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अमेरिका में क्रेडिट कार्ड्स यूजर्स पर एक लाख करोड़ डॉलर बकाया, जानिए इंडिया में हम इससे क्या सबक ले सकते हैं

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बताया है कि क्रेडिट कार्ड का कुल कर्ज 988 अरब डॉलर पहुंच गया है। यह हर परिवार पर करीब 10,000 डॉलर (8.26 लाख) के कर्ज के बराबर है। कंज्यूमर फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी Bankrate ने कहा है कि करीब आधे (46 फीसदी) कार्डहोल्डर्स अपने बैलेंस को हर महीने आगे बढ़ा (कैरी-फॉरवर्ड) रहे हैं

अपडेटेड Jun 10, 2023 पर 11:32 AM
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इंडिया में RBI के डेटा के मुताबिक, अप्रैल 2023 में कुल एक्टिव क्रेडिट कार्ड की संख्या करीब 8.7 करोड़ थी। अप्रैल 2022 से यह करीब एक करोड़ ज्यादा है।

अमेंरिका में लोगों पर क्रेडिट कार्ड्स का बकाया (Credit Cards dues) सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने बताया है कि क्रेडिट कार्ड का कुल कर्ज 988 अरब डॉलर पहुंच गया है। यह हर परिवार पर करीब 10,000 डॉलर (8.26 लाख) के कर्ज के बराबर है। कंज्यूमर फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी Bankrate ने कहा है कि करीब आधे (46 फीसदी) कार्डहोल्डर्स अपने बैलेंस को हर महीने आगे बढ़ा (कैरी-फॉरवर्ड) रहे हैं। TechnoFino के फाउंडर सुमंत मंडल ने बताया कि क्रेडिट कार्ड कई तरह की सुविधा ऑफर करते हैं और सही तरह से इस्तेमाल करने पर सेविंग्स में भी मदद करते हैं। लेकिन, दुरूपयोग होने पर वे आर्थिक और मानसिक दबाव भी पैदा करते हैं।

क्रेडिट कार्ड्स पर ज्यादा बकाया चिंता की बात

मंडल ने कहा कि अमेरिका में क्रेडिट कार्ड्स पर बकाया अमाउंट चिंता पैदा करता है। हाई एनुअल पर्सेंटेज रेट के साथ डेट का हाई लेवल अच्छा नहीं है। इंडिया में RBI के डेटा के मुताबिक, अप्रैल 2023 में कुल एक्टिव क्रेडिट कार्ड की संख्या करीब 8.7 करोड़ थी। अप्रैल 2022 से यह करीब एक करोड़ ज्यादा है। उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में एक्टिव क्रेडिट कार्ड्स यूजर्स की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि हम डिजिटल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे हैं। इसलिए क्रेडिट कार्ड यूजर्स खासकर युवाओं को इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने की जरूरत है।


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इंडिया में भी लग रही ज्यादा खर्च करने की लत

सवाल है कि हम अमेरिका में क्रेडिट कार्ड्स पर बढ़ते बकाया के मामले से क्या सबक ले सकते हैं? आइए जानते हैं कि इसके बड़े खतरे क्या हैं और ऐसी स्थिति से कैसे बचा जा सकता है। इंडिया में भी Millenials (1981 और 1995 के बीच जन्म लेने वाले लोग) और Gen Z (1996 से 2010 के बीच जन्म लेने वाले) के क्रेडिट कार्ड्स पर बढ़ता खर्च चिंता की बात है। इंडिया में भी युवाओं के बीच शॉपिंग, बुकिंग हॉलीडेज और दूसरे खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल का चलन बढ़ रहा है।

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इस्तेमाल से पहले क्रेडिट कार्ड बिल के बारे में सोच लें

मंडल ने कहा, "आप अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कुछ भी खरीदने के लिए कर सकते हैं। इससे कई बार व्यक्ति ज्यादा खरीदारी कर लेता है। यह खर्च उनकी कर्ज चुकाने की क्षमता से ज्यादा होता है।" अच्छा तो यह होगा कि आपको हमेशा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते वक्त उसके बिल के बारे में सोचना चाहिए। अगर आप उस पैसे को आसानी से चुका सकते हैं तभी आपको उसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आपको हमेशा अपनी इनकम के हिसाब से खर्च करने की कोशिश करनी चाहिए।

क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला क्रेडिट सबसे महंगा

यह जान लेना बहुत जरूरी है कि क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाला क्रेडिट सबसे महंगा होता है। इसलिए आपको हमेशा अपने क्रेडिट कार्ड बिल को समय पर चुकाने की कोशिश करनी चाहिए। अंतिम तारीख से पहले कुल बिल चुकाना आपके हित में होगा। अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड पर मिनिमम अमाउंट का पेमेंट करते हैं तो बाकी पैसे पर क्रेडिट कार्ड कंपनियां फाइनेंस चार्ज लगाती हैं। इससे नए ट्रांजेक्शन पर आपको इंटरेस्ट-फ्री पीरियड का लाभ नहीं मिलता है।

कई क्रेडिट कार्ड्स का इस्तेमाल करने से बचें

बैंक और फाइनेंशियल कंपनियों की तरफ से अक्सर फ्री क्रेडिट कार्ड के ऑफर वाली फोन कॉल और मैसेजेज आपको मिलते रहते हैं। इसमें तरह-तरह के फायदे बताए जाते हैं। आपके हां करते ही आपके पते पर कार्ड पहुंच जाता है। कई कार्ड होने का सीधा मतलब है खर्च करने की आपकी कैपेसिटी का बढ़ना। आपको यह समझने की जरूरत है कि आपके खर्च करने की क्षमता तो बढ़ गई, लेकिन आपकी इनकम उतनी ही है, जितनी पहले थी। इसलिए ज्यादा क्रेडिट कार्ड्स रखना आपके डेट ट्रैप में फंसने की वजह हो सकता है।

डिफॉल्ट से बचें

अगर आपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है तो उसका बिल चुकान जरूर याद रखें। अंतिम तारीख तक बिल नहीं चुकाने पर क्रेडिट कार्ड कंपनियां लेट फीस लगाती हैं। साथ ही आपके क्रेडिट स्कोर पर भी इसका खराब असर पड़ता है। पर्सनल फाइनेंशियल एक्सपर्ट पारिजात गर्ग ने कहा कि डिफॉल्ट की वजह से आपका क्रेडिट स्केर 100 से 300 प्वॉइंट्स तक घट सकता है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर गिरकर 600 प्वॉइंट्स पर आ जाता है तो बैंकों से लोन लेने में आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

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