कई ऐसे इनवेस्टमेंट ऑप्शंस हैं, जिनमें निवेश करने पर टैक्स बेनेफिट मिलता है। इनमें पीपीएफ और म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग्स शामिल है। म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग्स स्कीम को ईएलएसएस कहा जाता है। फरीदाबाद के रोहित जैन का सवाल है कि क्या वह पत्नी के नाम से पीपीएफ या ईएलएसएस में किए गए निवेश पर टैक्स बेनेफिट क्लेम कर सकते हैं? मनीकंट्रोल ने यह सवाल मशूहर टैक्स एक्सपर्ट और सीए बलवंत जैन से पूछा।
कुछ आइटम्स में पत्नी के नाम से निवेश कर टैक्स छूट लिया जा सकता है
जैन ने बताया कि कुछ खास तरह के इनवेस्टमेंट या एक्सपेंसेज पर इंडिविजुअल या एचयूएफ को सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन मिलता है। कुछ आइटम्स ऐसे है, जिनमें डिडक्शन तभी क्लेम किया जा सकता है, जब पेमेंट या इनवेस्टमेंट सिर्फ टैक्सपेयर के नाम में किया जाए। कुछ आइटम्स में अगर इनवेस्टमेंट टैक्सपेयर, पति/पत्नी या बच्चे के नाम में किया जाता है तो डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है।
पीपीएफ में पत्नी या बच्चों के नाम से निवेश कर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं
उन्होंने कहा कि रोहित जैन अपने पीपीएफ अकाउंट या अपनी पत्नी या बच्चों के पीपीएफ अकाउंट में निवेश कर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। यहां तक अपने उन बच्चों के पीपीएफ अकाउंट में भी डिपॉजिट किया जा सकता है, जो विवाहित हैं या फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हैं। लेकन, ELSS सहित कुछ खास इनवेस्टमेंट में डिडक्शन तभी क्लेम किया जा सकता है, जब इनवेस्टमेंट टैक्सपेयर खुद अपने नाम से करता है। इसका मतलब है कि रोहित जैन अपनी पत्नी ने नाम से खरीदी गई ईएलएसएस की यूनिट्स पर टैक्स बेनेफिट क्लेम नहीं कर सकते। अगर वह सेकेंड होल्डर हैं तो भी टैक्स बेनेफिट क्लेम नहीं कर सकते।
इनकम टैक्स के सेक्शन 64 को समझना जरूरी है
जैन ने कहा कि जब आप अपनी पत्नी के नाम से निवेश करते हैं तो उस कंट्रिब्यूशन को आपकी तरफ से गिफ्ट माना जाता है, जिससे इस पर तुरंत टैक्स के मामले में कोई असर नहीं पड़ता है। हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 64 कहता है कि अगर आपके तरफ से दिए गए गिफ्ट से आपकी पत्नी को कोई इनकम होती है तो उसे आपकी इनकम में जोड़ दिया जाएगा।
पीपीएफ में निवेश पर मिलने वाला इंटरेस्ट पूरी तरह से टैक्स-फ्री
पीपीएफ अकाउंट में निवेश पर मिलने वाला इंटरेस्ट पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। इसलिए एक्युमुलेशन के फेज में क्लबिंग का प्रोविजन लागू नहीं होता है। लेकिन, पीपीएफ के मैच्योर कर जाने पर अगर आपके कंट्रिब्यूशन पर किसी तरह की इनकम होती है तो उसे साल दर साल आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ दी जाएगी। ईएलएसएस में रिडेम्प्शन पर होने वाले कैपिटल गेंस को आपकी इनकम में जोड़ दिया जाएगा और उस पर सेक्शन 112ए के तहत टैक्स लगेगा।