नए रूल्स के बाद कैसे मिलेंगे गोल्ड-सिल्वर लोन, समझिए छोटे कर्जदारों को छूट और गिरवी के पूरे नियम

Gold silver loans : 1 अप्रैल 2025 से गोल्ड और सिल्वर लोन पर पूरे देश में एक जैसे नियम लागू हो चुके हैं। नए नियमों से वैल्यूएशन, LTV और गिरवी प्रक्रिया ज्यादा साफ और सुरक्षित हो गई है। छोटे कर्जदारों को कई शर्तों में छूट भी दी गई है।

अपडेटेड Dec 04, 2025 पर 5:24 PM
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RBI ने साफ कर दिया है कि लोन सिर्फ सोने और चांदी के आभूषणों और सिक्कों पर ही मिलेगा।

Gold silver loans : अब गोल्ड और सिल्वर लोन पर पूरे देश में एक जैसा नियम लागू होने वाला है। 1 अप्रैल 2025 से RBI के नए निर्देश लागू हो गए हैं। इससे गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी, सुरक्षित और भरोसेमंद बन जाएगी। पहली बार सिल्वर लोन भी आधिकारिक रूप से भारत की फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बनेंगे।

RBI ने अप्रैल 2025 में Lending Against Gold and Silver Collateral Directions जारी किए थे। इसका लक्ष्य है कि लोन देते समय सोने और चांदी की जांच, वैल्यूएशन, LTV और दस्तावेजी प्रक्रिया हर जगह एक जैसी हो।

छोटे कर्जदारों को छूट क्यों मिली?


जब RBI ने नियमों का ड्राफ्ट जारी किया था, तो किसानों और छोटे कर्जदारों ने चिंता जताई कि कर्ज चुकाने की क्षमता साबित करना उनके बस की बात नहीं है।

भारत में ज्यादातर लोगों के पास सोना विरासत में आता है, इसलिए मालिकाना हक का कोई कागज भी नहीं होता। इन मुद्दों को समझते हुए RBI ने जून 2025 में अंतिम निर्देश जारी किए और छोटे कर्जदारों के लिए कई नियमों को हल्का किया। इसका मकसद यह है कि छोटे लोन लेने वालों को जरूरत पड़ने पर आसानी से पैसा मिल सके।

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किन लोन पर लागू होंगे नए नियम?

ये सारे नियम उन लोन पर लागू होंगे जो किसी जरूरत को पूरा करने या कमाई बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं, और जिनमें सोना या चांदी गिरवी रखी जाती है। दो लाख पचास हजार रुपए से ज्यादा के लोन में अब उधारकर्ता की क्रेडिट और रीपेमेंट क्षमता का पता लगाना जरूरी होगा।

वहीं, दो लाख पचास हजार तक के उपभोग वाले लोन में LTV की ऊपरी सीमा 85 प्रतिशत तय की गई है। खास बात यह है कि उधारकर्ता के साथ की जाने वाली हर बातचीत उसकी पसंद की भाषा में होगी। साथ ही, ब्याज चुका देने पर बुलेट रीपेमेंट वाले लोन को बिना परेशानी फिर से बढ़ाया जा सकेगा।

LTV के नए नियम: कितना लोन मिलेगा?

पहले गोल्ड लोन के लिए कोई एक जैसा नियम नहीं था और आमतौर पर 75 प्रतिशत LTV मान लिया जाता था। अब RBI ने पूरी तरह साफ सीमा तय कर दी है। दो लाख पचास हजार तक के लोन में अधिकतम LTV 85 प्रतिशत होगा। इससे ज्यादा और पांच लाख तक की रकम पर अधिकतम LTV 80 प्रतिशत होगा।

पांच लाख से ऊपर के लोन में LTV सीमा 75 प्रतिशत रहेगी। सबसे अहम बात यह है कि यह अनुपात पूरे लोन समय में बनाए रखना जरूरी होगा, जबकि पहले ऐसा कोई नियम नहीं था और कई बार लोन लेवल गिरने पर ग्राहक को नुकसान होता था।

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सोने और चांदी की जांच अब एक जैसे तरीके से

अब तक अलग-अलग कंपनियां अपने तरीके से सोने और चांदी की जांच करती थीं। इससे वजन और शुद्धता के नाम पर ग्राहक को नुकसान झेलना पड़ता था। नए नियमों में देशभर में एक जैसा तरीका जरूरी कर दिया गया है।

जांच के दौरान उधारकर्ता की मौजूदगी जरूरी होगी। अगर किसी कारण से वजन या शुद्धता में कटौती की जाती है, तो उसकी पूरी जानकारी लिखित रूप में देना अनिवार्य होगा। इससे गलत आकलन की संभावना बहुत कम हो जाएगी।

किस तरह का कोलैटरल मान्य होगा?

RBI ने साफ कर दिया है कि लोन सिर्फ सोने और चांदी के आभूषणों और सिक्कों पर ही मिलेगा। सोने और चांदी की ईंटें यानी bullion पर लोन की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह गोल्ड-सिल्वर ETF या म्यूचुअल फंड पर भी लोन नहीं लिया जा सकेगा। सोना या चांदी खरीदने के लिए लोन लेना भी मना होगा। हालांकि, बैंक और कुछ शहरी सहकारी बैंक उद्योग के उपयोग के लिए इसे वर्किंग कैपिटल के रूप में दे सकेंगे।

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कोलैटरल यानी गिरवी के लिए वजन की भी सीमा तय है। सोने के आभूषण कुल मिलाकर एक किलो से ज्यादा नहीं हो सकते और चांदी के दस किलो से। सिक्कों की सीमा सोने के लिए 50 ग्राम और चांदी के लिए 500 ग्राम रहेगी। अगर यह शक हो कि सोना या चांदी उधारकर्ता की नहीं है, तो लोन देना मना होगा।

गिरवी रखी गई संपत्ति को दोबारा कहीं और गिरवी रखकर लोन लेना भी पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। कोलैटरल सिर्फ उन शाखाओं में रखा जा सकेगा जहां सुरक्षित वॉल्ट मौजूद हों। नीलामी के मामले में भी नए नियम काफी सख्त हैं। उधारकर्ता को पहले से नोटिस देना होगा, रिजर्व प्राइस पहले से घोषित करना होगा, और लेंडर या उससे जुड़े लोग नीलामी में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

पहली बार सिल्वर को मिला आधिकारिक दर्जा

भारत में अब तक सिल्वर लोन अनौपचारिक रूप से ही उपलब्ध थे। नए नियम लागू होने के बाद चांदी को पहली बार आधिकारिक कोलैटरल का दर्जा मिल जाएगा। इससे उन परिवारों के लिए रास्ता खुलेगा जो सोने की बजाय चांदी ज्यादा रखते हैं और जिन्हें पहले औपचारिक क्रेडिट उपलब्ध नहीं होता था।

ग्राहकों की सुरक्षा अब पहले से कहीं मजबूत

एक जैसे नियम, पारदर्शी जांच, सुरक्षित भंडारण और साफ दस्तावेजी प्रक्रिया की वजह से ग्राहक अब गोल्ड और सिल्वर लोन में पहले से काफी ज्यादा सुरक्षित होंगे। गलत मूल्यांकन, ज्यादा कटौती और मनमाने चार्ज जैसी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।

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