इनकम टैक्स एक्ट, 2025 अगले साल 1 अप्रैल से लागू हो जाएगा। यह इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा। सरकार ने नए एक्ट में इनकम टैक्स के नियमों को आसान बनाने की कोशिश की है। नए एक्ट की लैंग्वेज को समझने में टैक्सपेयर्स को दिक्कत नहीं आएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने नए एक्ट में टैक्स के नियमों में बुनियादी बदलाव नहीं किया है। सवाल है कि नए एक्ट में इनकम टैक्स रिफंड के नियम क्या हैं?
सेक्शन 431 से 438 में रिफंड के नियम शामिल
Income Tax Act, 2025 में टैक्स रिफंड्स के लिए अलग सेक्शंस हैं। इसके सेक्शन 431 से 438 में रिफंड के नियम शामिल हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 237 से 245 में रिफंड के नियम शामिल थे। रिफंड के नए सेक्शंस में बताया गया है कि टैक्सपेयर रिफंड का हकदार कब होगा, रिफंड का पेमेंट कब होगा और रिफंड पर इंटरेस्ट का कैलकुलेशन कैसे होगा।
रिफंड के लिए इनकम टैक्स रिटर्न जरूरी होगा
इनकम टैक्स एक्ट, 2025 के सेक्शन 433 में कहा गया है कि रिफंड का क्लेम इनकम टैक्स रिटर्न के जरिए सब्मिट किया जाना चाहिए। सेक्शन 431 में कहा गया है कि टैक्सपेयर रिफंड का हकदार तभी होगा, जब उसका कुल टैक्स पेमेंट उस वित्त वर्ष की उसकी टैक्स लायबिलिटी के अमाउंट से ज्यादा होगा। चुकाए गए टैक्स में टीडीएस, एडवान्स टैक्स या सेल्फ एसेसमेंट टैक्स शामिल होगा।
रिफंड पेमेंट में देरी पर इंटरेस्ट का प्रावधान
इनकम टैक्स एक्ट, 2025 में रिफंड पर इंटरेस्ट का प्रावधान है। रिफंड में देर होने पर ही इंटरेस्ट का पेमेंट टैक्सपेयर को किया जाएगा। सेक्शन 437(1) में कहा गया है कि इंटरेस्ट का पेमेंट प्रति माह 0.5 फीसदी के रेट से होगा। इंटरेस्ट रिफंड के अमाउंट पर होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स के नए एक्ट में रिफंड से जुड़े नियमों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं किया गया है। अभी भी रिफंड पर इंटरेस्ट का रेट 0.5 फीसदी प्रति माह है।
रिफंड अमाउंट पर इंटरेस्ट रेट में बदलाव नहीं
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 244ए में टैक्स रिफंड में देरी से जुड़े प्रावधान का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि टैक्स रिफंड में देर होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट प्रति माह 0.5 फीसदी (सालाना 6 फीसदी) के सिंपल इंटरेस्ट रेट से टैक्सपेयर को पेमेंट करेगा। नए एक्ट की भाषा को आसान बनाने की कोशिश की गई है।