Income Tax Return: फर्जी डिडक्शन क्लेम करने पर 7 साल की जेल और 200% पेनाल्टी

Income Tax Return: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए नए आईटीआर फॉर्म्स में ज्यादा डिसक्लोजर्स शामिल किए हैं। इनमें एचआरए कैलकुलेशंस, सेक्शन 80डी के तहत इंश्योरेंस कंपनी की डिटेल आदि शामिल हैं

अपडेटेड Jul 22, 2025 पर 6:04 PM
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी टैक्सपेयर को लगता है कि उसने जाने या अनजाने ऐसा डिडक्शन क्लेम कर दिया है, जिसका वह हकदार नहीं है तो वह आईटीआर-यू फाइल कर सकता है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फर्जी डिडक्शन पर सख्ती बढ़ा दी है। वह फर्जी डिडक्शन के मामलों की पहचान करने के लिए डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहा है। यह पाया गया है कि फर्जी डिडक्शंस के ज्यादातर मामले एचआरए, हेल्थ इंश्योरेंस और जनरल डोनेशन से जुड़े हैं। फर्जी डिडक्शन क्लेम का मामला साबित होने पर टैक्सपेयर मुश्किल में फंस सकता है। उसे जेल तक की सजा हो सकती है।

फर्जी डिडक्शन पर इन सेक्शन में कार्रवाई

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि Fake Deduction का मामला साबित होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सेक्शन 270ए के तहत कार्रवाई कर सकता है। गलत रिपोर्टिंग करने के लिए बकाया टैक्स पर 200 फीसदी पेनाल्टी लगाई जा सकती है। सेक्शन 234बी और 234सी के तहत 24 फीसदी इंटरेस्ट लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं सेक्शन 276 के तहत 7 साल तक की जेल हो सकती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट फर्जी डिडक्शन के मामलों को लेकर काफी सख्त बरत रहा है।


नए आईटीआर फॉर्म्स में पहले से ज्यादा डिसक्लोजर्स

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए नए आईटीआर फॉर्म्स में ज्यादा डिसक्लोजर्स शामिल किए हैं। इनमें एचआरए कैलकुलेशंस, सेक्शन 80डी के तहत इंश्योरेंस कंपनी की डिटेल आदि शामिल हैं। यह समझना जरूरी है कि टैक्सपेयर्स के हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की जानकारी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में कैप्चर होती रहती है। ऐसे में फर्जी डिडक्शन क्लेम के मामले जल्द पकड़ में आ रहे हैं।

गलती सुधारने के लिए टैक्सपेयर्स आईटीआर-यू फाइल कर सकता है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी टैक्सपेयर को लगता है कि उसने जाने या अनजाने ऐसा डिडक्शन क्लेम कर दिया है, जिसका वह हकदार नहीं है तो वह आईटीआर-यू फाइल कर सकता है। यह टैक्सपेयर्स को गलती सुधारने, कोई छूटी हुई इनकम को बताने और डिडक्शन के फर्जी क्लेम वापस लेने का मौका देता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि ITR-U फाइल करने पर टैक्सपेयर्स को अतिरिक्त टैक्स का पेमेंट करना पड़ता है। वह जितना जल्द आईटीआर-यू फाइल करेगा उसे उतना कम अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा।

यह वीडियो भी देखें: इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले AIS चेक करना क्यों है जरूरी

एक्सपर्ट्स दे रहे जल्द रिटर्न फाइल करने की सलाह

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ा दी है। टैक्सपेयर्स 15 सितंबर तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं। लेकिन, टैक्सपेयर्स का कहना है कि रिटर्न फाइल करने के लिए अंतिम तारीख का इंतजार नहीं करना चाहिए। जल्द रिटर्न फाइल करने के कई फायदे हैं। दूसरा, टैक्सपेयर्स को सिर्फ वह डिडक्शन क्लेम करना चाहिए, जिसका वह हकदार और जिसका सबूत उसके पास है। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस जारी करने पर उसका जवाब दे सकता है।

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