Income Tax: टैक्सपेयर्स को अब अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए मिलेगा ज्यादा टाइम
Income Tax: अपडेटेड रिटर्न फाइल कर देने से टैक्सपेयर नॉन-कंप्लायंस से बच जाता है, लेकिन तय समय पर इनकम टैक्स रिटर्न सही तरह से फाइल करना हमेशा ठीक होता है। इससे गैर-जरूरी पेनाल्टी या इंटरेस्ट नहीं चुकाना पड़ता है
अपडेटेड आईटीआर फाइलिंग की सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए बकाया टैक्स पर अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ता है।
सरकार ने फाइनेंस एक्ट, 2022 में अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) की शुरुआत की थी। इसके साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न रिवाइज करने का टाइम काफी घट गया था। लेकिन, अपडेटेड आईटीआर फाइलिंग की सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए बकाया टैक्स पर अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ता है। सवाल है कि अपडेटेड आईटीआर क्या है?
अगर आप अंतिम तारीख तक आईटीआर (ITR) फाइल करने से चूक जाते हैं या आपके तरफ से फाइल आईटीआर में किसी तरह की गड़बड़ी है या आपको ऐसा लगता है कि आपने अपनी जितनी इनकम घोषित की है वह आपकी वास्तविक इनकम से कम है तो आप ITR-U फॉर्म में अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस नहीं भेजेगा और आप पेनाल्टी के रूप में ज्यादा पैसे चुकाने से बच जाएंगे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फाइनेंशियर ईयर 2019-20 और बाद के सालों का अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए फॉर्म ITR-U नोटिफाइ कर दिया है।
कोई टैक्सपेयर कब अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है?
फाइनेंस एक्ट, 2022 में कुछ खास स्थितियों में अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की इजाजत दी गई। फाइनेंस एक्ट 2025 में अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए टाइम की लिमिट बढ़ा दी गई है और नई शर्तें लागू कर दी गई हैं:
टैक्सपेयर निम्नलिखित स्थितियों में अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है:
-अगर टैक्सपेयर ने सेक्शन 139(1) के तहत ऑरिजिनल रिटर्न फाइल किया है, लेकिन बाद में उसे पता चला है कि वह कोई इनकम बताना भूल गया है या उसने कम इनकम बताई है।
-अगर टैक्सपेयर ने 139(4) के तहत बिलेटेड रिटर्न फाइल किया है लेकिन बाद उसे लगता है कि उसने कोई इनकम नहीं बताई है
-अगर टैक्सपेयर ने तय समयसीमा के अंदर सेक्शन 139(5) के तहत रिवाइज्ड रिटर्न फाइल किया है लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि उसने कोई इनकम सही नहीं बताई है।
-अगर कोई टैक्सपेयर किसी वजह से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से चूक जाता है।
ऐसी स्थितियां जिनमें अपडेटेड रिटर्न फाइल नहीं किया जा सकता है:
-अगर कोई अतिरिक्त टैक्स लायबिलिटी नहीं है (इसका मतलब यह कि जब रिटर्न फाइल करने से रिफंड बढ़ जाए, टैक्स लायबिलिटी कम हो जाए या लॉस बढ़ जाए।)
-अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने संबंधित एसेसमेंट ईयर के लिए एसेसमें प्रोसिडिंग्स शुरू कर दी है या उसे खत्म कर दी है।
-अगर संबंधित एसेसमेंट ईयर खत्म होने के 36 महीनों के बाद सेक्शन 148ए के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, फाइनेंस बिल 2025 में यह कहा गया है कि अगर एसेसिंग अफसर सेक्शन 148(3) के तहत यह तय करता है कि मामला रीएसेसमेंट के लिए फिट नहीं है तो एसेसमेंट ईयर खत्म होने के 48 महीनों के अंदर अपडेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकता है।
-अगर रिटर्न एंटी इवैजन प्रोविजंस के तहत अनएक्सप्लेन्ड कैश क्रेडिट या बेनानी ट्रांजैक्शन से हुई इनकम को घोशित करने के लिए फाइल किया जा रहा है।
इसके अलावा, यह ध्यान में रखना जरूरी है कि कोई टैक्सपेयर एक एसेसमेंट ईयर में सिर्फ एक अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है और एक बार फाइल होने के बाद इसे रिवाइज नहीं किया जा सकता।
बजट 2025 के तहत ITR-U फाइल करने के लिए पीरियड बढ़ाया गया
बजट 2025 में किए गए बड़े बदलावों में से एक बड़ा बदलाव यह है कि अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए दिए गए समय को बढ़ा दिया गया है। पहले अपडेटेड रिटर्न को संबंधित एसेसमेंट ईयर खत्म होने के 24 महीनों के अंदर फाइल करना जरूरी था। अब इसे बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है।
उदाहरण के लिए पहले के नियमों के मुताबिक, एसेसमेंट ईयर 2020-21 (फाइनेंशियल ईयर 2019-20) के लिए अपेडेटेड रिटर्न 31 मार्च, 2023 तक फाइल किया जा सकता था। अब समय बढ़ाए जाने के बाद एसेसमेंट ईयर 2022-23 (फाइनेंशियल ईयर 2021-22) के लिए अपडेटेड रिटर्न 31 मार्च, 2027 तक फाइल किया जा सकता है।
अपडेटेड रिटर्न कैसे फाइल किया जा सकता है?
इनकम टैक्स के पोर्टल incometax.gov.in के जरिए ITR-U फाइल करने का प्रोसेस काफी आसान है। टैक्सपेयर को अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की वजह को सेलेक्ट करना पड़ता है फिर इसे डिजिटल सिग्नेचर या ईवीसी के तहत वेरिफाइ करना पड़ता है।
अपडेटेड रिटर्न के तहत रिवाइज्ड एडिशनल टैक्स
अपडेटेड रिटर्न फाइलिंग की सुविधा फ्री नहीं है। टैक्सपेयर को सामान्य प्रोविजन के तहत चुकाए जाने वाले टैक्स पर एडिशनल टैक्स चुकाना पड़ता है। बजट 2025 में एडिशनल टैक्स लायबिलिटी में इस तरह बदलाव किया गया है:
-एसेसमेंट ईयर खत्म होने से 12 महीने के अंदर फाइल किया गया अपडेटेड रिटर्न:
एडिशनल टैक्स = (रेगुलर टैक्स + इंटरेस्ट) का 25%
-एसेसमेंट ईयर खत्म होने से 12 से 24 महीनों के अंदर फाइल किया गया अपडेटेड रिटर्न:
एडिशनल टैक्स = (रेगुलर टैक्स + इंटरेस्ट) का 50%
-एसेसमेंट ईयर खत्म होने से 24 से 36 महीनों के अंदर फाइल किया गया अपडेटेड रिटर्न (बजट 2025 में नया प्रोविजन): एडिशनल टैक्स = (रेगुलर टैक्स + इंटरेस्ट) का 60%
-एसेसमेंट ईयर खत्म होने से 36 से 48 महीनों के अंदर फाइल किया गया अपडेटेड रिटर्न (बजट 2025 में नया प्रोविजन): एडिशनल टैक्स = (रेगुलर टैक्स + इंटरेस्ट) का 70%
इसका मतलब यह है कि 36 महीनों के बाद अपडेटेड रिटर्न फाइल करने पर टैक्स और उसके इंटरेस्ट अमाउंट पर 70 फीसदी ज्यादा टैक्स के रूप में पेनाल्टी चुकानी होगी।
अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के पीरियड को बढ़ाकर 48 महीने कर देने से टैक्सपेयर्स को अब अपनी गलती ठीक करने और इनकम टैक्स के नियमों का पालन करने के लिए ज्यादा समय मिल गया है। हालांकि, ज्यादा एडिशनल टैक्स होने की वजह से यह काफी महंगा हो जाता है।
टैक्स से जुड़े मसलों की जटिलता को देखते हुए अगर अपडेटेड रिटर्न फाइल करना है तो किसी गलती से बचने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एडवाइजर की मदद लेना ठीक रहेगा।
अपडेटेड रिटर्न फाइल कर देने से टैक्सपेयर नॉन-कंप्लायंस से बच जाता है, लेकिन तय समय पर इनकम टैक्स रिटर्न सही तरह से फाइल करना हमेशा ठीक होता है। इससे गैर-जरूरी पेनाल्टी या इंटरेस्ट नहीं चुकाना पड़ता है।
(लेखक सीए हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं। )