HDFC Bank: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक एचडीएफसी बैंक ने अपने करोड़ों ग्राहकों को बंपर तोहफा दिया है। HDFC Bank ने लोन की ब्याज दरों को कम किया है। ऐसा काफी समय बाद हुआ है जब बैंक ने MCLR में सीधे 0.30 फीसदी की कटौती की है। MCLR सीधे तौर पर लोन की दरों से जुड़ा होता है। बैंक कोई भी लोन MCLR की दरों से कम में होम लोन या कार लोन नहीं दे सकता। ऐसे में अगर बैंक MCLR घटाता है तो लोन की दरें अपने आप कम होंगी।
HDFC Bank ने सभी पीरियड पर MCLR में 0.30 फीसदी की कटौती कर दी है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अभी तक 1 फीसदी रेपो रेट घटा चुकी है। इसके बाद देश के ज्यादार बैंक लोन और एफडी की दरों में कटौती कर रहे हैं। ये नई दरें आज 7 जुलाई 2025 से लागू हो गई हैं।
HDFC Bank MCLR - जुलाई 2025 पीरियड
(सोर्स - HDFC Bank Website)
एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें - 7 जुलाई 2025 से लागू
एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट और एक महीने का एमसीएलआर 8.90 फीसदी से 8.60 फीसदी कर दिया है। तीन महीने का का रेट कम होकर 8.95 फीसदी से 8.65 फीसदी कर दिया है। छह महीना, एक साल और 2 साल का एमसीएलआर 8.75 फीसदी कर दिया है। तीन साल का एमसीएलआर 9.10 फीसदी से 8.80 फीसदी कर दिया है।
MCLR बढ़ने या घटने का क्या होता है EMI पर असर
जब भी कोई बैंक अपने MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में बदलाव करता है, तो उसका सीधा असर उन लोन पर पड़ता है जिनकी ब्याज दर फ्लोटिंग होती है, जैसे कि होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन। अगर बैंक MCLR बढ़ाता है, तो आपकी EMI भी बढ़ जाती है क्योंकि ब्याज दर ज्यादा हो जाती है।
MCLR को तय करने के लिए बैंक डिपॉजिट पर ब्याज दरें, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और CRR (कैश रिजर्व रेशो) की लागत के आधार पर तय करता है। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो उसका असर MCLR पर भी होता है।