्ड लोन सेगमेंट में दिया है। यह एसेट अंडर मैनेजमेंट का करीब 66 फीसदी है। इन लोन को फिजिकल एसेट का सपोर्ट हासिल है। गुड क्वालिटी के लोन एसेट और एनपीए का लो लेवल एनबीएफसी के कैश फ्लो के लिए पॉजिटिव हैं।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
फाइनेंशियल सर्विसेज स्पेस में प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा है। कॉस्ट को कंट्रोल में नहीं करने पर मार्जिन पर बहुत जल्द दबाव बन जाता है। मनी हनी फाइनेंशियल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर अनूप भैया ने कहा, "NCD इश्यू का एक फायदा यह है कि इनवेस्टर्स को सुरक्षा के साथ रेगुलर इनकम मिलता रहता है। खासकर तब जब इश्यू अच्छी एनबीएफसी का हो। आईआईएफएल फाइनेंस सबसे बड़े एनपीएफसी में शामिल है। अगर कोई यह मानता है कि हम इंटरेस्ट साइकिल के पीक पर हैं तो 5 साल के बॉन्ड अट्रैक्टिव दिखते हैं।"
हायर टैक्स ब्रैकेट में आने वाले इनवेस्टर के लिए टैक्स के बाद रिटर्न करीब 6.2 फीसदी आता है। लोअर टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों के लिए यह सालाना 8 फीसदी है। यह कैलकुलेशन ओल्ड टैक्स स्लैब के हिसाब से है। ये बॉन्ड लिस्ट होंगे, जिससे इनवेस्टर के लिए एग्जिट करने का ऑप्शन होगा। लेकिन, आपको यह समझ लेना चाहिए कि NCD से कुछ रिस्क जुड़े होते हैं। रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। कंपनी के कैश फ्लो के दबाव में आने पर डिफॉल्ट की स्थिति बन सकती है। अगर आप इस इश्यू में निवेश करना चाहते हैं तो आपको खुद इस कंपनी के अपने फाइनेंशियल ऑब्लिगेशन को पूरा करने की क्षमता के बारे में अंदाजा लगाना होगा।