इस बार 16 सितंबर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक, आखिरी तारीख तक 7.58 करोड़ रिटर्न फाइल किए गए। 6.87 करोड़ रिटर्न वेरिफाय हो चुके हैं। 22 सितंबर तक 5.01 करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं। इसका मतलब है कि अभी एक करोड़ से ज्यादा रिटर्न की प्रोसेसिंग बाकी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को रिफंड के लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है। सवाल है कि आखिर इस बार रिफंड इश्यू में होने में क्यों देर हो रही है?
इस बार जल्द रिटर्न फाइल करने का फायदा नहीं
एक्सपर्ट्स टैक्सपेयर्स को जल्द रिटर्न फाइल करने की सलाह देते है। उनका दलील होती है कि जल्द रिटर्न फाइल करने से रिफंड जल्द बैंक अकाउंट में आ जाता है। लेकिन, इस बार जल्द रिटर्न फाइल करने का फायदा नहीं दिख रहा है। कई टैक्सपेयर्स ने इस बार यह सोचकर डेडलाइन से काफी पहले इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया था कि उनका रिफंड जल्द आ जाएगा। लेकिन, उन्हें निराशा हुई है। रिटर्न फाइल करने के कई महीने बीतने के बाद भी उनका रिफंड नहीं आया है।
जून-जुलाई में रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स को रिफंड का इंतजार
मनीकंट्रोल ने ऐसे कुछ टैक्सपेयर्स से बात की, जिनका रिफंड फाइल करने के बाद तीन महीने बीत जाने के बाद भी नहीं आया है। कई टैक्सपेयर्स ने बताया कि उन्होंने जून-जुलाई में रिटर्न फाइल किया था। लेकिन, रिफंड अब तक नहीं आया है। खास बात यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उनके रिटर्न को प्रोसेस तक नहीं किया है। टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर अपने रिटर्न के स्टेट्स को चेक कर सकते हैं। इसके लिए टैक्सपेयर्स को पोर्टल पर लॉग-इन करना होगा।
टैक्सपेयर्स को नहीं समझ में आ रही देरी की वजह
16 सितंबर से काफी पहले रिटर्न फाइल करने वाले एक टैक्सपेयर ने बताया, "मैंने जून में रिटर्न फाइल किया था। लेकिन, रिफंड का पैसा अब तक मेरे बैंक अकाउंट में नहीं आया है।" ऐसे कई टैक्सपेयर्स हैं, जिनका रिफंड अब तक नहीं आया, जबकि उन्होंने डेडलाइन से काफी पहले रिटर्न फाइल कर दिया था। ऐसे टेक्सपेयर्स को रिफंड बैंक अकाउंट में नहीं आने की वजह समझ में नहीं आ रही। जुलाई के आखिरी हफ्ते में रिटर्न फाइल करने वाले एक टैक्सपेयर ने कहा कि उसका रिटर्न अभी प्रोसेस नहीं हुआ है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बारीकी से कर रहा रिटर्न की जांच
डेलॉयट इंडिया में डायरेक्टर तरूण गर्ग ने बताया कि इस बार रिफंड में देर की बड़ी वजह यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वेरिफिकेशन और स्क्रूटनी प्रोसिजर पर फोकस बढ़ाया है। ज्यादा अमाउंट के रिफंड्स, ज्यादा डिडक्शन क्लेम या एग्जेम्प्शंस वाले रिटर्न की ज्यादा जांच हो रही है। गर्ग ने कहा, "आम तौर पर सामान्य सैलरीड रिटर्न की प्रोसेसिंग ई-वेरिफाय करने के दो से पांच हफ्तों के बीच हो जाती है। ऐसे रिटर्न जिनमें कैपिटल गेंस, फॉरेन एसेट्स या ज्यादा डिडक्शंस होता है, उनके प्रोसेसिंग में समय लगता है।"
ज्यादा अमाउंट के रिफंड के मामलों में हो रही देर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की 20,000 रुपये से ज्यादा रिफंड वाले रिटर्न पर खास नजर है। डिपार्टमेंट बारीकी से ऐसे रिटर्न की जांच कर रहा है। इसके लिए एआई जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है। फर्जी डिडक्शन और एग्जेम्प्शन क्लेम करने वाले रिटर्न की पहचान की जा रही है। इस वजह से रिफंड आने में देर हो रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्क्रूटनी बढ़ाने से प्रोसेसिंग टाइम बढ़ जाता है।