शेयरों में इनवेस्ट करने पर डिविडेंड मिलता है। अगर किसी टैक्सपेयर की कुल इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है तो भी उस पर टीडीएस कट सकता है। ऐसे में टैक्सपेयर को रिफंड क्लेम करना जरूरी है। क्लेम के बाद ही उसे टीडीएस का पैसा वापस मिलेगा। सवाल है कि रिफंड क्लेम करने का तरीका क्या है? मनीकंट्रोल ने इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन से बात की।
जैन ने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139 के तहत अगर किसी व्यक्ति की कुल टैक्सबेल इनकम डिडक्शन क्लेम करने से पहले एग्जेम्प्शन लिमिट को पार कर जाती है तो उसे Income Tax Return (ITR) फाइल करना जरूरी है। इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में यह एग्जेम्प्शन लिमिट 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति के लिए 2.5 लाख रुपये है। 60 से 79 साल की उम्र के व्यक्ति के लिए 3 लाख रुपये है। 80 साल और इससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति यानी सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए यह 5 लाख रुपये है।
इनकम टैक्स की नई रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट सभी लोगों के लिए 3 लाख रुपये है। अगर किसी व्यक्ति की इनकम इस लिमिट से कम है तो उसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी नहीं है। हालांकि, वह स्वेच्छा से आईटीआर फाइल कर सकता है। अगर आपकी इनकम से टैक्स कटा है, लेकिन आपकी कुल इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है तो आपको TDS के रिफंड के लिए आईटीआर फाइल करना होगा।
उन्होंने कहा कि इसे हम एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी व्यक्ति के पास लिस्टेड कंपनी के शेयर हैं, जिससे उसे पिछले फाइनेंशियल ईयर में 70,000 रुपये का डिविडेंड मिला है। इस डिविडेंड इनकम पर 2,500 रुपये TDS कटा है। लेकिन, उसकी कुल इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है। ऐसे में टीडीएस के रिफंड के लिए उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पड़ेगा।
डिविडेंड इनकम पर टीडीएस का नियम तय है। अगर किसी व्यक्ति को एक वित्त वर्ष में एक कंपनी से 10,000 रुपये से ज्यादा डिविडेंड मिलता है तो उस पर टीडीएस कटेगा। अगर वह व्यक्ति चाहता है कि उसकी डिविडेंड इनकम पर टीडीएस नहीं काटा जाए तो उसे फॉर्म 15जी हर उस कंपनी को सब्मिट करना होगा, जिससे उससे डिविडेंड मिलने की उम्मीद है। फॉर्म 15जी उस व्यक्ति के लिए जिसकी उम्र 60 साल से कम है। अगर व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक है तो उसे फॉर्म 15एच सब्मिट करना होगा।
ये फॉर्म सब्मिट करने के बाद कंपनी टीडीएस काटे बगैर व्यक्ति को डिविडेंड का पेमेंट कर देगी। टैक्सपेयर्स को यह फॉर्म साल की शुरुआत में ही सब्मिट कर देना चाहिए। इससे उसकी डिविडेंड इनकम पर कंपनी टीडीएस नहीं काटेगी। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि हर उस कंपनी को आपको फॉर्म सब्मिट करना होगा, जिससे आपको डिविडेंड मिलने की उम्मीद है।
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