Income Tax Refund: क्या आपका भी इनकम टैक्स रिटर्न अभी तक नहीं आया है? आईटीआर फाइल करने के बाद समय पर रिफंड मिल जाए, यही हर टैक्सपेयर चाहता है। लेकिन इस साल हालात अलग हैं। हजारों लोग अभी भी अपने इनकम टैक्स रिफंड का इंतजार कर रहे हैं। देरी इतनी बढ़ गई है कि सोशल मीडिया पर भी लोग शिकायतें कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार देरी कई वजहों से हो रही है। साल 2025 में देर से फॉर्म जारी होने से लेकर कड़े वेरिफिकेशन के कारण रिफंड मिलने में देरी हो रही है।
रिफंड स्लो क्यों है? फॉर्म लेट और फाइलिंग विंडो छोटी
टैक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार इस साल ITR फॉर्म और यूटिलिटीज देर से जारी हुईं। इसकी वजह से लोगों को फाइलिंग के लिए कम समय मिला और एक साथ भारी संख्या में रिटर्न फाइल हुए। ClearTax की CA शेफाली मुंद्रा के मुताबिक फॉर्म लेट आए, फाइलिंग विंडो छोटी हुई और रिटर्न्स की बंचिंग CPC पर लोड बन गई। जब लाखों रिटर्न एक साथ पहुंचते हैं, तो प्रोसेसिंग नैचुरली धीमी हो जाती है।
डेटा-मिसमैच पर सख्त जांच, AIS और 26AS का रोल
IT डिपार्टमेंट इस बार डेटा मैचिंग को लेकर पहले से ज्यादा सख्त है। अगर AIS, TIS या Form 26AS में जरा-सा भी मिसमैच हो जाए ते स्क्रूटनी में चला जाता है। इनमें TDS गलत दिखना, डुप्लीकेट एंट्री, प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन का अंतर होता है तो रिफंड तुरंत नहीं निकलता और रिटर्न क्लोज स्क्रूटनी में चला जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यही वजह है कि बहुत से टैक्सपेयर स्लो लेन में फंस गए हैं।
हाई-वैल्यू रिफंड क्लेम वालों पर जांच
जिन लोगों ने बड़ा रिफंड क्लेम किया है या जिनके रिटर्न में कोई असामान्य एंट्री है, उन पर भी ज्यादा वेरिफिकेशन हो रहा है। CA मुंद्रा कहती हैं कि डिपार्टमेंट हर questionable क्लेम को दोबारा जांच रहा है, कई बार अतिरिक्त डॉक्यूमेंट भी मांग रहा है और इससे टाइम बढ़ जाता है। इस साल सैलरी, NRI और प्रॉपर्टी कैपिटल गेन रिटर्न सबसे ज्यादा अटके हैं।
नियमों में हालिया बदलाव भी देरी की एक वजह
फॉर्विस मजार्स इंडिया के गौरव जैन कहते हैं कि इस बार ITR फॉर्म इसलिए भी देर से आए क्योंकि CBDT ने कैपिटल गेन रिपोर्टिंग, foreign assets disclosure और TDS/TCS reconciliation में कई बदलाव किए। इन अपडेट्स को सिस्टम में फिट करने में टाइम लगा और इसका असर रिफंड प्रोसेसिंग पर पड़ा।
AIS, TIS और Form 26AS को पूरी तरह मैच करके ही रिटर्न फाइल करें।
बैंक अकाउंट pre-validate रखें।
NRI हैं तो Form 67 समय पर भरें।
और बिजनेस टैक्सपेयर्स GST-TDS मिलान जरूर कर लें।
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो लोग पहले से तैयारी करते हैं और हर डॉक्यूमेंट मैच करके रिटर्न फाइल करते हैं, उनके रिफंड आमतौर पर सबसे जल्दी आते हैं।