Credit Cards

Income Tax Return: मैं NSC का इंटरेस्ट हर साल डिक्लेयर करता हूं, लेकिन AIS में यह एकमुश्त दिखता है क्या टैक्स नोटिस आएगा?

एनएससी के इंटरेस्ट को दिखाने के दो तरीके हैं। पहला, इसे एक्रुअल बेसिस पर दिखाया जा सकता है। दूसरा इसे रिसीट बेसिस पर दिखाया जा सकता है। लेकिन, जो तरीका आपने एक बार चुन लिया है, उसका पालन हर साल करना होगा। आप तरीके में बदलाव नहीं कर सकते

अपडेटेड Aug 05, 2025 पर 5:01 PM
Story continues below Advertisement
अगर पोस्ट ऑफिस ने पिछले साल सभी सालों के कुल इंटरेस्ट की रिपोर्टिंग एआईएस में की है तो भी आपको पहले के सालों के इंटरेस्ट को जोड़ना नहीं है जो पहले से ही पिछले साल डेक्लेयर हो चुके हैं।

क्या आपने नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (एनएससी) में इनवेस्ट किया है? अगर हां तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इसके इंटरेस्ट को इनकम टैक्स रिटर्न में किस तरह दिखाना है। आप पहले साल इंटरेस्ट के बारे में बताना भूल जाते है और पोस्ट ऑफिस मैच्योरिटी पर आपके इंटरेस्ट की रिपोर्टिंग एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में करता है तो मिसमैच की समस्या हो सकती है। मनीकंट्रोल ने इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन से बातचीत की। उनसे पूछा कि ऐसी स्थिति में क्या हो सकता है।

जैन ने बताया कि Income Tax एक्ट के सेक्शन 145 के तहत अगर किसी टैक्सपेयर को 'प्रॉफिट्स एंड गेंस ऑफ बिजनेस एंड प्रोफेशन' और 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज' हेड के तहत किसी तरह की टैक्सेबल इनकम हुई है तो उसे बताने के दो तरीके हैं। पहला, इसकी रिपोर्टिंग एक्रुअल बेसिस (Accrual Basis) पर की जा सकती है। इसे आम तौर पर मर्केंटाइल बेसिस कहा जाता है। दूसरा, इसे रिसीट बेसिस (receipt basis) पर बताया जा सकता है। इसे कैश बेसिस ऑफ अकाउंटिंग कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि एक बार टैक्सपेयर ने जिस अकाउंटिंग को चुन लिया है उसका इस्तेमाल साल दर साल करना होगा। टैक्सपेयर पूरी इंटरेस्ट इनकम को एक्रुअल बेसिस या रिसीट बेसिस के आधार पर डिक्लेयर कर सकता है। इसका मतलब यह है कि आप कुछ इंटरेस्ट को एक्रुअल बेसिस और बाकी इंटरेस्ट को रिसीट बेसिस पर नहीं दिखा सकते। इसलिए आपके सवाल का जवाब यह है कि आप बीते सालों में इंटरेस्ट इनकम को किस तरह से दिखाते आए हैं। अगर आपने इसे एक्रुअल बेसिस पर दिखाया है तो आपको दूसरे साल और उसके बाद हर साल इसे एक्रुअल बेसिस पर दिखाना होगा। आप इस पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।


चूंकि आप अब अपना आईटीआर रिवाइज नहीं कर सकते तो आपको एनएससी से पहले साल में मिले इंटरेस्ट को दूसरे साल के इंटरेस्ट के साथ दिखाना होगा। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि एनएससी के मैच्योरिटी ईयर में इंटरेस्ट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन उपलब्ध नहीं है।

जहां तक आपके AIS की बात है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर पोस्ट ऑफिस ने पिछले साल सभी सालों के कुल इंटरेस्ट की रिपोर्टिंग एआईएस में की है तो भी आपको पहले के सालों के इंटरेस्ट को जोड़ना नहीं है जो पहले से ही पिछले साल डेक्लेयर हो चुके हैं। अगर मिसमैच के लिए आपको इनकम टैक्स का नोटिस आता है तो आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को यह बताना होगा कि हालांकि पोस्ट ऑफिस ने मैच्योरिटी/पेमेंट के साल में सभी सालों का इंटरेस्ट एकमुश्त दिखाया है, आप इसका पेमेंट साल दर साल करते रहे हैं।

डिसक्लेमर: मनीकंट्रोल पर एक्सपर्ट्स की तरफ से जो विचार व्यक्त किए जाते हैं वे उनके अपने विचार होते हैं। ये इस वेबसाइट या इसके मैनेजमेंट के विचार नहीं होते। मनीकंट्रोल किसी तरह के निवेश का फैसला लेने से पहले  यूजर्स को सर्टिफायड एक्सपर्ट की राय लेने की सलाह देता है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।