Tax on Inherited Gold: दादी का दिया हार, मां की चूड़ियां या पिता की अंगूठी.. ये गहने सिर्फ जेवर नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही विरासत हैं। शादी-ब्याह हो या कोई खास अवसर, माता-पिता और दादा-दादी की ओर से बच्चों को गिफ्ट के तौर पर सोना देना आम बात है। लेकिन जब यही विरासत का सोना बेचने की नौबत आती है, तो दिमाग में पहला सवाल यही उठता है, क्या इस पर टैक्स लगेगा?
घर में रखे इनहेरिटेड गोल्ड को बेचकर मुनाफा कमाने का सोच रहे हैं? अब जान लीजिए कि इनकम टैक्स के नियम इस पर सीधा असर डालते हैं। जब इनहेरिटेड यानी विरासत में मिले गोल्ड को बेचने की बारी आती है, तो सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या इस पर टैक्स देना होगा?
इनहेरिटेड गोल्ड टैक्सेबल है क्या?
जी हां। इनकम टैक्स कानून के हिसाब से, इनहेरिटेड गोल्ड को कैपिटल एसेट माना जाता है। इसका मतलब है कि अगर आप इसे बेचते हैं, तो जो प्रॉफिट आपको मिलता है उस पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। खास बात ये है कि टैक्स के लिए गोल्ड की खरीदारी की तारीख और उसकी कॉस्ट वही मानी जाएगी, जब और जितने में आपके माता-पिता या दादा-दादी ने सोना खरीदा था। उदाहरण के लिए अगर आपकी दादी ने 1981 में सोना खरीदा था और आपको वो शादी के समय विरासत में मिला, तो टैक्स कैलकुलेशन के लिए खरीद की तारीख 1981 ही मानी जाएगी।
अगर सोना 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदा गया था, तो आपके पास एक खास ऑप्शन है। आप चाहें तो 2001 की फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) को खरीद कीमत मान सकते हैं। इसका फायदा तब होता है जब पुराने बिल या रिकॉर्ड्स नहीं हों।
अब सवाल है कि टैक्स कैसे लगेगा?
पहले नियम था कि अगर गोल्ड 36 महीने से ज्यादा समय तक रखा है, तो उसे लॉन्ग-टर्म एसेट माना जाएगा। लेकिन फाइनेंस एक्ट 2024 के बाद यह अवधि घटाकर 24 महीने कर दी गई है। अगर आपने सोना 24 महीने से ज्यादा रखा है, तो यह लॉन्ग-टर्म गेन माना जाएगा और आपको 12.5% टैक्स (बिना इंडेक्सेशन) देना होगा। अगर आपने सोना 24 महीने से पहले बेच दिया, तो इसे शॉर्ट-टर्म गेन माना जाएगा और टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा।