Income Tax Return: क्या इस बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख एक बार फिर आगे बढ़ सकती है? वैसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख 31 जुलाई होती है लेकिन इस बार ये तारीख आगे बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई है। इस साल आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने वालों के लिए काम आसान नहीं रहा है। इसके कई कारण रहे जिसमें रिटर्न फॉर्म और यूटिलिटीज का देर से जारी होना और पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ियां। इससे टैक्सपेयर और टैक्स प्रोफेशनल दोनों पर काफी दबाव बढ़ गया है।
पिछले साल (2024) सरकार ने समय पर ITR फॉर्म जारी कर दिए थे। ITR-1 से ITR-4 और ITR-6 तो 1 अप्रैल को ही आ गए थे। ITR-5 मई में और ITR-7 जून में जारी हुआ था। यानी टैक्सपेयर्स को करीब तीन महीने का समय मिला था फाइलिंग करने के लिए।
सीबीडीटी (CBDT) ने इस बार नॉन-ऑडिट मामलों में रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। लेकिन यूटिलिटीज अगस्त में जारी हुईं, जिससे टैक्सपेयर्स इस राहत का सही फायदा नहीं उठा पाए।
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन 30 सितंबर है। यानी पहले नॉन-ऑडिट रिटर्न फाइलिंग करनी है और फिर तुरंत ऑडिट रिपोर्ट पर काम करना है। इसी समय कंपनी कानून (ROC) की भी डेडलाइन पड़ रही है। नतीजा यह है कि प्रोफेशनल्स पर कई कानूनों का भारी बोझ आ गया है।
टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि डेडलाइन को आगे बढ़ाना अब जरूरी है। कई चार्टेड अकाउंटेंट का मानना है कि ITR यूटिलिटीज देर से आने से सबकुछ गड़बड़ा गया है। अंतिम तिथि को बढ़ाना चाहिए ताकि आखिरी समय की अफरातफरी से बचा जा सके। हिमांक सिंगला पार्टनर SBHS & Associates भी मानते हैं कि यह केवल सुविधा का मामला नहीं है बल्कि व्यावहारिकता का सवाल है।
कुछ लोग सोच रहे हैं कि शायद डेडलाइन आगे बढ़ जाएगी और वे तब फाइल करेंगे। लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि ये जोखिम भरा हो सकता है। टैक्सबड्डी डॉट कॉम के फाउंडर सुजीत बंगर के मुताबिक अंतिम दिनों में पोर्टल पर ज्यादा ट्रैफिक होने से साइट धीमी या बंद हो जाती है। आधार ओटीपी की देरी, वेरिफिकेशन फेल होना, या पोर्टल मेंटेनेंस जैसी दिक्कतें आम हैं। ऐसे में फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है। जल्दी फाइलिंग करना बेहतर है। इससे गलतियां कम होंगी और टैक्सपेयर्स अपने लाभ जैसे लॉस सेट-ऑफ का फायदा सही से उठा पाएंगे।