इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की तैयारी आपको शुरू कर देनी चाहिए। ज्यादातर टैक्सपेयर्स को यह काम मुश्किल लगता है। उन्हें ITR फॉर्म भरने में गलती हो जाने का डर लगता है। इसलिए जल्द फाइलिंग की तैयारी शुरू कर देने पर किसी गलती होने की संभावना कम हो जाती है। नौकरी करने वाले ज्यादातर लोगों को फॉर्म 16 मिल गया होगा। यह आईटीआर फाइल करने के लिए बहुत जरूरी है। अगर आपको फॉर्म 16 मिल गया है तो आप इनकम टैक्स रिटर्न के सही फॉर्म को सेलेक्ट करने के लिए ई-फालिंग पोर्टल की मदद ले सकते हैं।
सैलरी वाले टैक्सपेयर्स के लिए ITR 1 और ITR 2 फॉर्म
रिटर्न फाइल करने के लिए भी आपको सबसे पहले आईटीआर फॉर्म सेलेक्ट करना होगा। आपके रेजिडेंशियल स्टेट्स, इनकम के स्रोत, कुल इनकम. आपके कुल एसेट सहित कुछ चीजों से यह तय होगा कि आपको किस इनकम टैक्स फॉर्म का इस्तेमाल करना है। सैलरी से इनकम वाले लोगों के लिए आम तौर पर आईटीआर 1 और आईटीआर 2 फॉर्म होते हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्सबिरबल के डायरेक्टर चेतन चंडाक ने कहा कि आईटीआर फॉर्म सेलेक्ट करने से पहले आपको अपना एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) चेक कर लेना चाहिए। यह आपको ई-फाइलिंग पोर्टल पर मिल जाएगा। AIS में आपको अपने कैपिटल गेंस और इंटरेस्ट इनकम आदि के बारे में पता चल जाएगा।
एसेसमेंट ईयर 2023-24 के आईटीआर फॉर्म में बदलाव
आपकी सैलरी, बैंक अकाउंट्स और इंटरेस्ट इनकम के अलावा आईटीआर फॉर्म में आपको इस साल कुछ अतिरिक्त जानकारियां भी भरनी होंगी। अगर कनाडा, अमेरिका या इंग्लैंड में आपका रिटायरमेंट अकाउंट है तो इसकी जानकारी आपको ITR 1 और ITR 2 में देनी होगी। इसमें आपको एंप्लॉयीज फंड में कंट्रिब्यूशन, ईपीएफ से सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के इंटरेस्ट और अपने टैक्स स्लैब के बारे में भी बताना होगा।
आईटीआर 1 या सहज है सबसे सिंपल फॉर्म
यह फॉर्म ऐसे रेजिडेंट इंडिविजुअल के लिए है, जिनकी सैलरी से इनकम 50 लाख रुपये तक है। जिसके पास एक हाउस प्रॉपर्टी है और जिसे बैंक एफडी से इंटरेस्ट और डिविडेंड से इनकम होती है। अगर उसकी एग्रीकल्चर इनकम है तो वह सालाना 5000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आप रिटर्न फाइल करने के लिए ई-फाइलिंग की ऑफिशियल वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप एक्सेल यूटिलिटी डाउनलोड कर सकते हैं। उसके बाद जरूरी इंफॉर्मेशन भरने के बाद इसे आपको अपलोड करना होगा।
टैक्सपेयर चाहे तो ऑनलाइन तरीके से रिटर्न को डायरेक्ट भी फाइल कर सकता है। इसमें कई डेटा पहले से भरे होते हैं। इसकी वजह यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी होती है। लेकिन, आपको ये सभी डेटा एक बार चेक जरूर कर लेना चाहिए। ये डेटा बैंकों से आईटी डिपार्टमेंट के पास पहुंचते हैं। इसलिए आप इन्हें अपने AIS में देख सकते हैं। अगर आप किसी इनकम के बारे में बताना भूल जाते हैं तो आपको आईटी डिपार्टमेंट का इंटिमेशन मिल सकता है। फिर आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना पड़ सकात है।
50 लाख से ज्यादा सैलरी पर ITR 2 का इस्तेमाल
सैलरी से इनकम वाले टैक्सपेयर्स आईटीआर 2 का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। यह उन टैक्सपेयर्स के लिए जिनके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन थोड़े कॉम्प्लेक्स होते हैं। आसान शब्दों में कह सकते हैं कि इस फॉर्म का इस्तेमाल ऐसे टैक्सपेयर्स करते हैं, जिनकी बिजनेस या प्रोफेशन से कोई इनकम नहीं होती और वे फॉर्म 1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए अगर आपकी इनकम सालाना 50 लाख रुपये से ज्यााद है तो आप आईटीआर 1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इसी तरह अगर आपने शेयर, म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स या प्रॉपर्टी बेची है, जिस पर कैपिटल गेंस हुआ है तो आपको आईटीआर 2 का इस्तेमाल करना होगा। अगर विदेश में आपकी संपत्ति है या आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं तो आपको आईटीआर 2 का इस्तेमाल करना होगा।
गलत फॉर्म के इस्तेमाल पर मिल सकता है नोटिस
अगर आपने रिटर्न फाइलिंग के लिए गलत फॉर्म का इस्तेमाल किया है तो उसे 'डिफेक्टिव' माना जाएगा। उदाहरण के लिए अगर आपका कैपिटल गेंस है और आप फॉर्म 1 का इस्तेमाल करते हैं तो यह माना जाएगा कि आपने इनकम के सभी स्रोतों के बारे में नहीं बताया है। ऐसे आईटी डिपार्टमेंट आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के लिए कह सकता है। इसके लिए आपको इंटिमेशन के बाद 15 दिन का समय मिलेगा। इसमें रिवाज्ड रिटर्न फाइल नहीं करने पर आपको रिटर्न को इनवैलिड मान लिया जाएगा। इससे आपको आईटी डिपार्टमेंट का नोटिस मिल सकता है।